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कहा-सनातन परम्परा में जातिपात व अस्पृश्यता का नहीं है भाव
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सीएम योगी ने किया समरसता कुम्भ का उद्घाटन
अयोध्या। वाल्मीकि ने रामायण की रचना कर हमें श्रीराम से साक्षात्कार कराया श्रीराम हिन्दुओं के आराध्य हैं वेद की ऋचाएं लिखने वाले ऋषि कौन थे आज जिन्हें दलित कहा जाता है उन्हीं के वह पूर्वज हैं। सनातम परम्परा जातिपात, अस्पृश्यता, सामाजिक वैमनस्यता का भाव नहीं है। यह विचार डा. राममनोहर लोहिया अवध विवि के नवीन परिसर में आयोजित दो दिवसीय समरसता कुम्भ का उद्घाटन करने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण दुनिया के अंदर जितने रामायण है उनका आधार बनी है। महर्षि वाल्मीकि कौन थे, महर्षि वाल्मीकि हमारी मुक्ति के आधार राम है हमारे आदर्श राम है और हम सब का भगवान राम से साक्षात्कार कराने वाले महर्षि वाल्मीकि ही है और हम उन्हीं की परंपरा को भूल जाते हैं। वाल्मीकि समुदाय के लोगों से छुआछूत करते हैं। यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला है। विचार आचार में समानता से ही व्यक्ति की सफलता उसकी मुक्ति और उसके नाश का कारण बनता है। जब चरित्र में दोहरापन है तब व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता इसलिए आचार और विचार में सौम्यता बेहद आवश्यक है ।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने वेदों से हम सब का साक्षात्कार कराया उन महर्षियों को हम भूल गए हमने उस परंपरा को भुला दिया हम आज राहुल गांधी की तरह अपना नया गोत्र बनाने लगे तो दुर्गति तो होनी ही है, इसीलिए मैं आपसे कहने आया हूं कि विदेशी जो चाहते थे वह हमने आसानी से स्वीकार कर लिया जो भारत की परंपरा के दुश्मन चाहते थे उसे हमने अंगीकार कर लिया। रामायण और महाभारत से पुरातन ग्रंथ और क्या हो सकता है हमने उसे सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ मानकर एक स्थान पर रख दिया जिसे सिर्फ कथावाचक ही पढ़ सकते हैं और कथा में ज्ञान बाँटते हैं बाकी सब सुनते हैं। इतिहास लिखने का जिम्मा हमने उनको दे दिया जिनका खुद का इतिहास 2000 साल पुराना भी नहीं है। जिनका स्वयं का अस्तित्व नहीं है वह आज हमारे अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा भारतीय समाज में हमारी सनातन परंपरा ने कभी जाति धर्म अस्पृश्यता को महत्व नहीं दिया। अयोध्या की धरती पर इस बात का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की परंपरा ने कभी अस्पृश्यता के भाव को नहीं माना। निषादराज उनके मित्र थे शबरी कौन थी हनुमान कौन थे बंदर और भालू कौन थे उनके वनवासी जीवन के सहयोगी कौन थे और रामराज्य की आधारशिला रखने वाले कौन थे। जब हम वास्तविकता का आभास नहीं करेंगे जब गूगल की जानकारी के आधार पर फेसबुक के आधार पर भावनाओं को व्यक्त करेंगे तो क्या होगा। मैं सवाल करता हूं कि क्या रामायण के बारे में गूगल बताएगा, गूगल राम वाल्मीकि रामायण के सामने फेल है, जो हमारे ग्रंथ कहेंगे जो उपनिषद कहेंगे वह सही है ना कि गूगल जो कहेगा वैसा ही होगा। लेकिन हम गूगल के आधार पर तय करते हैं कि क्या सही क्या गलत और उसके बाद हम अपनी टिप्पणी करते हैं। बिना सोचे समझे सीधे टिप्पणी करने की परिपाटी शुरू हो गई है। उन्होंनेकहा कि हमारे देश में कुंभ एक ऐसा आयोजन होता है जहां व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं होता, क्षेत्र का भाषा का ,नाम का मत का ,संप्रदाय का कोई भेदभाव किसी के साथ नहीं होता। समरसता का ऐसा संगम भारत की परंपरा में ही दिखाई देता है। इस कुंभ के उपलक्ष्य में पांच स्थानों पर समरसता कुंभ के आयोजन का उद्देश्य ही है कि आखिरकार कुंभ का उद्देश्य क्या है यह बताया जा सके, आयोजन का उद्देश्य सिर्फ श्रेय लेना नहीं है।
सीएम योगी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जैसे आज देश की राजनीति में हावी होने के लिए लोग अपना गोत्र बता रहे हैं ,जो लोग कहते थे कि हम एक्सीडेंटली हिंदू हैं उन्हें आज एहसास हो रहा है कि वह सच्चे मायनों में हिंदू हैं। मुझे लगता है यह भारत की सनातन आस्था की विजय है ,हमारी वैचारिक विजय है। उन्होंने कहा कि आपने देखा होगा कि हाल ही में सबरीमाला मामले को लेकर हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। जबकि सभी जानते हैं कि वहां की परंपरा क्या है। जो कभी मंदिर नहीं गए वह सबरीमाला पर बयान दे रहे हैं उसी तरह कुम्भ के बड़े आयोजन को लेकर भी एक माहौल बनाया जा रहा है दलित विरोधी आयोजन करार दिया जा रहा है। यह तो मानवता की ऐसी धरोहर है जिसमें सभी संप्रदाय के लोग प्रेम से श्रद्धा से शामिल हो रहे हैं। कोई बैलगाड़ी से चला आ रहा है कोई साइकिल से चला आ रहा है कोई पैदल चला रहा है कोई गाड़ी से चला रहा है। उसे उसे कोई मतलब नहीं कि सरकार ने क्या व्यवस्था की है कैसे इंतजाम है इन सब बातों से अलग प्रयागराज कुंभ में लोग आते हैं। उन्होंने कहा कि कुंभ का आयोजन पर्यावरण विरोधी नहीं पर्यावरण का हितैषी है कुंभ का आयोजन नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए है कुंभ का आयोजन भारत की हर जाति हर धर्म हर संप्रदाय हर वर्ग के लिए संगम के तट पर डुबकी लगाकर मां गंगा का आशीर्वाद लेकर के संगम तट का आशीर्वाद लेकर पुण्य पुण्य कृत कृत करने के लिए होता है और उस भाव को आत्मसात करने के लिए हम सब तैयार हैं। छुआछूत और अस्पृश्यता का भाव कभी स्वीकार नहीं यह कुंभ एक बार फिर सामाजिक समरसता और आपसी प्रेम का प्रतीक बनेगा मेरी यह शुभकामना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीराम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने की। कार्यक्रम में मंच पर मौजूद विशिष्ट अतिथियों में मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री ,आरएसएस के सर कार्यवाही भगैय्या, आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य जय प्रकाश,पूना से आये गोविन्द देव गिरी ,सांसद लल्लू सिंह ,अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित आदि मौजूद रहे।