नव संवत्सर के स्वागत के लिए सुंदरकांड पाठ

by Next Khabar Team
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बच्चों और युवाओं का अपनी सँस्कृति से परिचित होना जरूरी: विश्वनाथ

अयोध्या। भारतीय सनातन सँस्कृति जीवन को प्रकृति के साथ जीने का कौशल सिखाती है जो हमारे तन मन विचार को शुद्ध व स्वस्थ रखते हैं। पतझड़ के बाद जब प्रकृति नई कोपलों से आच्छादित होती है तब चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि से भारतीय नववर्ष की शुरुआत होती है। हमारी पीढ़ी के बच्चेे युवा अपनी संस्कृति की महत्ता से परिचित हों इसलिए ट्रांसपोर्टनगर सहकार्यवाह विश्वनाथ व नितिन ने विद्यालय के छात्रों के साथ नवसंवत्सर के स्वागत में सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया, जिसके बाद हवन पूजन किया गया। साथ ही रणजीत, शैलेन्द्र, शिव प्रसाद, सुनील आदि ने जनसम्पर्क कर भी नगरवासियों से आग्रह किया गया कि प्रातः सूर्य को प्रथम अर्घ्य दें, तिलक लगाकर एकदूसरे को शुभकामनाएं दें, घरों के द्वार पर शुभता का प्रतीक स्वास्तिक, रंगोली सजाएं,ओम पताका लगाएं, शाम के द्वार पर दीपक जलाएं।ट्रांसपोर्टनगर में भी नगर की महिलाएं 6 अप्रैल की सायँ पीपल के नीचे दीपक जलाकर प्रकृति को अपनी आस्था ज्ञापित करेंगी।इस अवसर पर छात्रों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा प्रकृति के अनुरूप रहकर हम स्वस्थ मन मस्तिष्क के स्वामी बनते हैं।

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