-शुकदेव पूजन के साथ कथा का हुआ विश्राम
अयोध्या। अयोध्या बेनीगंज फेस तीन में अष्टभुजी माता मन्दिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य धरणीधर महाराज ने कहा भगवान भाव के भूखे होते हैं, जो प्राणी अपनी अंतर आत्मा से भगवान को पुकारता है। भगवान सदा उसकी रक्षा करते हैं। संसार परमात्मा की ही सत्ता है। इसके बाद भी जीव मूर्खतावश संसार की वस्तुओं को अपना समझ बैठता यह जीव की सबसे बड़ी भूल है।
जीव को चाहिए कि वह परमात्मा की सबसे बड़ी सत्ता का अनुभव और चिंतन करते हुए जीवन निर्वाहन करें। ताकि इस माया रूपी संसार में रहते हुए जीव मोक्ष को प्राप्त करें।भगवान भाव के भूखे होते हैं, जो प्राणी अपनी अंतर आत्मा से भगवान को पुकारता है। भगवान सदा उसकी रक्षा करते हैं। संसार परमात्मा की ही सत्ता है। इसके बाद भी जीव मूर्खतावश संसार की वस्तुओं को अपना समझ बैठता यह जीव की सबसे बड़ी भूल है। जीव को चाहिए कि वह परमात्मा की सबसे बड़ी सत्ता का अनुभव और चिंतन करते हुए जीवन निर्वाहन करें। ताकि इस माया रूपी संसार में रहते हुए जीव मोक्ष को प्राप्त करें।शुकदेव पूजन के साथ कथा का विश्राम हुआ। देखा जाए तो कथा विश्राम का अर्थ समापन नहीं होता, क्योंकि कथा केवल प्रारंभ होती है, विराम नहीं।
विश्राम से अर्थ होता है, कथा सुनकर हमारे हृदय में चल रही उद्वेगनाएं, क्रोध, मोह, ईर्ष्या से विश्राम से मिलकर परम शांत स्वरूप, भगवान का हृदय में स्थापित हो जाना ही कथा विश्राम कहलाता है। इस अवसर पर मुख्य यजमान हरीराम,पाण्डेय हरी प्रसाद पाण्डेय, अयोध्या प्रसाद पाण्डेय, शैलेन्द्र पाण्डेय,डा.दिलीप सिंह, शिवकुमार सिंह,दुर्गेश कन्नौजिया, आषुतोष पाठक, सतेन्द्र बहादुर सिंह राठौर, संजय पाण्डेय, सुनील सिंह, राधे श्याम पाण्डेय, विनोद, अभिषेक पाण्डेय,डा.राय धनंजय सिंह अनिल जायसवाल मौजूद रहे।