आध्यात्मिक ऊर्जा का केन्द्र है महाकुम्भ : प्रो. रत्नेश द्विवेदी

by Next Khabar Team
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-विवि के पत्रकारिता विभाग में वैश्विक आध्यात्मिक संस्कृति का महापर्व कुम्भ विषय पर संगोष्ठी

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में शुक्रवार को पूर्वांह्न ‘वैश्विक आध्यात्मिक संस्कृति का महापर्व कुम्भ‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता इण्टरनेशल एसोसिएशन ऑफ जर्नलिज्म पेरिस के निदेशक प्रो0 रत्नेश द्विवेदी ने पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रयागराज के महाकुम्भ को तार्किक एवं वैज्ञानिक ढ़ग से समझना होगा। यह कुम्भ सृष्टि का द्योतक है।

पूरी दुनिया की दृष्टि हमारे अध्यात्मिक नगरी प्रयागराज कुम्भ क्षेत्र पर है इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर लोग उस ऊर्जा के रहस्य को जानने की उत्सुकता में वही पहुॅचना चाहते है। वैदिक काल से चली आ रही परम्परा कितनी वैज्ञानिक है। उन्होंने कहा कि धर्म को शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। वर्तमान में पूरी दुनिया में 265 धर्म है। सभी को अपने धर्मो के बारे में जानने की उत्कंठा होती है। सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। इसलिए हमें भी अपने धर्म के बारे जानना चाहिए।

कार्यक्रम में प्रो0 द्विवेदी ने कहा कि यह महाकुम्भ करोड़ों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। यह उत्सव सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिकता का समावेश है। गंगा में पवित्र डुबकी लगाना आध्यात्मिक रूप से आत्मा में ऊर्जा का संचार करता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आध्यात्मिक संस्कृति का महत्व यह है कि लोगों की जिदंगी को अध्यात्मिकता से जोड़ती है। इससे सकारात्मक ऊर्जा के साथ-साथ शांति मिलती है। कार्यक्रम में एमसीजे समन्वयक डॉ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि कुम्भ वैश्विक जनमानस का लोकमंगल है। यह जितना आध्यात्मिक है उतना ही सांस्कृतिक और सामाजिक भी है। धर्म, जात-पात से उपर उठकर सभी में विश्वबन्धुत्व का संदेश देता है। यह महाकुम्भ दुनियाभर के शोधार्थी एवं वैज्ञानिक इस वैदिक विरासत को समझने की खोज में आते है और इस प्रबंधन तकनीक से काफी कुछ सीखते है।

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इस महाकुम्भ में विश्वभर की संस्कृतियों की झलक दिखती है। पूरी दुनिया कह रही है यह त्रिवेणी स्थल अद्भुत, आलौकिक और अप्रतिम है। कार्यक्रम में डॉ0 आरएन पाण्डेय ने कहा कि इस महाकुम्भ से आध्यात्मिकता को अच्छी से जाना एवं परखा जा सकता है। यह जितना वैज्ञानिक है उतना ही अलौकिक है। यह सांस्कृतिक पर्व सभी को एक सूत्र में बाधने का कार्य करता है। विश्वबंधुत्व और एकता का प्रतीक महाकुम्भ है। कार्यक्रम में अतिथि का स्वागत अगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह भेटकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 पाण्डेय ने किया।

इस अवसर पर आदित्य उपाध्याय, दयानंद तिवारी, तन्या सिंह, दिवाकर चैरसिया, श्रेया श्रीवास्तव, एकता वर्मा, गार्गी पाण्डेय, कल्पना पाण्डेय, ब्रजेश गुप्ता, अक्श पाण्डेय, नेहा, साभ्वी गुप्ता, शगुन जायसवाल, विवेक वर्मा, सोनिया कुमारी, अनुश्री यादव, राजेश कुमार, कामिनी चैरसिया सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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