अवध विवि में श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता विषय पर हुई संगोष्ठी
अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में इक्ष्वाकुपूरी फाउंडेशन एवं एमबीए टूरिज्म मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार को श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता विषय पर एक दिवसीय विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार तारिक फतेह, महानिदेशक भारतीय संस्कृति परिसर के अखिलेश मिश्र, विधि वेत्ता अशोक मेहता रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत एक बहुआयामी परंपराओं वाला देश है। भारतीय सभ्यता सच्चाई एक है जो उसे जानने का प्रयास किया है। भारतीय सभ्यता दुनियां की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। दुनिया गतिशील है हमने कितने युगों को पार किया है। परन्तु आज भी हमारी सभ्यता पूर्णतया प्रासंगिक है। वर्तमान युग सूचना प्रौधौगिकी का है। आने वाला समय ज्ञान का युग होगा। उन्होंने कहा कि सभी दिशाओं से ज्ञान को आने दो लेकिन बुनियादी चीजों में मूलित रहिये। गुरु रविन्द्र नाथ टैगोर के संदर्भ में राज्यपाल ने कहा कि भारत से मैं इसलिये प्रेम करता हूॅ कि भारत एक मूर्ति पूजक है। मेरे प्रेम का यह भी कारण नही है कि मैं यहां पैदा हुआ। मैं सिर्फ इसलिये प्रेम करता हूँ कि भारत उन शब्दों में जीता है जो उसकी संतान की चैतन्यता की आत्मा से निकले है। यह भूमि उसे संजोकर आज भी रखा है। भारत के मूल में ज्ञान है। राज्यपाल ने कहा कि 10 वीं सदी में यूरोप जब मुश्किलों दौर में पूरी तरह बर्बाद हो चुका था। तब पठन पाठन का क्षेत्र सिर्फ बगदाद था। ज्ञानार्जन की प्रथम पाठशाला भारत की संस्कृति का उद्देश्य है। श्री खान ने कहा कि कई मुस्लिम विद्वानों ने भारत की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि मैं भारत की भूमि से शीतल हवा का झोंका महसूस कर रहा हूॅ। मुस्लिमों विद्वानों ने भी भारत की संस्कृति को सदैव महत्वपूर्ण माना है। भारत अपने ज्ञान की परंपरा के लिए सदियों जाना जाता रहा है। शब्दों की समूह से गद्य़ और पद्यय बना और पद्य से कविता बनी। सत्ता में बैठे लोगों ने ज्ञान के क्षेत्र को दुश्मन समझा। जब परम सत्य की अनुभूति होती है तब ज्ञान होता है। भारत का समाज किसी एक समूह में सीमित नहीं है। सोच पर पाबंदी न लगाएं। जो व्यक्ति यह जानता है कि मैं शरीर नही हूँ मैं चैतन्य आत्मा हॅू तब आपको यह अनुभूति हो जाती है कि आप क्या है। लोग उस चीज के दुश्मन बन जाते है जिसके बारे में वे जानते नहीं। कुरान शरीफ में यह वर्णित है कि दूसरों को तकलीफ देंगे तो यह गुनाह है। मदद करना पुण्य है हर मनुष्य का शरीर मंदिर सदृश्य है। सुशासन तो भारत के गावो में बसता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एवं स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि आज हम इतिहास के उस मोड़ पर है जहाँ का इतिहास काफी मायने रखता है। विश्वविद्यालय परिवार कृत संकल्पित है कि हम एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में जाने जाए। अयोध्या दीपोत्सव विश्वविद्यालय की ही संकल्पना रही है। प्रो0 दीक्षित ने कहा कि माननीय राज्यपाल जी पांच से अधिक भाषाओं के विद्वान है। यह हम सभी का सौभाग्य है कि वे विश्वविद्यालय परिसर में है। प्रख्यात विश्लेषक तारिक फतेह की उपस्थिति भी विश्वविद्यालय के लिए गौरव का पल है।
विशिष्ठ अतिथि महानिदेशक भारतीय संस्कृति परिसर के अखिलेश मिश्र ने कहा कि श्री भगवान राम आदि और अंतहीन है, उनका वर्णन कोई नही कर सकता। सभी अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार वर्णन करते है। राम किसी एक भाषा एवं एक क्षेत्र के कथ्य नही है। अंग्रेजी, संस्कृत, फारसी, अरबी सभी भाषाओं में भगवान राम का वर्णन है। राम सिर्फ भारत के न होकर वैश्विक है। मिश्र ने राम महोत्सव के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब तक देशभर में चार जगहों पर राम महोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें 12 देशों से हिस्सा लिया इसमें 11 देश गैर हिन्दू देश भी रहे। राम को अलग अलग धरोहरों के रूप में संजोया गया है। रामायण प्राचीन है परंतु राम हर देश एवं काल के है राजा, पिता, पत्नी, प्रकृति सभी के संबंधों में राम प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि जब हम शासन की बात करते है। तो राम एक आदर्श राजा के रूप में मिलते है। रामराज्य पारस्परिक सौहार्द का प्रतीक है। यह मनुष्यो तक सीमित नही है, बल्कि प्रकृति का एक वृहद समन्वय है। अंतराष्ट्रीय संबंधों में राम का शासन प्रासंगिक है। राम का अर्थ है कि प्रेम के संदर्भ में कोई छोटा बड़ा नही होता। बिना लोभ का शासन राम ने किया। मिश्र ने कहा कि भारत ने कभी किसी देश पर आक्रमण नही किया। भरत ने राम की चरण पादुका रखकर शासन किया। राम ने जो संदेश स्थापित किया वह जनता के लिए किया। जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम भेंटकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन इंडिया थिंक कॉउन्सिल के निदेशक सौरभ पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो0 एस एन शुक्ल, प्रो0 राम लखन सिंह, प्रो0 आरएन राय, प्रो0 अशोक शुक्ल, प्रो0 जसवंत सिंह, कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, डॉ0 दिलीप सिंह, प्रो0 एस के रायजादा, प्रो0 चयन मिश्र, प्रो0 एस एस मिश्र, प्रो0 आरके तिवारी, प्रो0 एमपी सिंह, प्रो0 आशुतोष सिंह, प्रो0 फारुख जमाल, प्रो0 नीलम पाठक, डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव, डॉ0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 शैलेन्द्र वर्मा, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 श्रीश अस्थाना, डॉ0 विनय मिश्र, डॉ0 राजेश कुशवाहा, डॉ0 विजयेंदु चतुर्वेदी, डॉ0 सुरेंद्र मिश्र, डॉ0 आरएन पांडेय, डॉ0 महेन्द पाल, डॉ0 अंशुमान पाठक, डॉ0 गायत्री वर्मा, डॉ0 प्रतिभा त्रिपाठी, डॉ0 कविता श्रीवास्तव, स्वाति उपाध्याय, डॉ0 कपिल, डॉ0 निमिष मिश्र, डॉ0 नवनीत श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सिंध व पंजाब के बिना भारत अधूरा : तारिक फतेह
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में इक्ष्वाकुपूरी फाउंडेशन एवं एमबीए टूरिज्म मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वाधान में श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता विषय पर एक दिवसीय विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए प्रख्यात विश्लेषक एवं पत्रकार तारिक फतेह ने कहा कि भारत विश्व की सबसे प्राचीन विकसित सभ्यताओं का देश रहा है। भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय विश्वभर में ज्ञान की ज्योति जलाये है। विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत का सामाजिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक ढाचें को तहस नहस कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत सिंध और पंजाब के बिना अधूरा है। मुगल आक्रमणकारियों ने देश की प्राचीन धराहरों को काफी नुकसान पहुॅचाया है। रामराज्य देश तब स्थापित होगा जब पंजाब और सिंध भारत का हिस्सा होगा। 711 इसवीं के राजा दाहेर ने भारतीय सभ्यताओं को मजबूत करने में एक बड़ा योगदान किया। जापान में बौद्ध सम्प्रदाय नांलदा विश्वविद्यालय की वजह से प्रसारित हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने कहा कि रामायण परिपथ की यात्रा अयोध्या से शुरू होना चाहिए। यह पर्यटन और साहित्य के विकास में आवश्यक है। अयोध्या में वास्तु कला पर भी काफी कुछ किया जाना शेष है। अयोध्या में विश्व की प्रमुख भाषाओं के लिए पर्यटन के विकास को लेकर कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर का निर्णय आने पर सरकार के साथ पूरी जनता खड़ी रही। यह भारत का संस्कार है कि पढ़िए और जीवन मे लागू करिए। प्रभु राम की शक्ति भी एक पहचान है। भगवान राम के जीवन का एक पहलू यह भी है कि समाज में किसी के साथ कोई भेद-भाव न हो। तकनीकी सत्र में इंडिया थिंक कॉउन्सिल के पदाधिकारी अशोक मेहता द्वारा सत्र की प्रस्तावना पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रामराज्य पर पूरा स्वतंत्रता संग्राम आधारित रहा जैसे मंदिर का निर्माण होगा वैसे भारत रामराज्य की तरफ बढ़ेगा। इस अवसर पर कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित, प्रति कुलपति प्रो0 एस एन शुक्ल, प्रो0 अशोक शुक्ल, प्रो0 राम लखन सिंह, प्रो0 आरएन राय, प्रो0 अशोक शुक्ल, प्रो0 जसवंत सिंह, कार्यपरिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह, डॉ0 दिलीप सिंह, प्रो0 एस के रायजादा, प्रो0 चयन मिश्र, प्रो0 एस एस मिश्र, प्रो0 आरके तिवारी, प्रो0 एमपी सिंह, प्रो0 आशुतोष सिंह, प्रो0 फारुख जमाल, प्रो0 नीलम पाठक, डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव, डॉ0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 शैलेन्द्र वर्मा, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 श्रीश अस्थाना, डॉ0 विनय मिश्र, डॉ0 राजेश कुशवाहा, डॉ0 विजयेंदु चतुर्वेदी, डॉ0 सुरेंद्र मिश्र, डॉ0 आरएन पांडेय, डॉ0 अनिल मिश्र, डॉ0 अनुराग पाण्डेय, डॉ0 त्रिलोकी यादव, डॉ0 महेन्द पाल, डॉ0 अंशुमान पाठक, डॉ0 गायत्री वर्मा, डॉ0 प्रतिभा त्रिपाठी, डॉ0 कविता श्रीवास्तव, स्वाति उपाध्याय, डॉ0 कपिल, डॉ0 निमिष मिश्र आदि उपस्थित रहे।
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