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वाह रे योगी सरकार! अच्छी नहीं आयुष्मान योजना की बात

3 साल से खराब है सीटी स्कैन मशीन, अस्पताल में दवाओं का टोटा

अयोध्या। योगी और मोदी सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है। आयुष्मान योजना का वैश्विक स्तर पर प्रचार प्रसार किया जा रहा है। योजना को विश्व की सबसे बड़ी योजना बताया जा रहा है। मगर जमीनी हालात इसके इधर है। सरकारी अस्पताल में ना तो जांच की ठीक से सुविधा है और ना ही दवाओं की उपलब्धता है। ऐसे में सरकार की ओर से सबको स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने और आयुष्मान योजना का बखान बेमानी है।
केस एक- मंदबुद्धि अमित कुमार तिवारी पुत्र जमुना प्रसाद तिवारी आयु लगभग 35 वर्ष निवासी मवई कला थाना इनायतनगर बीते 18 जनवरी की शाम को छत से गिरकर घायल हो गया था पिता द्वारा शाम 6:00 बजे जिला चिकित्सालय लाया गया जहां डॉक्टरों ने सिटी स्कैन लिख दिया जब पिता द्वारा सिटी स्कैन कराने में असमर्थता व्यक्त की गई तो चिकित्सक द्वारा ट्रामा सेंटर लखनऊ को रेफर कर दिया। गरीबी के कारण ट्रामा सेंटर लखनऊ ले जाने में भी असमर्थता व्यक्त किए जाने पर चिकित्सक द्वारा बी एच टी पर पिता द्वारा लिखवाया गया कि यदि कोई घटना घटित होती है तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी।
केस दो-पूराकलंदर थाना अंतर्गत ग्राम बरवा निवासी अर्पित कुमार पुत्र विनोद कुमार आयु 12 वर्ष बीते रविवार की शाम को पतंग उड़ाते छत से गिरकर घायल हो गया। घायल के परिजनों द्वारा शाम लगभग 6:15 पर जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक की ओर से 1012 रुपये का कमीशन युक्त इंजेक्शन पहले मंगवा कर लगाया गया। फिर उसके बाद सीटी स्कैन करवाया गया।ख़्स बात यह है कि ईएमओ को सिटी स्कैन करवाने का अधिकार नहीं है। अगर कोई गंभीर मरीज आवे तो उसे भर्ती कर आन काल चिकित्सक को बुलाकर दिखाना चाहिए। यदि आन काल चिकित्सक या सर्जन उचित समझेगा तो सिटी स्कैन अल्ट्रासाउंड एडवाइज करें। परंतु 1000 से लेकर 1200 रुपया कमीशन मिलने के चलते धड़ाके से ई एम ओ द्वारा सिटी स्कैन व अल्ट्रासाउंड लिखा जा रहा है।
शासन प्रशासन स्वास्थ सेवाओं की बेहतरी का दावा कर रहा है कमिश्नर से लेकर डीएम तक रोज सीएससी पीएससी और अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे है। आए दिन निरीक्षण और समीक्षा बैठकों में अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता के साथ जांच सुविधाओं की बहाली की हिदायत दी जा रही है। केंद्र और प्रदेश सरकार के एजेंडे में प्रमुखता में शामिल अयोध्या नगरी को मेडिकल कॉलेज तो दे दिया गया लेकिन जनपद की स्वास्थ्य सेवाएं माशा अल्ला हैं। हाल यह ठीक जिले में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद गंभीर रोगी सरकारी अस्पतालों से लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर किए जाते हैं। जिला चिकित्सालय मैं स्थापित एकमात्र सीटी स्कैन मशीन 8 अगस्त सन 2017 से खराब पड़ी है। जिले के प्रभारी मंत्री के समक्ष यह मामला उठ चुका है लेकिन अभी तक प्रदेश सरकार इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर पाई।

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फरमान का फायदा उठा रहे डॉक्टर

अधिकारियों की ओर से निरीक्षण में डाक्टरों के साथ हिदायत दी गई है कि बाहर की दवाएं लिखी तो मुकदमा दर्ज कर जेल भिजवाया जाएगा। एक ओर सरकारी अस्पतालों में दवाओं का टोटा है तो सरकारी डॉक्टरों ने अधिकारियों के फरमान का ठीकरा मरीजों पर फोड़ना शुरू कर दिया है। हाल यह है कि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीज हटा हारकर मजबूर होकर प्राइवेट नर्सिंग होम और चिकित्सकों के आवास पर पहुंचने को मजबूर है। यही हाल जांच का भी है सीटी स्कैन मशीन खराब होने के चलते डॉक्टर धड़ल्ले से प्राइवेट पैथोलॉजी में जांच रेफर कर रहे हैं और मोटा कमीशन वसूल रहे। प्रतिवाद करने पर मरीजों को लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जा रहा है। लखनऊ ना भेजने की बात कहने पर डॉक्टर जबरिया कुछ होने पर जिम्मेदार ना होने की बात लिखवा रहे हैं।

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