किशोरो व किशोरियों में समान रूप से बढ़ रहा है अपोजिशनल डिफाएंट डिसऑर्डर ( ओडीडी)
फैजाबाद। इन दिनों किशोर या किशोरी के घर छोड़कर भाग जाने की घटनाये लगातार बढ़ रही है । जिला चिकित्सालय के किशोर मित्र क्लिनिक के शोध के अनुसार किशोर व किशोरियों में पलायनवादी व बगावत की बढ़ती मनोवृत्ति के पीछे इम्पल्स कंट्रोल डिसआर्डर नामक मानसिक विकार उभर कर सामने आया है।
किशोर आक्रामकता या भगोड़ेपन की प्रवित्ति एक गम्भीर मनोसामाजिक मुद्दा बनकर उभर चुका है। शोध में भगोड़ी मनोवृत्ति और इम्पल्स कंट्रोल डिसआर्डर के बीच प्रबल धनात्मक सहसंबंध पाया गया है। ऐसे किशोर व युवाओं ने अपनी इम्पल्स या रूग्ण-मनोवेग को नियंत्रित कर पाने की क्षमता में भारी कमी की स्वीकारोक्ति की है ।
जिला चिकित्सालय के किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन के अनुसार किशोरों का यह आक्रोशित पलायनवादी व्यवहार धीरे-धीरे एक मादक खिचाव का रूप ले लेता है। जिसका एक्टिव रूप घर से भाग जाने या जघन्य पलायनवादी कृत्य के रूप में सामने आ सकता है ।
दुष्प्रभाव:
इम्पल्स कंट्रोल डिसऑर्डर व्यवहार के किशोर व युवा आगे चलकर कम्पल्सिव-इम्पलसिव डिसआर्डर के शिकार हो जाते है, नतीजन उनमें एकांकीपन, आत्मविश्वास में कमी, आक्रोशित व्यवहार व अवसाद या उन्माद जैसी रूग्ण मनोदशा इस प्रकार हावी हो जाती है कि पढ़ाई व अन्य सकारात्मक कार्यों से उबन, अनिद्रा व अल्पनिद्रा, सर दर्द व चिड़चिड़ापन, नशाखोरी की सम्भावना प्रबल हो जाती है। यह मनोविकृति यहीं न रुककर और गंभीर रूप ले लेता है जिसे अपोजिशनल डिफायन्ट डिसऑर्डर (ओ डी डी ) कहा जाता है इसमें किशोर या किशोरी अपने से बड़ो की द्वारा डांट फटकार पाने पर या छोटो द्वारा भी छद्म अपमानित महसूस कर जाते है और आक्रोशित प्रतिरोध स्वरूप घर से भाग जाने या किसी भी स्तर तक जाने से गुरेज नही करते ।ये अपचारी व्यवहार न केवल किशोर बल्कि किशोरियों में भी काफी हद तक हावी हो चुका है ।
बचाव व उपचार:
ऐसे किशोर व किशोरियों की अन्तर्दृष्टि जागरूकता के माध्यम से उनमें रूग्ण- मनोवेग की पहचान करने तथा कम्पलसिव व्यवहार को रोकने की चेतना विकसित की जाती है। बुरी संगति से दूर रहने तथा सोशल मीडिया पर अपने इम्पलसिव व्यवहार पर संयम रखने का अभ्यास सकारात्मक परिणाम देता है। अभिभावक, शिक्षक व अन्य प्रियजन सोशल मीडिया व इंटरनेट की अति लिप्तता को रिवॉर्ड बेस्ड टैपेरिंग टेक्नीक मनोविशेषज्ञ से सीख कर सजग रोल माडलिंग करते हुए मैत्रीपूर्ण व सजग व्यवहार रखें तथा किशोर व्यवहार मोडिफिकेशन करते हुए रचनात्मक, मनोरंजक व स्पोर्टिंग गतिविधियों को प्रोत्साहित करें तथा ज्यादा अकादमिक प्रेशर न थोपें। जरूरत पड़ने पर मनोपरामर्श की कागनिटिव थिरैपी बहुत ही कारगर है।