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राष्ट्र अपमान का परिमार्जन है अयोध्या का श्रीराम मंदिर : चम्पत राय

– अयोध्या उत्सव में हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका नवोत्थान के विशेषांक का हुआ लोकार्पण


अयोध्या,। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने ’अयोध्या उत्सव’ के एक सत्र में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण विदेशी आक्रांताओं के हमले का परिमार्जन है। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के आनंद की तुलना मैं 15 अगस्त 1947 को मिलने वाले आनंद के क्षण से कर पा रहा हूं।

चम्पत राय तीन दिवसीय ’अयोध्या उत्सव’ के दूसरे दिन रविवार को हिन्दुस्थान समाचार समूह की पत्रिका नवोत्थान के विशेषांक का लोकार्पण करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में श्री मणिराम दास छावनी स्थित श्रीराम सत्संग भवन में ’अयोध्या उत्सव’ का आयोजन किया गया है। चम्पत राय ने वर्ष 1962 की लड़ाई को याद करते हुए कहा कि भारतीय संसद लोक भावनाओं का आदर करने वाला है। राय ने कहा कि वर्ष 1962 में चीन ने हिंदुस्तान पर हमला किया। बहुत बड़ा भूखंड कब्ज़ा कर लिया। उसके कब्जे वाली भूमि को लेकर भारतीय संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया। हम एक-एक इंच भूमि वापस लेंगे। बावजूद इसके इसे केवल संसद का प्रस्ताव नहीं माना जा सकता है। संसद हिंदुस्तान के समाज का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि वर्ष 1962 की घटना और वर्ष 1963 के प्रस्ताव के कितने वर्ष हो गए। अभी तो एक इंच भी जमीन नहीं ली जा सकी है।

श्रीराम मंदिर निर्माण के वैज्ञानिक आधार समझा गये चम्पत राय


. अयोध्या उत्सव में पधारे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय श्रीराम मंदिर निर्माण का वैज्ञानिक आधार समझा गये। उन्होंने इसके निर्माण में रखी जाने वाली एक-एक सावधानियों को बड़ी ही बारीकी से रखा। बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में श्री मणिराम दास छावनी स्थित श्रीराम सत्संग भवन में आयोजित ’अयोध्या उत्सव’ के दौरान चम्पत राय ने बताया कि यह राष्ट्र का और राष्ट्र के सम्मान का मंदिर है। यह हर भारतीय के सहयोग का प्रतिफल है। इसके निर्माण में सबकी समान हिस्सेदारी है। इसके निर्माण में बहुत सावधानियां रखी गयीं हैं। मंदिर के बेस की जमीन को मजबूती दी गयी है। इसको आर्टिफिशियल रॉक नाम दिया गया है। मंदिर में 21 लाख क्यूबिक पत्थर लगाए जा रहे हैं। इसके निर्माण शिल्प में इसकी आयु का आकलन किया गया है। बहुत ही कम मात्रा में लोहे का उपयोग हुआ है।

लोहा पड़ने से इसकी आयु 100 साल कम हो जाती। इसमें प्लेन कंक्रीट है। कंक्रीट पड़ने से इसकी आयु 150 साल से अधिक नहीं हो सकती। जमीन के ऊपर भी कंक्रीट नहीं है। जमीन के ऊपर यदि एक इंच भी कंक्रीट आ गई तो 150 साल के बाद वह कंक्रीट कमजोर हो जाएगी। जमीन के नीचे लोहे का तार भी नहीं हैं। नीचे थोड़ा बहुत कंक्रीट है भी, तो रोलर कंपैक्टेड है। यह दो-चार फीट नहीं बल्कि 14 मीटर है। आर्टिफिशियल रॉक के अंदर सीमेंट भी नहीं है। जहां उपयोग हुआ है वहां सीमेंट की मात्रा बहुत कम है। कहीं-कहीं 02 से 02.50 प्रतिशत का उपयोग हुआ है। पानी न के बराबर है। रोलर कॉम्पेक्शन डेंसिटी मेजरमेंट 98þ डेंसिटी होने के बाद सेकंड लेयर और थर्ड लेयर है। इस प्रकार 14 मीटर इतनी गहराई तक एक रॉक डाली गई है। इस प्रकार जमीन को मजबूती दी गयी है। वजह, जमीन में मिट्टी नहीं थी बालू थी। बालू में कोई नया बेस नहीं तैयार हो सकता था।

 

सभी समस्याओं का समाधान हैं श्रीराम : गिरीश पति त्रिपाठी


. अयोध्या उत्सव के दूसरे दिन के दूसरे सत्र को रविवार को संबोधित करते हुए अयोध्या के महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि भगवान राम के चरित्र प्रभाव की व्यापकता की चर्चा करना असंभव है। केवल सरयू तट के किनारे जाने से ही भगवान की प्राप्ति हो जाती है। श्रीराम सभी समस्याओं का समाधान हैं। त्रिपाठी ने श्री मणिराम दास छावनी स्थित श्रीराम सत्संग भवन में आयोजित ’अयोध्या उत्सव’ में कहा कि किसी भी वांग्मय में भगवान राम की महत्ता बहुत ही विस्तृत है। संक्षेप में कह पाना कठिन है, लेकिन इनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कि उसका एक-एक अक्षर ही महापाप को नाश करने में सक्षम है। उनके चरित्र का एक भी शब्द और अक्षर मनोभावों के तमाम पापों को नष्ट करने में सक्षम और समर्थ है।

पूरी दुनिया का नेतृत्व करने जा रही अयोध्या : नरेंद्र श्रीवास्तव

. राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र श्रीवास्तव ने रविवार को अयोध्या उत्सव को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि रामचंद्र जी के बारे में कुछ कहने-बोलने से बेहतर है कि उनके संदेश को अपने अंदर भी उतारने की कोशिश की जाए। भरत जी महान हैं, जैसे आज एक-एक इंच जमीन के लिए भाई-भाई लड़ रहे हैं, कत्ल हो जा रहा है, गोलियां चल जा रही हैं, लेकिन भरत जी ने 14 वर्ष तक किस तरह अपनी जिंदगी काटी है यह किसी से छिपा नहीं है। आज वृद्धाश्रमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जबकि सनातन संस्कृति में वृद्धाश्रम का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। वे हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी, श्रीअयोध्या न्यास और प्रज्ञा की तरफ से आयोजित अयोध्या उत्सव के द्वितीय सत्र को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित कर रहे थे।

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