-शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस शिखर की प्रथम शिला का किया गया पूजन और प्रस्थापन
अयोध्या। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर की प्रथम शिला का पूजन और प्रस्थापन किया गया। गुरूवार को वैदिक आचार्यों ने शिखर की पहली शिला का विधि विधान पूर्वक पूजन किया। इस शिला से शिखर निर्माण का प्रारंभ किया गया। शिला पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने श्रीराम नाम भी अंकित किया। राममंदिर की ऊंचाई वैसे तो 161 फीट है लेकिन इस पर 44 फीट ऊंचा धर्मध्वज भी लगाया जाएगा।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने गुरूवार को निर्माण कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य अपनी रफ्तार से चल रहा है। जो समय सीमा तय की गई है उस पर काम पूरा होगा। नागर शैली में बन रहे मंदिर का शिखर भी उसी शैली का होगा। शिखर की डिजाइन आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने तैयार की है। डिजाइन को ट्रस्ट ने पहले ही फाइनल कर दिया है। शिखर निर्माण में 120 दिन लगेंगे। शिखर का निर्माण गुजरात व राजस्थान के 300 कुशल कारीगर करेंगे।
राममंदिर निर्माण समिति की बैठक के बाद राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि परकोटा, सप्त मंडपम का काम साथ-साथ चल रहा है। दिसंबर 2025 तक ये काम पूरे हो जाएंगे। शेषावतार मंदिर की नींव का काम प्रारंभ हो गया है। अभी जो काम बचा है उसमें 500 लोगों के बैठने के लिए सभागार, अतिथि गृह, ट्रस्ट ऑफिस और तुलसी दास का मंदिर शामिल है। इसके टेंडर निकाले जा चुके हैं। बैठक में मंदिर के ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र, निर्माण प्रभारी गोपाल राव, आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा समेत कार्यदायी संस्था के इंजीनियर शामिल रहे।
वहीं दूसरी तरफ नवरात्र के पहले दिन से ही राममंदिर के प्रथम तल पर स्थापित होने वाले राम दरबार की मूर्तियों के निर्माण का काम भी शुरू कर दिया गया है। राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने बृहस्पतिवार को विधिविधान पूर्वक शिलाओं की पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति निर्माण का काम प्रारंभ किया। बताया कि संगमरमर पर रामदरबार की मूर्तियां बनेंगी। तीन माह में मूर्तियां बनकर तैयार हो जाएंगी। जनवरी माह में रामदरबार अयोध्या पहुंच जाएगा।
चंपत राय ने कहा कि जिस अस्थायी मंदिर में भगवान रामलला तंबू से लाकर विराजित कराए गए थे। उस मंदिर की रक्षा करना का निर्णय हो गया है। वहां पर आज हनुमान जी की प्रतिमा विराजित है। वहां पर भी जागृति बनी रहे, पूजन होता रहे इसलिए व्यवस्था की जाएगी। राममंदिर में दीपोत्सव कब मनाया जाएगा। इस सवाल पर कहा कि यह एक सामान्य बात है। इसका निर्णय ट्रस्ट नहीं करेगा, या तो ज्योतिष के आचार्य करेंगे या फिर जो जानकार हैं वो करेंगे।
ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रद्धालुओं को अभी नंगे पैर लंबी दूरी तय करना पड़ती है। मंदिर के दक्षिणी-पूर्वी कोने के पास काफी स्थान उपलब्ध है। वहां पर 10 से 15 हजार लोगों के जूता-चप्पल रखने की सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। 12 से 13 घंटे में एक लाख लोग ये सुविधा प्राप्त कर सकेंगे। परकोटे के बाहर जूता-चप्पल उतारने की व्यवस्था की जाएगी। नंगे पैर परिसर में चलने की दूरी काफी कम हो जाएगी। जहां जूते उतारे जाएंगे वहां हाथ धोने की व्यवस्था भी रहेगी।