अधिक उम्र में गर्भधारण, बन सकता है मनोमन्दता का कारण : डा. आलोक मनदर्शन

by Next Khabar Team
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-मानसिक-मंदता से बचाती है सतर्कता


अयोध्या। डाउन-सिंड्रोम अर्थात मानसिक-मंदता के शिकार बच्चे और उनके माँ के अधिक उम्र में गर्भधारण के बीच प्रबल सहसंबंध है। मानसिक मंदित शिशु के पैदा होने की आशंका उन महिलाओं में ज्यादा होती है जो 35 वर्ष के बाद गर्भधारण करती हैं। समय से गर्भधारण और नियमित जांच से इस स्थिति से बचा जा सकता है । ऐसे लगभग 50 प्रतिशत बच्चों में हृदय रोग की भी समस्या पाई जाती है।

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से काफी कमजोर होते हैं। उन्हें चलने, बोलने व समझने में परेशानी होती है। उपचार लंबा चलता है। इससे वे इस लायक हो जाते हैं कि अपना रोज का कार्य आसानी से कर सकें तथा समाज में अनुकूलन कर सकें।

आँखों मे तिरछापन व भौहों के बीच जगह ज्यादा होती है। बार-बार जीभ बाहर निकालतें हैं तथा कान झुका रहता है। ऐसे बच्चों में फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी व बिहेवियर थेरेपी प्रभावी है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को विश्व डाउन-सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। यदि गर्भवती प्रसव के समय थायरायड, उच्च रक्तचाप, मधुमेह या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो उसका असर बच्चे के मानसिक-स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।

पहले बच्चे के मानसिक मंद होने पर दूसरे के समय अधिक सतर्कता जरूरी है। अधिक उम्र मे शादी तथा फैमिली प्लान करने में देरी से भारत में भी समस्या बढ़ती जा रही है । यह जानकारी डा आलोक मनदर्शन ने मन-कक्ष मे आयोजित वार्ता में दी।

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