सफलता के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता: प्रो. एस.एन. शुक्ल

by Next Khabar Team
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आईक्यूएसी “शोध प्रविधि” राष्ट्रीय कार्यशाला का दूसरा दिन

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में आईक्यू0ए0सी0 के अन्तर्गत “शोध प्रविधि” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन आज दिनांक 21 मई, 2019 को तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो0 एस0 एन0 शुक्ल ने सकारात्मक दृष्टिकोण के जीवन में महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शोध ही नहीं जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। नकारात्मकता का विचार जीवन को कठिन बना देता है। सकारात्मकता व्यक्ति को जन्म से नही प्राप्त होता है इसके लिए परिवेश महत्वपूर्ण होता है। प्रो0 शुक्ल ने बताया कि आपके आस-पास का परिवेश कैसा है लोग कैसे है यह सभी स्थितियां व्यक्ति के लिए काफी मायने रखती है नकारात्मकता व्यक्तित्व को ढक लेती है। इससे व्यक्ति में असुरक्षा की भावना विकसित होने लगती है। अपने साथ हुई घटनाओं का विश्लेषण करें और उसके अनुकूल स्वयं को तैयार करने की क्षमता विकसित करें। प्रो0 शुक्ल ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों से कुछ न कुछ सीखनें के लिए तैयार रहे और चुनौतियों को स्वीकार करें। बिना सोचे समक्षे निर्णय न ले लापरवाही सदैव नकारात्मकता को जन्म देती है पूर्व में हुई कई घटनाओं से हमें यह सीख मिलती है। कई असफलता के बाद भी किये गये प्रयत्न विश्वस्तर के कीर्तिमान स्थापित किये है। हम संसाधनों की प्रतीक्षा करते है इससे बेहतर यह है कि उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर हम आगे बढे। संसाधन कभी भी मार्ग में बाधक नही बन सकते है। प्रो0 शुक्ल ने मैरीकाॅम का उदाहरण प्रस्तुत कर उनके प्रयासों का समर्थन किया।
द्वितीय तकनीकी सत्र के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ के जियोलाॅजी विभाग के प्रो0 धु्रव सेन सिंह ने जलवायु परिवर्तन का पृथ्वी पर पड़ते असर पर शोध विश्लेषण प्रस्तुत किया। प्रो0 सिंह ने बताया कि प्रकृति संरक्षण भारतीय संस्कृति के रीति रिवाजों में बसी हैं। कुम्भ मेला नदी संरक्षण की एक प्राचीन नीति है। भारतीय परिवेश में पर्यावरण को लेकर जागरूकता आदिकाल से रही है। जैव संरक्षण के लिए कृत संकल्पित भारत ने पूरे विश्व समुदाय को संदेश दिया है। प्रो0 सिंह ने बताया कि प्रकृति की हर घटना के पीछे मंगल छिपे होते है। उन्होंन शोध विश्लेषण को पाॅवर प्वाइंट प्रजेन्टेसन से स्पष्ट किया कि ज्वालामुखी से निकले कण से ही आक्सीजन की उत्पत्ति हुई और साइनो बैक्टीरिया ही जीवन की उत्पत्ति का कारण बना। पृथ्वी पर सभी कुछ परिवर्तनशील है। जीव जन्तुओं का आना-जाना विलुप्त होना प्राकृतिक नियम है। प्रकृति हमेशा से ही अधिकतम देती रही है। प्राकृतिक संतुलन की अवस्था को बिगाड़ना आपदा को आमंत्रित करना है। प्रो0 सिंह ने केदारनाथ की घटना के लिए प्रकृति नही वरन मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार बताया।
सत्र में कर्नल डाॅ0 संजीव सहाय, लाइफ कोच ने कैसे सीखें पर वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत में बच्चों को ज्यादातर माता पिता समस्या समाधान के लिए अवसर ही नही प्रदान करते। इससे विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता काफी प्रभावित होती है। जीवन में अच्छे प्रदर्शन के लिए व्यक्ति का खुशहाल होना आवश्क है। क्योंकि बीमार और दुखी व्यक्ति बड़ा लक्ष्य हासिल नही कर सकता। डाॅ0 राकेश पाण्डेय मुख्य वैज्ञानिक सी0एस0आई0आर0-सीमैप लखनऊ ने शोध परियोजनाओं के क्षेत्र में लाइफ साइसेंस के साथ औषधि पौधों के योगदान पर प्रकाश डाला। डाॅ0 नरेश चैधरी ने सााहित्यिक चोरी पर विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए बताया कि यदि आप किसी दूसरे को रचनाओं, स्वरों, चित्रों को अपना बताते है। तो आप बौद्धिक चोरी के तहत अपराध किया है। उन्होंने बताया कि साहित्यिक चोरी रोकने के लिए यू0जी0सी एक्ट के कई प्रावधानों को प्रस्तुत किया।
आईक्यू0ए0सी0 के निदेशक एवं कार्यशाला के संयोजक प्रो0 अशोक शुक्ल ने बताया कि शोध कार्य से समाज को नये विचार एवं तथ्यपरक आंकलन प्राप्त होते है। शोध का कार्य ही जीवन में उत्कृष्ठता का निर्माण करना होना चाहिये। सामाजिक एवं वैज्ञानिक संदर्भ में शोध कार्य आने वाली पीढ़ी का मार्ग प्रस्तत करते है। कार्यशाला का संचालन प्रो0 नीलम पाठक ने किया। इस अवसर पर प्रो0 जसवंत सिंह, प्रो0 अनूप कुमार, डाॅ0 शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 गीतिका श्रीवास्तव, डाॅ0 सुरेन्द्र मिश्र, डाॅ0 नीलम यादव, डाॅ0 रोहित सिंह राना, डाॅ0 संग्राम सिंह, डाॅ0 अनिल यादव, डाॅ0 महेन्द्र सिंह, डाॅ0 आर0एन0 पाण्डेय, डाॅ0 बृजेश यादव, इं0 पारिमल त्रिपाठी इं0 साम्भवी शुक्ला, डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, इं0 रमेश मिश्र, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 अनुराग पाण्डेय, इं0 आर0के0 सिंह सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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