-मंशी प्रेमचंद की जयंती पर हुई साहित्यिक गोष्ठी

Oplus_131072
अयोध्या। जनवादी लेखक संघ, फैजाबाद द्वारा मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन आभा होटल, मोतीबाग़ के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं के केंद्र में किसान और स्त्री का जीवन हमेशा मौजूद रहा है। वे उन विसंगतियों को उजागर करते हैं जिनके कारण भारतीय समाज में हाशिए पर रहने वाला वर्ग सदैव वंचना की स्थिति में रहा है।
उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इन वर्णनों के बीच भी प्रेमचंद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को रेखांकित करना नहीं भूलते। उनके अनुसार यह उल्लेखनीय है कि आज भी ज़मीनी रचनाकारों को प्रेमचंद की परम्परा का रचनाकार कहा जाता है। उर्दू के वरिष्ठ आलोचक मो. ज़फ़र ने कहा कि प्रेमचंद अपने शुरुआती दौर में उर्दू में ही लेखन करते थे, इस तथ्य की पुष्टि करते हुए प्रेमचंद की उर्दू की प्रमुख रचनाओं का परिचय भी उनके द्वारा दिया गया। मो. ज़फ़र के अनुसार प्रेमचंद अपनी अफ़सानानिगारी में तरक़्क़ीपसंद ख़यालात के लिए मशहूर रहे हैं। उनके मुख़्तसर अफ़सानों में अवाम की आवाज़ बुलंद तौर पर मौजूद रही है। प्रेमचंद की ज़बान साफ़ और शफ़्फ़ाक थी और इसीलिए वे मशहूर भी हुए।