-उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विगत 13 वर्षों से एक पूर्णकालिक शिक्षक के रूप में कर रहे हैं अध्यापन का कार्य
लखनऊ।शुक्रवार को विभिन्न अखबारों और मीडिया संस्थानों में प्रकाशित अनुदेशकों एवं शिक्षामित्र के मानदेय बढ़ाए जाने की खबरें दिनभर वायरल रही। अनुदेशकों और शिक्षामित्र से जुड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मानदेय बढ़ाए जाने की खबर छाई रहीं। प्रदेश सरकार द्वारा आउटसोर्स एवं संविदा कर्मियों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा के बाद शिक्षामित्र और अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाए जाने की खबर जैसे ही सामने आई वैसे ही शिक्षा जगत में हलचल मच गई।
शिक्षामित्र और अनुदेशकों के विभिन्न संगठनों ने एक सुर में इसका स्वागत करते हुए प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया है।परंतु मानदेव बढ़ाने के प्रस्ताव में शिक्षामित्र से कम मानदेय होने पर अनुदेशकों ने उन्हें भी शिक्षामित्र के समान प्रस्तावित 25000 दिए जाने की मांग किया है।
इस संबंध में अनुदेशकों का कहना है कि जूनियर स्कूलों में उनकी नियुक्ति एक विषय विशेषज्ञ के रूप में हुई है और वे एक स्थाई अध्यापक के समान योग्यता रखते हुए डिग्री एवं डिप्लोमाधारी हैं,वे उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विगत 13 वर्षों से एक पूर्णकालिक शिक्षक के रूप से अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें कम मानदेय दिया जाना न्यायोचित नहीं होगा।
अनुदेशकों का कहना है कि 2017 में जब प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का 3500 से 10000 किया था तब इसी प्रस्ताव में अनुदेशकों को 8470 से 17000 रुपए मानदेय मिलने की प्रस्ताव किया गया था परंतु अनुदेशकों को इसका लाभ आज तक नहीं मिल पाया।
उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रहे अनुदेशकों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग किया है कि उन्हें भी शिक्षामित्र के समान प्रस्तावित कम से कम 25000 मानदेय का आशीर्वाद दिया जाए जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके।