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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला दीपोत्सव बनायेगा एक नया विश्व कीर्तिमान

-अवध विवि की कुलपति के कुशल प्रबंधन में 55 घाटों पर सजे 28 लाख दीए, 30 हजार वालंटियर्स 25 लाख से अधिक दीए जलाकर रचेंगे एक नया इतिहास


अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल के कुशल प्रबंधन में दीपोत्सव-2024 को ऐतिहासिक बनाने के लिए 30 हजार वालंटियर्स के सहयोग से 25 लाख से अधिक दीयों को प्रज्ज्वलित करने तैयारी पूरी की गई। मंगलवार को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड टीम के कंसल्टेंट निश्चल बरोट की अगुवाई में 30 सदस्य सरयू के 55 घाटों के दीए की गणना पर्यवेक्षक, घाट प्रभारी, समन्वयक व गणना वालंटियर की मौजूदगी में शुरू की। रामनगरी के दीपात्सव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप कुलपति प्रो. गोयल द्वारा पदाधिकारियों को यथा आवश्यक निर्देश प्रदान किया गया। प्राण प्रतिष्ठा के बाद के पहले दीपोत्सव को लेकर विश्वविद्यालय आवासीय परिसर, सम्बद्ध महाविद्यालयों, इण्टर कालेजों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारी में काफी उत्साह है। सभी के सहयोग से पिछले 21 लाख के कीर्तिमान को तोड़ते हुए इस बार 25 लाख से अधिक दीए प्रज्ज्वलित करके एक नया विश्व रिकार्ड बनायेंगे।

दूसरी ओर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह अयोध्या का पहला दीपोत्सव है तो इसका अलौकिक और अविस्मरणीय होना स्वाभाविक है। प्रभु श्रीराम ईश्वरीय शक्ति होने के साथ एक ऐसे जननायक और लोकनायक महापुरुष हैं जिन्होंने समता और समरसता का मार्ग दिखाया। उनके अयोध्या आगमन की खुशी और उल्लास मे इस वर्ष मनाया जाने वाला दीपोत्सव मात्र अयोध्या या उत्तर प्रदेश या भारत वर्ष में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व मे अपनी अमिट छाप छोड़ेगा। उन्होंने बताया कि 30 अक्टूबर का दीपोत्सव अद्भुत, आलौकिक होगा। सभी घाटों पर दीए लगाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। सभी के सहयोग से विश्व कीर्तिमान बनायेंगे।

विवि प्रशासन द्वारा दीपोत्सव को अलौकिक और भव्य बनाने के लिए वालंटियर्स एवं पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान कर दिए गए हैं। 30 अक्टूबर को दीपोत्सव के दिन दीये में तेल भरने के लिए एक-एक लीटर सरसों की बोतल उपलब्ध कराई जायेगी। वालंटियर द्वारा 28 लाख बिछाये गए दीए में सावधानीपूर्वक तेल डालेंगे। घाट पर तेल न गिरे इसका विशेष ध्यान रखा जायेगा। वालंटियर्स द्वारा तेल की बोतल खाली होने के बाद उसी गत्ते में वापस सुरक्षित रखा जायेगा। दीये में तेल डालने के पश्चात बाती के आगे वाले भाग पर कपूर का पाउडर लगाएंगे जिससे वालंटियर्स को दीये प्रज्ज्वलित करने में आसानी होगी। प्रत्येक घाट पर दीयों को प्रज्ज्वलित करने के लिए कैंडल, माचिस, डंडे लगे कैंडल तथा अन्य सामग्री घाट के अनुसार निर्धारित दीयों की संख्या के अनुपात में एक ही बार में समन्वयको व घाट प्रभारी को उपलब्ध करा दी जायेगी। दीयों को प्रज्ज्वलित करने वाले स्वयंसेवक, समन्वयक सूती कपड़ों में, जो ढीले न हो, में ही घाटों पर उपस्थित रहेंगे और प्रज्वलित करते समय अपना व दूसरों का भी ध्यान रखेंगे।
विवि प्रशासन ने सरयू के 55 घाटों पर 28 लाख दीयों को सजाने के कार्य को अंतिम रूप दे दिया गया।

इसकी तैयारियों को लेकर विश्वविद्यालय ने पर्यवेक्षक, घाट प्रभारी, गणना वालंटियर्स के साथ दो हजार से अधिक भारी भरकम टीम उतार दी है। इनकी निगरानी में दीपोत्सव में 25 लाख से अधिक दीये प्रज्ज्वलित होंगे। दीपोत्सव की भव्यता विश्व पटल पर दिखे इसके लिए विश्वविद्यालय परिसर के वालंटियर द्वारा घाट न. 10 पर 80 हजार दीए से स्वास्तिक सजाया गया है। इससे पूरी दुनियां में शुभता का संदेश जायेगा। यह लोगों के आकर्षण का केन्द्र होगा। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. गोयल के कुशल मार्ग-दर्शन में 30 हजार वालंटियर द्वारा 55 घाटों पर 16 गुणे 16 दीए का ब्लाक बनाया गया है। जिसमें 256 दीए सजाये गये है। जिनमें एक वालंटियर को 85 से 90 दीए प्रज्ज्वलित किए जाने का लक्ष्य दिया गया है।

दीपोत्सव नोडल अधिकारी प्रो. संत शरण मिश्र ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन, जिला प्रशासन के सहयोग से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कार्य को अंतिम रूप दे दिया गया है। राम नगरी के 55 घाटों पर दीयों की सुरक्षा पुलिस प्रशासन व विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों द्वारा की जा रही है। घाटों पर सुरक्षा सख्त कर दी गई है। बिना आई कार्ड के प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। 30 अक्टूबर को दीपोत्सव के दिन प्रातः 10 बजे से पर्यवेक्षक, घाट प्रभारी, समन्वयक व गणना वालंटियर्स की देखरेख में 25 लाख से अधिक दीयों में तेल डालने, बाती लगाने व देर शाम शासन द्वारा नियत समय पर दीए प्रज्जवलित किए जायेंगे। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड टीम द्वारा सभी घाटों के दीपों की गणना की जा रही है।

मीडिया प्रभारी डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि दीपोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए समस्त वालंटियर्स को पदाधिकारियों द्वारा यथा आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान कर दिया गया है। सभी वालंटियर्स एवं पदाधिकारी दीपोत्सव पहचान-पत्र के साथ घाटों पर मौजूद रहेंगे। इसके अलावा सभी को सूती परिधानों में रहने का आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किया गया है। दीपोत्सव को अलौकिक बनाने के लिए सरयू के 55 घाटों पर विवि एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों, इण्टर कालेजों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारी वालंटियर के साथ मुस्तैद है।

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