भोपाल से पीथमपुर लाकर यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का विरोध तेज हो गया है। इसके विरोध में शुक्रवार को पीथमपुर में बड़ी संख्या में लोग सड़क पर आए और जाम लगा दिया। प्रदर्शनकारियों में शामिल रहे दो युवकों ने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर आग लगा ली थी। इस बवाल के उग्र रूप लेने पर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि पीथमपुर में अभी यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलाया जाएगा। यह फैसला राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों और अफसरों की बैठक में लिया गया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर ही यह फैसला लिया गया है और इसे अदालत के सामने भी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि जनता को कोई नुकसान हो। इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि पीथमपुर में कचरा जलाने से पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होगा।
खुद को आग लगाने वाले दोनों व्यक्तियों की पहचान राजू पटेल और राजकुमार रघुवंशी के रूप में हुई है। दोनों को प्राथमिक उपचार के लिए तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया और बाद में आगे के इलाज के लिए इंदौर के एक निजी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया।
पीथमपुर में लगभग 1.75 लाख आबादी है और 700 कारखाने हैं। यह इंदौर के नजदीक बसा हुआ एक औद्योगिक शहर है। जहरीले कचरे के निपटान की सरकार की योजना का यहां के लोग लंबे समय से विरोध कर रहे हैं। कचरे के निपटान पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
कचरा जलाने का पुरजोर विरोध कर रहे लोग
कचरे को जलाने के विरोध में पीथमपुर बचाओ समिति ने शुक्रवार को बंद बुलाया गया था। इस दौरान शहर के कई हिस्सों में दिन भर विरोध प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए दुकान मालिकों ने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखे। लोगों का साफ कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए पर यहां कचरा नहीं जलाने देंगे। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री भी कह रहे हैं कि यह जहरीला कचरा खतरनाक नहीं है तो इसे सुरक्षा घेरे के बीच में पीथमपुर में क्यों लाया गया है, इसे भोपाल में ही जला दिया जाना चाहिए था।
इस मामले में हुए बवाल के बाद पुलिस ने पांच FIR दर्ज कर ली हैं। पुलिस का कहना है कि शहर में अब हालात सामान्य हैं, फैक्ट्रियां चालू हो गई हैं और लोग अपने काम पर जा रहे हैं। पुलिस ने लॉर्ड एंड ऑर्डर की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारी संख्या में जवानों को तैनात किया है।
जहरीली गैस के रिसाव से मारे गए थे हजारों लोग
भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुई त्रासदी को दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है। 2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्य रात्रि को यह घटना हुई थी। जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों की जान चली गई थी। 40 साल के बाद भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से बचे हुए जहरीले पदार्थ को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया बुधवार रात से शुरू हुई थी और 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे से भरे 12 कंटेनर पीथमपुर के लिए रवाना हुए थे।
इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को अधिकारियों को कचरे के निपटान के लिए चार सप्ताह का समय दिया था। इस कचरे को जलाए जाने का काम 180 दिनों में पूरा किया जाना है।