कोरोना को लेकर रामनवमी मेले जैसे ही रहेंगे इंतजाम
अयोध्या। राम नगरी के ऐतिहासिक चैत्र रामनवमी मेले के बाद अब सावन झूले मेले में भी श्रद्धालुओं के शिरकत की मनाही होगी। सावन माह में राम सीता तो झूला झूलेंगे लेकिन श्रद्धालुओं को इनका दर्शन नहीं मिलेगा। सावन माह में न तो मेले का आयोजन होगा और न ही श्रद्धालु शिवालयों में अभिषेक कर पाएंगे।
संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासन राम नगरी को सील करने की कवायद में जुट गया है। 1 जुलाई से ही राम नगरी की ओर जाने वाले मार्गो पर कड़ा पहरा बिठा दिया जाएगा।
कोरोना महामारी को लेकर प्रशासन ने राम नगरी के ऐतिहासिक रामनवमी मेले पर अघोषित प्रतिबंध लगाया था। राम नगरी में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। यही कवायद सावन झूला मेला में भी दोहराने की रणनीति जिला प्रशासन ने तैयार की है। महामारी के चलते मोक्षदायिनी सरयू में सामूहिक स्नान पर रोक है और राम नगरी समेत पूरे जनपद में सामूहिक जमावड़े पर पाबंदी लागू है। अभी सूर्य ग्रहण के बाद सरयू स्नान को उमड़े 353 लोगों के खिलाफ प्रशासन में महामारी अधिनियम के तहत कार्यवाही की थी।
मणि पर्वत से होती है झूलनोत्सव की शुरुआत
सावन माह में राम नगरी के विभिन्न मठ मंदिरों में विराजमान रामलला वह माता सीता के विग्रह को झूला झुलाया जाता है। इसकी शुरुआत पुरातात्विक मणि पर्वत से होती है। झूलनोत्सव के प्रथम दिन विभिन्न मठ मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित विग्रह रथों पर सवार होकर गाजे-बाजे और साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं के साथ मणि पर्वत आते हैं और यहां पर झूला झूलने के बाद अपने-अपने मठ मंदिरों को वापस जाते हैं।झूलनोत्सव को लेकर मठ मंदिरों में आकर्षक झांकी सजाई जाती है और जनपद ही नहीं आसपास के जनपदों तथा दूर दराज से लोग इस शोभायात्रा और झूलनोत्सव को देखने के लिए आते हैं। सावन माह में आने वाले श्रद्धालु सरयू में स्नान दान के साथ विभिन्न मठ मंदिरों में पूजन अर्चन करते हैं। सावन माह के शिव से जुड़े होने के चलते श्रद्धालुओं की बड़ी तादाद शिवालयों पर जलाभिषेक और अपने क्षेत्र के शिवालयों पर जलाभिषेक के लिए सरयू से जल ले जाने के लिए भी आते हैं।
संत महंत पुजारी पंडो व दुकानदारों में बेचैनी
राम नगरी के मठ मंदिरों सरयू घाट के पंडों मठ मंदिरों के पुजारियों तथा राम नगरी के दुकानदारों के लिए श्रद्धालु आर्थिक कमाई का जरिया है। मूल रूप से इनकी आर्थिक व्यवस्था मेलों और पर्वों पर आने वाले श्रद्धालुओं पर ही टिकी है। कोरोना महामारी के चलते रामनवमी मेला नहीं हो सका और काफी दिन मठ मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे। अब सावन झूला मेला पर रोक को लेकर यह तब का बेचैन है। घाट के पंडो का कहना है कि उनकी रोजी रोटी कैसे चलेगी। मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत महंत कमल नयन दास का कहना है कि अयोध्या में चारों तरफ मंदिर है। श्रद्धालुओं के आने से मंदिरों का खर्चा चलता है। ऐसे में सभी के सामने समस्या है लेकिन कोरोना से लोगो को बचाने के लिए भीड़ भाड़ पर रोक ही एकमात्र विकल्प है।
डीएम ने कहा सील की जाएगी अयोध्या
जिला अधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण से बचाव हेतु यह आवश्यक है कि भीड़ भाड़ न एकत्र होने पाए। इसी के चलते प्रदेश सरकार ने कावड़ यात्रा पर रोक लगाई है। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से राम नगरी को सील कर दिया जाएगा। किसी भी बाहरी श्रद्धालु को राम नगरी में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इस बाबत संत महंतों ने भी अपील की है।