श्रीराम के जीवन आदर्श और मूल्यों से भारतीय जनमानस सदैव प्रेरित हुआः प्रो. मनोज दीक्षित

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में राम नाम अवलम्बन एकू विषय पर तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय ई-सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। ई-सेमिनार के दूसरे दिन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रवादी विचारक एवं पत्रकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने राम नाम अवलंबन एकू विषय पर विस्तृत रूप से भारतीय सनातन संस्कृति के मूल्यों पर प्रकाश डाला। श्री कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वर्तमान परिवेश में अवध विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी दुनिया के अन्य विश्वविद्यालयों से कहीं ज्यादा है। भारत को आजादी के 70 वर्ष बीत चुके हैं परंतु अभी हमें काफी कुछ प्राप्त करना बाकी है। इसके लिए सबसे पहले हमें सनातन संस्कृति को अपनाना होगा। आज भारत में सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां जो व्याप्त है इसकी प्रमुख वजह यह है कि हमने इतिहास से सबक नहीं लिया। अब यह आवश्यक हो गया है कि भारत अपना इतिहास गणित और साहित्य ठीक करें क्योंकि बड़े संघर्षों के बाद आज भारत को वह अवसर प्राप्त हुआ है। इस समय भारत वर्ष जिस स्थिति से गुजर रहा है यह महज इत्तेफाक नहीं है दुनिया आपकी तरफ देख रही है और आपके पुरुषार्थ को भी समझ रही है आपकी शक्ति क्या है सरोकार और संस्कृति या क्या हैघ् दुनिया में व्याप्त इस महामारी से केवल सनातन संस्कृति ही मुक्ति दिला सकती है। प्रत्येक भारतवासी नालंदा विश्वविद्यालय के पूर्वजों की संतान है वहां शास्त्रार्थ होता था और व्यापक विमर्श के उपरांत ही नीतियां तय होती थी। परंतु आज भारत में जाति और धर्म वर्ग की राजनीति ने काफी कुछ नुकसान किया है। श्री कुलश्रेष्ठ ने बताया कि डॉ0 भीमराव अंबेडकर ने भारतीय जनमानस को जो कुछ देना चाहा उनके विचारों ने इस देश को एक नई दिशा दी। परंतु दुर्भाग्य उनके विचारों को कुछ लोगों ने जनता के समक्ष आने ही नहीं दिया। श्री कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जिनका इतिहास ठीक नहीं होता उनका वर्तमान नहीं ठीक होता और जिनका वर्तमान नहीं ठीक होता उनका भविष्य नहीं ठीक हो पाता। हजारों हजार वर्ष पुरानी हमारी संस्कृति जो कसौटी पर कसकर बनाई गई थी आज उसे झूठलाए जाने का व्यापक प्रयत्न किया जा रहा है। यह कोविड-19 महामारी पूरी दुनिया में सनातन संस्कृति को स्थापित करने के लिए आई है। कोविड-19 के बाद भारत दुनिया में एक नई भूमिका निभाने जा रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि कोविड-19 महामारी को अवसर के रूप में लेना है। इस आपदा की चुनौती को सावधानी से मुकाबला करना है। इस महामारी ने लोगों की सोच को भी बदला है दुनिया बदल रही है और लोगों ने अपनी सीमाओं को भी जाना है। ऐसी स्थिति में राम नाम अवलंबन एकू से शारीरिक शक्ति के साथ साथ मानसिक रूप से भी शक्तिशाली होने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति में ऐसे उपायों की कोई कमी नहीं है। प्रभु श्री राम के जीवन आदर्श और मूल्यों से भारतीय जनमानस सदैव ही प्रेरित होता है। हमारे धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में विपदा काल में ईश्वरीय स्मरण से प्राप्त शक्तियों को जन-जन तक पहुंचाया। भारतीय संस्कृति को शक्ति ऋषि मनीषियों और धर्म शास्त्रों से मिली है। हजारों वर्ष तक सामाजिक रूप से व्याप्त परंपराएं मानवीय मूल्यों को पोषित करती आई है। विशिष्ट अतिथि संस्थापक एवं अध्यक्ष शिव दुर्गा मंदिर बे एरिया सनीवेल, कैलीफोर्निया के कृष्ण कुमार पाण्डेय ने इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिभाग कर भारतीय संस्कृति और प्रभु श्रीराम के जीवन आदर्शों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री राम आदर्श मूल्यों के पोषक हैं। विश्वामित्र ने दुनिया से राक्षसों का संहार के लिए संकल्प लिया और प्रभु श्रीराम ने उनके इस संकल्प को पूरा किया। वर्तमान परिस्थिति में प्रभु श्रीराम के कर्तव्य पालन का अनुसरण कर हम एक नई दिशा प्राप्त कर सकते हैं। भाई का प्रेम प्रभु श्रीराम से सीखना होगा। संसार में शारीरिक मानसिक पीड़ा कम करने के लिए राम नाम का अवलंब एकमात्र विकल्प है। शिक्षा में संस्कार की आवश्यकता होती है क्योंकि व्यवसायिक शिक्षा रोजगार दे सकती है संस्कार नहीं। विशिष्ट अतिथि पूर्व राष्ट्रीय संयोजक बजरंगदल के प्रकाश शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने दुनिया को मार्ग दिखाया है। भारत के कण-कण में राम बसते हैं सब कुछ राम में ही है और राम ही सब कुछ है। अयोध्या के महलों में राम बालक बनकर एक आदर्श राजा के समान पुत्र भाई और पति के रूप में भारतीय जनमानस के बीच विद्यमान हैं। महाकवि तुलसीदास जी ने कहा है कि कलयुग केवल नाम अधारा। सुमिर सुमिर नर उत्तरा ही पारा। भारतीय संस्कृति जैसा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं है राम तीनों लोको समेटे हुए हैं। राम भक्त हनुमान के सीने में सीता और राम के विग्रह विराजमान हैं। सत्र का शुभारम्भ सरस्वती वंदना इलेक्ट्रानिक माध्यम से से की गई। उसके उपरांत कुलगीत की प्रस्तुति की गई। ई-सेमिनार का तकनीकी संचालन इंजीनियर पारितोष त्रिपाठी, इंजीनियर रमेश मिश्र, इंजीनियर विनीत सिंह एवं संजीत पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 रमापति मिश्र ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से प्रतिभागी जुड़ें रहे।