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मेले में पराली मैनेजमेंट होगा केंद्र में
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पूर्वांचल के 20 जिलों से पचास हजार किसान लाने की तैयारी, मेले का थीम कृषि अवशेष प्रबंधन रखा गया है ,कई अन्य तकनीकी ज्ञान से लैस होंगे किसान
कुमारगंज। जहां एक और पर्यावरण के बढ़ते प्रदूषण से सरकारों की परेशानी बढ़ी है वहीं हालिया दिनों में देश की राजधानी दिल्ली सहित पूरे एनसीआर को पराली के उठते हुए धुएं ने तबाह कर रखा है ,देश भर के कृषि वैज्ञानिकों में पराली मैनेजमेंट को लेकर विचार विमर्श हुआ है इसी के मद्देनजर इस बार 7 व 8 दिसंबर को कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले कृषि मेले का थीम पराली मैनेजमेंट ही रखा गया है। इसके अंतर्गत बाकायदा प्रक्षेत्रों में पराली मैनेजमेंट कर इसे किसानों को दिखाया व समझाया जाएगा कृषि मेले में पूर्वांचल के तकरीबन 20 जिलों के पचास हजार किसानों को लाने की तैयारी कृषि विश्वविद्यालय कर रहा हैद्य इसके अतिरिक्त मेले में पशुधन प्रक्षेत्र पर कंपोस्ट पिट प्रबंधन तथा समन्वित चारा उत्पादन , एकीकृत फसल प्रणाली का प्रदर्शन , मिट्टी एवं पानी की जांच, रबी फसलों शाक भाजी एवं फलों के उन्नत बीज व पौधों की बिक्री ,विभिन्न फसलों की उन्नति बीज एवं शंकर प्रजातियों की जानकारी ,मत्स्य पालन ,मधुमक्खी पालन, पशुपालन ,बटेर पालन ,एवं मुर्गी पालनद्य बेरोजगार युवकों के लिए कस्टम हायर सर्विस की तकनीकी जानकारी , कृषि एवं ग्रामीण विकास से संबंधित पुस्तकों की बिक्री ,पूर्वांचल खेती के सदस्य बनाने की विशेष सुविधा, किसानों एवं कृषक महिलाओं के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता ,खाद्यान्न फसल फल फूल सब्जी की फसल प्रतियोगिता समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी किसानों को विश्वविद्यालय प्रशासन एवं देश भर से आए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी जाएगी।
निदेशक प्रसार डा. एपी राव ने बताया कि कृषि मेले में इस बार कृषि अवशेष प्रबंधन पर पूरा फोकस होगा किसान इस विधा को सीख कर जाएं और खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं, कृषि मेले में दूर दराज से आने वाले किसानों को नई तकनीकी का ज्ञान मिले इसका प्रयास किया जा रहा है जिससे कम लागत में उन्हे अधिक पैदावार मिल सके।