-योग व ध्यान की रेसिपी,है ब्रेन-वेव थिरैपी, मेडिटेशन है मूड -स्टेबलाइज़र
अयोध्या। “योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः“ यानि “योग मन के उतार-चढ़ाव को शांत व स्थिर करता है“। योग व ध्यान से मूड-स्टेबलाइज़र हार्मोन सेराटोनिन व मनोशांत हार्मोन गाबा में अभिवृद्धि होने से स्ट्रेस-हार्मोन कार्टिसाल व एड्रेनलिन में कमी आती है।
इस प्रकार यौगिक क्रियाएं अवसाद, उन्माद,चिंता घबराहट, टेंशन-हेडेक, अनिद्रा,फोबिया आदि का शमन करती है । साथ ही विभिन्न मनोशारीरिक समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, पेट की खराबी व क्रोनिक फटिग सिंड्रोम आदि में अति लाभदायक होती है।
मनोगतिकीय विश्लेषणः
योग व ध्यान विभिन्न आवृत्ति की मनोतरंग पैदा करता है जिसे ब्रेन-वेव रिकॉर्डिंग या इलेक्ट्रो-इनसिफैलोग्राम या ब्रेन-मैपिंग से जांचा जा सकता है । मनोचिकित्सा में चार तरह के ब्रेन-वेव संदर्भित है,जिसे बीटा ,अल्फा, थीटा व डेल्टा नाम से जाना जाता है। बीटा-वेव सबसे अधिक फ्रिक्वेंसी की होती है,जो तनाव की मनोदशा तथा अल्फा-वेव मध्यम फ्रिक्वेंसी की होती है, जो सामान्य अवस्था को प्रदर्शित करती है ।
अल्प-ध्यान की अवस्था में थीटा-तरंग मिलती जो कि निद्राचक्र के स्वप्न-समय मे भी दिखती है। गहन-ध्यान या डीप-मेडिटेशन की अवस्था में सबसे धीमी ब्रेन-वेव डेल्टा मिलती है। अवसाद व चिंता-विकार के रोगियो का इलाज अब आई टी बी एस यानि “इंटरमिटेंट थीटा बर्स्ट स्टिमुलेशन“ से किया जा रहा है, जिसमे मरीज के ब्रेन में शान्त-तरंग थीटा को कृत्रिम रूप से भेजा जाता है तत्पश्चात ध्यान व योग से प्रतिस्थापित किया जाता है। इसे ब्रेन-वेव थिरैपी भी कहा जाता है।
सलाह :
सुसाइड व होमिसाइड त्रासदी के हाई रिस्क ग्रुप के युवा व किशोरों में एकेडमिक -प्रेशर,कैरियर- स्ट्रेस, जॉब डिमांड, फैमिली कांफ्लिक्ट व भौतिकवादी संस्कृति से अपनी सेहत को नज़र अंदाज़ करने पर मजबूर दिख रहे हैं । वही दूसरी तरफ समृद्ध वर्ग लक्ज़री लाइफ स्टाइल मे सेहत गवा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस सभी को ध्यान व योग के कम से कम 30 मिनट जीवनचर्या का हिस्सा बनाने का संदेश देता है ताकि भौतिक समृद्धि के साथ आध्यात्मिक,मानसिक व मनोशारीरिक स्वास्थ को समृद्ध किया जा सके। विश्व शांति व सद्भाव के लिये भी योग का सिद्धांत अति प्रसंगिक है। यह बातें इंटरनेशनल योगा-डे पर डा आलोक मनदर्शन ने कही।