माहवारी स्वच्छता दिवस विशेष : माहवारी महामारी के लिए नहीं रुकती

by Next Khabar Team
A+A-
Reset

लॉकडाउन के चलते सेनेटरी पैड्स न मिलने पर महिलाएं कर रहीं कपड़े का इस्तेमाल
• एमएचएआई द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से हुआ ख़ुलासा
• महामारी के बाद 67% संस्थानों को रोकनी पड़ी सामान्य कार्रवाई

अयोध्या । लॉकडाउन के कारण कई जगह सेनेटरी पैड की अनुपलब्धता ने महिलाओं एवं लड़कियों को डिस्पोजेबल पैड की जगह कपडे के पैड इस्तेमाल करने पर बाध्य किया है |
कोरोना काल में कपडे का सेनेटरी पैड बेहतर विकल्प :
रेगुलर सेनेटरी पैड के विकल्प के रूप में कपड़े से बने पैड को भी समान रूप से प्रचारित किया जा सकता है, जैसे कपड़ों से बने पैड को 4-6 घंटे तक इस्तेमाल किया जाए, पैड बदलने से पूर्व एवं बाद में हाथों की सफाई की जाए, साफ़ सूती कपडे से बने पैड ही इस्तेमाल में लाये जाएं और पैड को अच्छी तरह धोने के बाद धूप में सुखाया जाए ताकि किसी भी तरह के संक्रमण के प्रसार का खतरा कम हो सके ।

लंबे समय से लॉकडाउन ने सेनेटरी पैड की उपलब्धता को किया प्रभावित :

कई राज्यों एवं जिलों में सरकार द्वारा स्कूलों में सेनेटरी पैड का वितरण किया जाता है लेकिन लॉकडाउन के कारण स्कूलों के बंद होने से बहुत सी लड़कियों एवं उनके परिवार के अन्य सदस्यों को सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं । लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड का निर्माण भी बाधित हुआ है जिससे ग्रामीण स्तर के रिटेल पॉइंट्स पर पैड की उपलब्धता भी बेहद प्रभावित हुयी है । गाँव के जो लोग जिला स्तर से सेनेटरी पैड की खरीदारी कर सकते थे, वह भी लॉकडाउन के कारण यातायात साधन उपलब्ध नहीं होने से वहां तक आसानी से पहुँच नहीं पा रहे हैं ।
सेनेटरी पैड की आसान उपलब्धता में होल सेलर्स को भी दिक्कत का सामना करन पड़ रहा है, निरंतर दो महीने तक देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सेनेटरी पैड का होलसेल वितरण काफी प्रभावित हुआ है । यद्यपि धीरे-धीरे इसे पुनः नियमित करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अधिक यातायात कॉस्ट ( रोड एवं हवाई भाड़ा) अभी भी चुनौती रहने वाला है । अभी सेनेटरी पैड के सीमित उत्पादन की संभावना बनी रहेगी, क्योंकि फैक्ट्री के अंदर मजदूरों को सामाजिक दूरी का ख्याल रखना होगा । इसके साथ ही जिन फैक्ट्रियों में प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक थी, वहाँ मजदूरों की कमी की समस्या बढ़ सकती है ।

इसे भी पढ़े  अविवि की स्वर्ण जयंती की तैयारियों को लेकर कुलपति ने संयोजकों के साथ की बैठक

एमएचआई ने किया खुलासा :

यह खुलासा वाटर ऐड इंडिया एंड डेवलपमेंट सौलूशन द्वारा समर्थित मेंसट्रूअल हेल्थ अलायन्स इंडिया (एमएचएआई) द्वारा माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद से जुड़े संस्थानों से इस वर्ष के अप्रैल माह में सर्वेक्षण किया गया । एमएचएआई भारत में मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों, शोधकर्ताओं, निर्माताओं और चिकित्सकों का एक नेटवर्क है । सर्वेक्षण में महामारी के दौरान सेनेटरी पैड का निर्माण, पैड का समुदाय में वितरण, सप्लाई चेन में चुनौतियाँ, सेनेटरी पैड की समुदाय में पहुँच एवं जागरूकता संदेश जैसे विषयों पर राय ली गयी । माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद को लेकर एमएचएआई द्वारा कराये गए सर्वे में देश एवं विदेश के 67 संस्थानों ने हिस्सा लिया ।

महामारी के बाद 67% संस्थानों को रोकनी पड़ी सामान्य कार्रवाई :

कोविड-19 के पहले माहवारी स्वच्छता जागरूकता एवं उत्पाद से जुड़े 89% संस्थान सामुदायिक आधारित नेटवर्क एवं संस्थान के माध्यम से समुदाय तक पहुँच रहे थे, 61% संस्थान स्कूलों के माध्यम से सेनेटरी पैड वितरित कर रहे थे, 28% संस्थान घर-घर जाकर पैड का वितरण कर रहे थे, 26% संस्थान ऑनलाइन एवं 22% संस्थान दवा दुकानों एवं अन्य रिटेल शॉप के माध्यम से सेनेटरी पैड वितरण कार्य में लगे थे, लेकिन महामारी के बाद 67% संस्थानों ने अपनी सामान्य कार्रवाई को रोक दी है । कई छोटे एवं मध्य स्तरीय निर्माता सेनेटरी पैड निर्माण करने में असमर्थ हुए हैं जिसमें 25% संस्थान ही निर्माण कार्य पूरी तरह जारी किए हुए हैं तथा 50% संस्थान आंशिक रूप से ही निर्माण कार्य कर पा रहे हैं ।

इसे भी पढ़े  कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने मिल्कीपुर में दोबारा मतदान कराने की किया मांग

पैड निर्माण के रॉ मेटेरियल आयात में भी चुनौतियाँ :

दूसरे देशों से आयात रोके जाने से कई सामग्रियों के लिए इससे चुनौती बढ़ी है । विशेषकर माहवारी कप्स के आयात में काफी मुश्किलें आयी हैं, भारत और अफ्रीका के कई मार्केटर्स यूरोप में बने कप्स को ही खरीदते हैं ताकि आइएसओ की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके । अब इनके आयात में समस्या आ रही है । डिस्पोजेबल सेनेटरी पैड के लिए जरूरी रॉ मेटेरियल वुड पल्प होता है, जिसकी उपलब्धता भी लॉकडाउन के कारण बेहद प्रभावित हुयी है । लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन बिक्री और कूरियर सेवाएं चालू नहीं थीं । इससे नियमित मांग और राहत प्रयासों दोनों को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के बीच उत्पाद मांग की सेवा के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा ।

महिलाओं एवं लड़कियों की फीडबैक भी जरुरी :

इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वीमेन (ICRW) एशिया की टेक्निकल एक्सपर्ट सपना केडिया कहती हैं, माहवारी स्वच्छता कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए इस संबंध में महिलाओं एवं लडकियों से भी फीडबैक लेनी चाहिए. इस फीडबैक में मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पादों एवं सेवाओं की उपलब्धता, पहुंच, लागत, स्वीकार्यता (गुणवत्ता और अन्य स्थानीय कारक) को शामिल करना चाहिए ।

नेक्स्ट ख़बर

अयोध्या और आस-पास के क्षेत्रों में रहने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना स्रोत है। यह स्थानीय समाचारों के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक घटनाओं की प्रामाणिकता को बनाए रखते हुए उपयोगी जानकारी प्रदान करता है। यह वेबसाइट अपने आप में अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक डिजिटल दस्तावेज है।.

@2025- All Right Reserved.  Faizabad Media Center AYODHYA

Next Khabar is a Local news Portal from Ayodhya