महानगरों के स्टेशन जैसा नहीं है स्वरूप, स्टेशन के दक्षिण टिकट घर, आरक्षण केन्द्र और प्लेटफार्म नहीं
फैजाबाद (अयोध्या)। आजादी के 72 वर्षों बाद भी फैजाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन का अपेक्षित विकास नहीं हो सका। न तो यह स्टेशन दोहरीकरण रेलवे लाइन व विद्युतीकरण से आच्छादित हो सका और न ही स्टेशन के दक्षिणी छोर पर जहां पहले कभी लोको शेड था वहां का विस्तार कर उधर टिकटघर, आरक्षण कार्यालय और प्रतीक्षालय आदि का ही निर्माण हो सका।
ध्यातव्य है कि महानगर का बड़ा भाग फैजाबाद का ज्यादातर विस्तार दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वी दिशा में ही हो रहा है। इस ऐतिहासिक महानगर के उत्तरी दिखा में सरयू सलिला प्रवाहित होती है जिधर ज्यादा विस्तार की गुंजाइश नहीं है। स्थानीय रेलवे स्टेशन जो कि जंक्शन भी है पर विस्तार एवं विकास हेतु तमाम योजनाएं बनीं केन्द्र सरकार से कई बार धन भी आया किन्तु इसे आज तक वह स्वरूप नहीं दिया जा सका जो वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर और लखनऊ के रेलवे स्टेशन जंक्शन कब के ग्रहण कर चुके हैं।
फैजाबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिण ओर रेलवे की काफी जमीनें हैं। तीन कालोनियां जिसमें एक चौदहकोसी परिक्रमा नाका-मोदहा मार्ग के दक्षिण बगल स्थित है, बुरी तरह अतिक्रमण की शिकार है। उक्त कालोनी में घोसियाना के दूध व्यवसायियों ने पिछले चार दशक से भी अधिक समय से अतिक्रमण कर रखा है। जहां खुलेआम बड़ी संख्या में भैसें बांधी जाती हैं। रेलवे स्टेशन पर बीते 4 दशकों में कई स्टेशन अधीक्षक रेलवे मास्टर तथा अन्य बड़े अफसर आये किन्तु उक्त तबेले को नहीं हटा सके। उक्त रेलवे कालोनी में ढेर सारे लोग अनधिकृत रूप से वर्षों से रह रहे हैं जिसे रेलवे प्रशासन आज तक हटा नहीं सका।
हैरत की बात तो यह है कि रेलवे स्टेशन पर अक्सर विभाग का कोई न कोई बड़ा अफसर दिल्ली और लखनऊ से मुआयने हेतु आता रहता है किन्तु दक्षिणी क्षेत्र की दो कालोनियों और 40 स्वार्टर कालोनी की कभी सुधि नहीं लेता। ऐसे में तीनों कालोनियों का वर्षों से बुरा हाला है। कालोनियों की जहां सड़कें टूटी हैं वहीं नालियां या तो पट गयी हैं या फिर सफाई न होने से बजबजा रही हैं। इन कालोनियों में पार्कों का अभाव है जो हैं भी उनका कोई पुरसाहाल नहीं।
फैजाबाद जंक्शन पर विभिन्न ट्रेनों को पडऩे हेतु लगभग 80 प्रतिशत से अधिक यात्रियों को जीआईसी रेलवे क्रासिंग अथवा वहां बने उपरिगामी पुल तथा मोदहा रेलवे क्रासिंग से होकर स्टेशन पर जाना पड़ता है। मोदहा रेलवे क्रासिंग अक्सर बन्द रहती है जहां रोजना लम्बा जाम भी लगता है ऐसे में कभी-कभी यात्रियों की ट्रेनें छूट जाती हैं। यदि दक्षिणी क्षेत्र में भी प्लेटफार्मों, आरक्षण केन्द्र, टिकटघर, प्रतीक्षालयों और शौचालयों का निर्माण करा दिया जाय तो जहां रोज हजारों यात्रियों को सहूलियतें मिलेंगी वहीं स्टेशन का वेशकीमती भूभाग गुलजार हो जायेगा।
महानगर के उक्त स्टेशन के विकास और विस्तार हेतु कभी कोई ठोस कार्य योजना न बनाये जाने से यह बदहाली का शिकार है। फैजाबाद जो कि नवाबी काल में 9 वर्षों तक अवध सूबे की राजधानी रहने का गौरव प्राप्त कर चुका है वहीं यहां एक भव्य रेलवे स्टेशन जंक्शन न होना हर नागरिक को अखर रहा है। स्टेशन के मुख्य द्वार के सामने जहां सड़कें खस्ताहाल हैं वहीं उत्तरी क्षेत्र की कालोनियों और अस्पताल की स्थिति ठीक नहीं है। रेलवे मनोरंजन केन्द्र जहां वर्षों पूर्व तक काफी चहल-पहल रहती थी अपनी आभा खो चुका है। यद्यपि उक्त रेलवे स्टेशन के विकास हेतु सांसद लल्लू सिंह पूर्णरूपेण प्रयासरत हैं किन्तु उनका ध्यान दक्षिणी क्षेत्र में लोको शेड के पास आरक्षण केन्द्र, टिकटघर, प्रतीक्षालय आदि का निर्माण कराने की ओर नहीं जा रहा है जबकि उस दिशामें रेलवे प्रशासन के लिए काफी कुछ कर गुजरने की गुंजाइशें हैं।
गौरतलब है कि विश्वविख्यात धर्म नगरी अयोध्या की वजह से फैजाबाद का भी विशेष महत्व है इसलिए फैजाबाद और आचार्य नरेन्द्रदेव नगर सिटी स्टेशन का कायाकल्प समय का तकाजा है.
- रमेश त्रिपाठी