The news is by your side.

स्वस्थ अंतर्दृष्टि करती है युवतियों के स्वास्थ्य में अभिवृद्धि :डॉ. आलोक

भावनात्मक जागरूकता लाती है स्वास्थ्य व्यवहार में अनुकूलता

अयोध्या। युवा स्वास्थ्य मनोजड़त्व को तोड़ने तथा अभिमुखीकरण करने के उद्देश्य से राजा मोहन मनूचा गर्ल्स पी जी कॉलेज में एन एस एस वालंटियर्स को भारत सरकार की फैमिली वेलफेयर संस्था सिफ्सा द्वारा दो दिवसीय ट्रेनिंग वर्कशॉप का समापन हुआ। युवा मनोपरामर्शदाता व वर्कशॉप के प्रमुख ट्रेनर डॉ आलोक मनदर्शन ने स्वास्थ्य व्यवहार बदलाव की संकल्पना पर जोर दिया । वर्कशॉप के उद्घाटन सत्र की शुरुवात कॉलेज की प्राचार्या डॉ ज़रीन नज़र व एन एस एस कोऑर्डिनेटर डॉ सुषमा पाठक द्वारा किया गया ।कार्यशाला में डॉ पूजा सिंह तथा कॉलेज व सिफ्सा स्टाफ सहित सैकड़ो एन एस एस स्वयंसेवी क्षात्राएँ उपस्थित रहे।
डॉ मनदर्शन ने बताया कि मनोयुक्तिया या मनोरक्षा युक्तियाँ वे मानसिक प्रक्रियाएं है जिनका प्रयोग हमारा अर्धचेतन मन विपरीत या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए और त्वरित मनोशुकुन प्राप्त करने के लिए करता है। इसमे एक कैटेगरी तो सकरात्मक या स्वस्थ होती है,बाकी तीन केटेगरी रुग्ण या नकरात्मक होती है,जिसमें हम चुनौतियों से असहाय व निराश हो कर हमदर्दी के पात्र बनना पसंद करने लगते है और फिर जीवन भर हम इन्ही रुग्ण मनोयुक्तियों के चंगुल में फंस कर अपनी क्षमता का सम्यक उपयोग नही कर पाते है और असफल और नैराश्य भरा जीवन जीने लगते है।इन रुग्ण मनोरक्षा युक्तियों में इम्मेच्योर मनो रक्षा युक्ति, न्यूरोटिक मनोरक्षा युक्ति तथा सायकोटिक युक्ति शामिल है। जबकि सकरात्मक व स्वस्थ मनोरक्षा युक्ति मेच्योर युक्ति कहलाती है,इसमे मुख्य रूप से खुशमिज़ाजी,मानवीय संवेदना,सप्रेशन व सब्लीमेंशन आते है। भावनात्मक जागरूकता से ही सम्यक अंतर्दृष्टि का विकास स्वास्थ्य व्यवहार में बदलाव पूरे समाज मे लाया जा सकता है। जिससे जनस्वास्थ्य के लक्ष्य को पूरा किया जा सके । कार्यशाला के समापन पर वालंटियर श्रेया मालवीय, हुमा, अर्चना मालवीय, निधि मिश्रा, आकांक्षा कनौजिया व काजल सिंह को संयुक्त रूप से श्रेष्ठ वालंटियर का अवार्ड दिया गया।

Advertisements
Advertisements

Comments are closed.