-मनोस्राव से पैदा होते हैं राष्ट्र प्रेम के भाव
अयोध्या। राष्ट्र पर्व के आते ही मन मस्तिष्क में उत्साह उमंग पैदा होने लगता है, साथ ही राष्ट्र के प्रति समर्पण व सकारात्मक सम्मोहन जैसी मनोदशा भी हावी होने लगती है। यह मनोदशा पर्व आने के कुछ दिन पूर्व से लेकर पर्व पश्चात भी कई दिनों तक बनी रहती है। मनोविश्लेषण की भाषा मे इसे पैट्रियाटिक स्पर्ट या देशभक्ति आवेग कहा जाता है। वैसे तो देशभक्ति या पैट्रियाटिज़्म राष्ट्र के हर एक नागरिक का स्थायी मनोभाव होता है ,परन्तु राष्ट्र पर्व जनित उत्प्रेण बूस्टर डोज़ जैसा कार्य करने लगता है।
यही कारण है प्रत्येक देशवासी एक जैसे मनोभाव से चलायमान दिखने लगता है और अन्य सारे मनोसामाजिक विभिन्नताएं तिरोहित सी नज़र आने लगती हैं।इन मनोभावों के मनोरासायनिक विश्लेषण में फील गुड मनोरसायन सेराटोनिन व डोपामिन का अहम रोल है तथा उत्साह, उमंग व समर्पण का जज्बा पैदा करने वाले मनोरसायन नार एपिनफ्रिन का विशेष रोल होता है। यही वो मनोरसायन है जो जज्बा , जुनून और देश की एकता और अखंडता के मनोभाव के लिये उत्तरदायी होते है।यह बातें मनदर्शन मिशन के संस्थापक डॉ आलोक मनदर्शन द्वारा जारी आज़ादी का अमृत महोत्सव सन्दर्भित राष्ट्र प्रेम मनोजागरुकता विज्ञप्ति में दी गयी ।