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विहिप व शिवसेना के सियासी ड्रामा का हुआ पटाक्षेप
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धर्मसभा जहां बनी औपचारिक वहीं शिवसेना ने तैयार की अपनी जमीन
अयोध्या। राम नगरी अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद और शिवसेना के दो दिन तक चले सियासी ड्रामे का अन्ततः पटाक्षेप हो गया। विश्व हिन्दू परिषद की धर्म सभा जनमानस में कोई संदेश नहीं दे पायी और औपचारिक बनकर रह गयी वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने उत्तर प्रदेश में जहां अपनी सियासी जमीन तैयार की वहीं महराष्ट्र में राम मन्दिर समर्थक होने का संदेश दे डाला। शिवसेना ने सोची समझी रणनीति के तहत पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का दो दिवसीय कार्यक्रम धर्म नगरी अयोध्या में जहां सुनियोजित ढंग से आयोजित किया वहीं मुम्बई से आई दो रिजर्व ट्रेन से हजारों शिवसैनिक अयोध्या पहुंचे और नया संदेश दिया। इसके अलावां उत्तर प्रदेश व अन्य प्रदेशों से भी भारी संख्या में शिवसैनिकों का जमावड़ा साझा नगरी फैजाबाद-अयोध्या में हुआ।
गौरतलब है कि आयोजन के सप्ताहभर पहले ही अयोध्या व फैजाबाद नगर शिवसेना के बैनर, हार्डिंग और झण्डों से अट गये। यही नहीं शिवसेना ने दोनो नगरों के सभी होटलों को बुक करा लिया था जिससे यहां आने वाले किसी अन्य को रात्रि निवास के लिए स्थान तक नहीं मिला। यही नहीं अयोध्या में पहलीबार देखा गया कि विश्व हिन्दू परिषद का झण्डा बैनर और होर्डिंग आम मार्गों से नदारद रहा। यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि शिवसेना ने विहिप के कार्यक्रम को एक बड़ा झटका दिया। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने वक्तव्यों से स्पष्ट कर दिया कि जुमलेबाज प्रधानमंत्री और जुमलेबाजी करने वाली भाजपा सरकार ने 2019 लोकसभा चुनाव के पूर्व कानून बनाकर अयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण न शुरू कराया तो वह दोबारा सत्ता में आसीन नहीं हो पायेंगे। उद्धव ठाकरे ने बिना कुछ कहे सियासी गलियारे में यह संदेश दे डाला कि यदि भाजपा सरकार ने वादा खिलाफी की तो शिवसेना अयोध्या सहित प्रदेश की सियासत में भी सक्रिय हो जायेगी और भाजपा को चुनवी वैतरणी पार कर पाना असम्भव हो जायेगा। शिवसेना प्रमुख ने महाराष्ट्र में निवास कर रहे नाराज उत्तर भारतियों के घाव पर भी मरहम लगाया और स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र के मुम्बई और अन्य महानगरों में रहने वाले उत्तर भारतियों की सुरक्षा शिवसेना करेगी।
धर्मसभा में पारित प्रस्ताव के माध्यम से केन्द्र की भाजपा सरकार से मांग की गयी कि वह लोक सभा चुनाव से पहले अध्यादेश लाकर अयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण कराये अन्यथा चुनाव में भजपा का विरोध किया जायेगा। भाजपा व उसके अनुशांगिक संगठन विहिप के इस प्रस्ताव में छिपी चाल को भी आमजन चाहे न समझ पाये हो परन्तु सियासत के महारथियों से झुपी नहीं रह पायी है। समीक्षकों का मानना है कि भाजपा की सोची समझी रणनीति के तहत धर्म सभा के नाम पर राम मन्दिर बनवाने का काननू लाने का प्रस्ताव किया गया। माना यह भी जा रहा है कि इसी रणनीति के तहत पांच प्रदेशों में हो रहे चुनाव के परिणाम आने के बाद केन्द्र सरकार दोनों सदनों में राम मन्दिर विधेयक प्रस्ताव पारित करेगी और अनुमोदन के लिए उसे राष्ट्रपति के पास भेजेगी। वास्ट से जुड़े पूर्व आईएएस डा.एस.पी. सिंह ने विहिप व शिवसेना के आयोजन के दो दिन पहले ही संगोष्ठी का आयोजन कर स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा विहिप का सहारा लेकर एक सोची समझी रणनीति के तहत अयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण का अध्यादेश पारित करेगी इसी बींच कोई न कोई सुप्रीम कोर्ट प्रकरण को लेकर चला जायेगा जिसे कोर्ट स्टे दे देगा। भाजपा के नेताओं को बड़ा बहाना मिल जायेगा कि अभी तो कांग्रेस अडंगेबाजी कर रही थी पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे होने के बाद राम मन्दिर निर्माण कैसे करायें जबकि सरकार की प्रबल इच्छा है कि करोड़ो हिन्दूओं की आस्था का सम्मान करते हुए अयोध्या में भव्य श्रीराम मन्दिर बने।