बीकापुर। आवास विहीन वनवासी समाज के दर्जनों मजदूर जो बाहर प्रदेशों से आए हैं गांव से दूर बागों में होम क्वारंटीन हो रहे हैं। खुले आसमान के नीचे रह रहे इन मजदूरों को बाग में आंधी तूफान बारिश से होने वाले जोखिम का खतरा सता रहा है। सप्ताह भर से ज्यादा होने के बावजूद अभी तक सरकारी गैर सरकारी कोई भी व्यक्ति इनका हाल जानने नहीं पहुंचा। जबकि सरकार द्वारा इनके लिए तमाम सुविधाएं देने की घोषणा की गई है। साइकिल से पश्चिम बंगाल से गांव पहुंचने वाले इन मजदूरों के लिए निगरानी समितियां फ्लॉप शो साबित हो रही हैं।
विकासखंड तारुन की ग्राम पंचायत जाना बाजार उमापुर कैथवलिया, मयनदीपुर, पंडित का पूरा कॉलोनी सहित अन्य गांव में बाहर प्रदेशों से मजदूर आए हुए हैं जिन्हें यह मलाल है कि अभी तक उनके पास तक निगरानी समिति का कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं गया और ना कोई उन्हें शासन सरकार की कोई व्यवस्थाएं ही मिल रही हैं। होम क्वारनटीन के नाम पर यह मजदूर कोई गांव में छप्पर के नीचे तो कोई बाग में खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। साइकिल से चलकर 24 मई को गांव पहुंचे सीताराम, रोशन ने बताया कि उनके पास सिर्फ एक छप्पर है जिसके अंदर बच्चे व महिलाएं हैं इसलिए वह घर में नहीं रह सकता मजबूरी में गांव से दूर बागहुई पड़ा है। यही उमापुर कैथवलिया के ही घनश्याम, भवानी फेर, अंकुर, रामलाल, विजय कुमार, पुत्तीलाल आज कई लोगों ने भी अपने पुरसा हाल बताते हुए कहा कि हम लोगो के पास छप्पर के अलावा और मकान नहीं हैं। इसी बाग में खुले आसमान के नीचे पड़े हैं। सरकार की तरफ से इनके राशन कार्ड की व्यवस्था, राशन की व्यवस्था, पैसों की व्यवस्था के साथ अन्य व्यवस्था दी जाने की घोषणा की गई हैइसी के लिए निगरानी समितियां गांव में गठित करके जिम्मेदारी उनके ऊपर थोप दी गई है। परंतु इन मजदूरों ने कहां एक पॉलिथीन की भी व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई कि जो सर ढकने के लिए काम आवे। बाग में पेडकी डालों के गिरने का खतरा व बारिश होने से भीगने का खतरा बराबर बना है जिसके चलते अन्य परेशानियां हो सकती हैं। मजदूरों ने शासन द्वारा इस वैश्विक महामारी में दी जाने वाली सुविधाओं की मांग की है।
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खुले में रहने को मजबूर दर्जनों प्रवासी
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