-संगीत की तेज आवाज़ लाती है मनोशारीरिक-दुष्प्रभाव
अयोध्या। संगीत से ब्रेन में हैप्पी हार्मोन इंडोर्फिन हार्मोन का श्राव होता है जो मानसिक पीड़ा को कम करने में मददगार होता है। इस प्रकार संगीत को साइकिक पेन रिलीवर भी कहा जाता है। बस जरूरत है संगीत के वॉल्यूम व माड्यूल के बारे में जागरूक होने की।
सलाह-दुष्प्रभाव :
70 डेसिबल तक साउंड लेवल ही हमारे लिये सुरक्षित है जबकि डी जे साउंड की आवाज़ 100 से 145 के मध्य होती है । इस तेज आवाज़ डी जे संगीत से शरीर में उत्तेजना की स्थिति पैदा हो सकती है क्योंकि उत्तेजक व तनाव हार्मोन डोपामिन व एड्रेनलिन बढ़ जाते हैं जिससे रक्तचाप व ह््रदय की धड़कन असामान्य हो जाती है। निद्रा चक्र से लेकर एकाग्रता, कार्य क्षमता व व्यवहार इससे दुष्प्रभावित हो सकते है।
तेज आवाज व इयर फोन के ज्यादा इस्तेमाल से कान से मस्तिष्क के टेम्पोरल लोब तक ऑडिटरी नर्वसेल क्षतिग्रस्त होकर स्थायी बहरेपन का कारण बन सकती है या कान मे सीटी जैसी आवाज़ पैदा कर सकती है या सुनने की क्षमता में कमी ला सकती है। शोर के एक्सपोजर से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसाल का लेवल बढ़कर गर्भस्त शिशु मे बहरेपन व प्रेग्नैंट महिला के गर्भपात का भी कारण बन सकता।
तेज आवाज़ व डी जे लाइट का कॉम्बिनेशन तो खतरे का डबल डोज है जिससे आँखों की रौशनी के खतरे से लेकर माइग्रेन, सर दर्द, लकवा, मिर्गी तथा ह््रदयाघात तक हो सकता है क्योंकि कोर्टिसाल व एड्रेनलिन हार्मोन की अधिकता ब्लड शुगर व ब्लड प्रेशर को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकते हैं और फिर रही सही कसर पूरी कर देती है शराब या अन्य नशा जो मनोत्तेजक रसायन डोपामिन का इंस्टेंट चार्जर है जो स्टंट बेहैवियर , खतरनाक डांस स्टेप व आक्रमकता जनित मारपीट का कारण बन सकती है। यह बातें विश्व संगीत-दिवस , 21-जून संदर्भित वार्ता में डा आलोक मनदर्शन ने कही।