वैश्विक श्रमिक वर्ग से ही सम्भव है वैश्विक पूंजी का प्रतिरोध : डॉ. विशाल श्रीवास्तव

by Next Khabar Team
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-‘वैश्विक पूंजी का भारतीय श्रमिक आंदोलन पर प्रभाव’ विषय पर हुई संगोष्ठी

अयोध्या। अन्तरराष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर शाम को 5 बजे से बीमा कर्मचारी संघ फैजाबाद डिवीज़न, बीएसएनएल इम्प्लाइज़ यूनियन, आयकर कर्मचारी संघ, जनवादी लेखक संघ एवं शहीद भगत सिंह स्मृति ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एल.आई.सी. परिसर, बेनीगंज, फ़ैज़ाबाद में ‘वैश्विक पूंजी का भारतीय श्रमिक आंदोलन पर प्रभाव’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि पूंजी के वर्चस्व के विभिन्न स्तरों से गुजरते हुए आज हम वैश्विक पूंजी के प्रभुत्व के दौर में पहुँच गये हैं।

विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन और एकीकरण से जिस अन्तरराष्ट्रीय पूंजी का उदय हुआ है उसने पूंजीपतियों और उनसे सम्बद्ध राज्यसत्ता को श्रमिकों के शोषण की असीमित सुविधा दे दी है। वैश्विक पूंजी के इस दौर में जब उत्पादन की प्रक्रिया का वैश्वीकरण हो गया है, सस्ते श्रम की सहज उपलब्धता और उद्योग के लिए लचीले नियमों ने राष्ट्रीय स्तर पर श्रम की शक्ति को कमज़ोर कर दिया है।

उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष और जन-आंदोलनों से श्रमिक संगठनों ने जो नैतिक ताकत हासिल की थी, आज उसे विखंडित करने की कोशिशें हो रही हैं, यही कारण है कि आज पूरी दुनिया में आधे से अधिक श्रमिक असुरक्षित रोजगार व्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं। आज आवश्यकता है कि परम्परागत वर्ग आधारित श्रमिक राजनीति से आगे बढ़कर पहचान की राजनीति के वैश्वीकृत रूप को विकसित किया जाए। स्थानीय लड़ाईयों से आगे बढ़कर वैश्विक श्रमिक वर्ग का उदय ही वैश्विक पूंजी से प्रतिरोध का एकमात्र रास्ता है।

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बीमा कर्मचारी संघ फैजाबाद डिवीजन के अध्यक्ष आर. डी. आनन्द ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वैश्विक पूंजी ने पूंजीपतियों को पूरी दुनिया में अपनी शर्तों पर व्यापार करने की सुविधा दे दी है। यह परिस्थिति श्रमिकों के लिए गहरे शोषण को जन्म दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत में श्रमिक वर्ग का एक बड़ा हिस्सा पिछड़ी और अनुसूचित जातियों से आता है, उनके हितों की रक्षा के लिए श्रमिक संगठनों को मुखर रूप से आगे आना चाहिए। श्री आनन्द के अनुसार आज राज्यसत्ता का ध्यान इस बात पर केन्द्रित रहता है कि व्यापार करने में कितनी अधिक आसानी सम्भव हो सकती है न कि श्रमिक वर्ग का हित कैसे सम्भव हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रमिक संगठनों को युवा और तेजस्वी नेतृत्व की आवश्यकता है।

बीमा कर्मचारी संघ फैजाबाद डिवीजन के सचिव रविशंकर चतुर्वेदी ने कहा कि 1886 में शिकागो के शहीदों की स्मृति में इस संगोष्ठी का आयोजन एक गम्भीर विषय को केन्द्र में रखकर किया गया है। मजदूर दिवस हमें सीखने के लिए प्रेरित करता है, आज सीखने की प्रक्रिया में यह साझा कार्यक्रम किया गया है कि हम आसन्न खतरों को पहचान सकें। उन्होंने कहा कि अकेले कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता, चाहे वह व्यक्ति के स्तर पर हो या संगठन के स्तर पर। श्रमिक संगठनों को एकजुट होना ही पड़ेगा, इसके अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

आज हम सबको इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि हम निरंतर अपने कार्यस्थल पर सांगठनिक एकता को अच्छे ढंग से मज़बूत करें और उसे अभिव्यक्त कर सकें। आज आवश्यकता है कि भारत के समस्त श्रमिक संगठन एकजुट होकर यह आवाज़ उठाएँ कि श्रमिक दिवस के दिन अवकाश घोषित किया जाए।

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शहीद भगत सिंह स्मृति ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्यभान सिंह जनवादी ने कहा कि मार्क्स के नारे ‘दुनिया के मज़दूरों एक हो’ को सच करने का समय आज आ गया है। श्रमिक संगठनों के बीच एक भाईचारा विकसित किये बिना आज अपने हितों की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है। आयकर कर्मचारी संघ के सचिव राजकुमार मिश्रा ने श्रमिक एकता का आह्वान करते हुए व्यापक स्तर पर श्रमिक आंदोलन को तेज किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। बीएसएनएल इम्प्लाइज़ यूनियन के प्रांतीय सचिव श्री तिलकराज तिवारी ने कहा कि जिस तेज़ी से निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, वह श्रमिक हितों के साथ सीधा खिलवाड़ है, आज ऐसे बहुत सारे ख़तरे हमारे सामने मौजूद हैं लेकिन हमने उनकी तरफ से आँखें फेर रखी हैं।

आज ज़रूरत है कि हम एकजुट होकर इन ख़तरों का सामना करें। इस अवसर पर संजीव सिंह,सीएम पांडेय,केके पांडे, चंद्रा ने भी संगोष्ठी को सम्बोधित किया।
आयोजन में जनवादी लेखक संघ, फ़ैज़ाबाद के सदस्यों नीरज सिन्हा नीर, पूजा श्रीवास्तव, ओमप्रकाश रोशन ने अपनी कविताओं से उपस्थित श्रोतावर्ग को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का सधा हुआ संचालन शायर और जनवादी लेखक संघ, फै़ज़ाबाद के कोषाध्यक्ष मुज़म्मिल फिदा ने किया। सभा के प्रारम्भ में स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त बृजेश श्रीवास्तव ने एक जनगीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में सी एम पांडेय, सुरेश चंद्र, उमेशगुप्त,रामसुरेश,के के पांडेय, बृजेश कुमार, पवनमिश्र, निरंकार, सी पी शुक्ल, संजीव सिंह, शकुंतला, संगीता, श्रुति, शाम्भवी, आलोक सिंह, बलदेव, बिंदेश्वरी, अदिति, अजय, रामतेज, पंकज, शशांक, ऋचा, गोविंद, विजय, रमेश, दीपक, निखिल, अवधराज, ओंकार, विभूति, अर्पित, तुषार, सत्यदेव, आदि । कमलेश सिंह यादव, टोनी बलदेव,सीपी शुक्ला,नितिन,सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी संगठनों के सदस्य एवं प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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