एंटीसिपेटरी फियर, नोसोफोबिया, एंग्जायटी, स्ट्रेस, व डिप्रेशन जैसे मनः स्थितियों से बचाने में संकल्प, संयम, व संगीत उपयोगी
अयोध्या। वर्तमान विश्व के लिए काल के कपाल पर कोरोना का जो कराल चित्र उभर कर सामने आ रहा है वह समस्त मानवता को आतंकित करने वाला भी है। यद्यपि हमारे देश मे रविवार को जनता कर्फ्यू ने बता दिया कि लोग संवेदनशील, सजग, जागरूक और सक्षम हैं ऐसा ही संयम कुछ और दिनों के लिए आवश्यक है। जीवन से जुड़ा विषय होने के कारण सभी की चर्चा का केंद्रबिंदु भी है ,और इसीलिए भ्रांतियों की संभावना भी बनी रहती है। इसी तरह अभी इंटरमीडियट की जंतुविज्ञान की एक पुस्तक का पृष्ठ शेयर कर कोरोना के इलाज का खबर वायरल हो रही थी, इस विषय की पुष्ट जानकारी देते हुए रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम अयोध्या के चिकित्सक व आरोग्य भारती के अवध प्रान्त सहसचिव डा उपेन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि वायरल खबर में सामान्य जुकाम के कारण, उसके लक्षण ,सम्भव उपचार के बारे में लिखा है जिसमे कारण के रूप में कोरोना का भी जिक्र है, किन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल नही कि वह कोरोना का इलाज है, जो लिखा है उसे उसीरूप में समझना चाहिए, बिना पूरा पढ़े गलत सन्दर्भ ग्रहण करने पर ऐसी ही भ्रांतियां फैलती हैं। कोरोना के खतरे से निपटने में सरकार व तन्त्र की समय पर सक्रियता स्वागतयोग्य है किन्तु एकदिन का जनताक़र्फ्यू ही पर्याप्त नहीं अभी क्रमिक चरण के लिए भी हमें इसी सहयोगी भाव से तैयार होना पड़ेगा, क्योंकि कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए व्यक्तिगत सामाजिक दूरी के अनुशासन को संवेदनशील, सजग, व जिम्मेदार नागरिक के नैतिक दायित्व के पालन में सहयोग की स्वीकृति के भाव से ग्रहण करेंगे तो लॉकडाउन या बंद की सूचनाएं सहज लगेंगी। इस दौरान जब लोग कामकाज से दूर घर पर होंगे तो उनमें कई प्रकार की चिंताएं, कल्पनाएं,आशंकाएं, भय, और इनसे सम्बंधित मानसिक, शारीरिक स्वस्थ्य जटिलताओं की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता, क्योंकि किसी महामारी के फैलने का डर,स्वयं के परिवार के या बच्चों के जीवन पर संकट, परिवार व बच्चों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, अनपेक्षित अशुभ समाचार, अकेलेपन, अधीरता, बेचैनी, से सम्बंधित तनाव या अन्यान्य काल्पनिक भय जनित मनःस्थितियों की समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना को होम्योपैथी चिकित्सकीय भाषा मे एंटीसिपेटरी फियर, या नोसोफोबिया के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है।डा उपेन्द्रमणि का कहना है होम्योपैथी में मनमस्तिष्क को सर्वोपरि माना गया है, और यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूती देता है इसलिए सकारात्मक विचार व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखते हैं और नकारात्मक चिंतन जीवनीशक्ति में न्यूनता लाकर रोगों की सम्भाबना बढ़ा देती है,
इसलिए मन मे कोई भी सन्देह या जिज्ञासा हो तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श कर समाधान करें। संक्रमण व्यक्ति से व्यक्ति या संक्रमित व्यक्ति के वस्तुओं के स्पर्श से फैलता है इसलिए स्वच्छता के उपाय के साथ यक्तिगत या सामाजिक दूरी बना कर बचाव संभव है। हाथों को साबुन से धोएँ और संभव हो तो दस्ताने का प्रयोग करें।
मौसम में बार बार परिवर्तन से भी व्यक्ति की प्रतिरक्षण क्षमता में कमी आती है जिससे सामान्य सर्दी जुकाम हो सकता है ध्यान रखें प्रत्येक सर्दी जुकाम कोरोना नहीं , यदि आपको सूखी खांसी, व बुखार , बार बार आंख नाक से पानी छींक आती है तो स्वयं को अन्य सदस्यों से दूर कर लें, और कोई भी दवा चिकित्सक के परामर्श से ही लें।
डा उपेन्द्रमणि ने कहा लॉक डाउन का अनावश्यक तनाव न लें यह अनुशासन और संयम का एक तरीका है, ऐसा तनाव नही पालना चाहिए कि हम आप घर मे ही कैद कर दिए गए, अपितु यह विचार करना चाहिए कि इस तरह आप अपने परिवार के साथ या जहां भी है कुछ दिन कार्य से अवकाश पर हैं, उस समय का सदुपयोग अध्ययन, मनोरंजन, गीत, कहानी, खेल, उपासना, योग, घर के अंदर रचनात्मक खेल, मेडिटेशन , गीत, संगीत, कीर्तन, भजन, आदि गतिविधियों की दिनचर्या निर्धारित कर अकेलेपन की बोरियत या तनाव से बच सकते हैं। यह भी विश्वास रखें कि आप अपने नागरिक कर्तव्य का पालन कर राष्ट्र के लिए संकटकाल में अपना सहयोग सुनिश्चित कर रहे हैं। यह विचार आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।
ध्वनि तरंगों के विज्ञान के अनुसार घण्टे घड़ियाल, शंख, घण्टियों की एकस्वर ध्वनि जब वातावरण के कणों से अनुनादित होती है तो उत्साह की सकारत्मकता,व कर्णप्रिय संगीत के साथ नकारात्मक वातावरण का शमन भी करती है।
पीड़ादायी काल्पनिक परिस्थितियों जीवन आदि के संकट जैसे अन्यान्य भय जनित मानसिक विकारों से बचने के लिए स्वयं को परिवार के साथ गतिविधियों में लिप्त रखें व आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित दवाएं भी ले सकते हैं।ऐसी परिस्थितियों के लिए होम्योपैथी में कई दवाईंयां हैं जो व्यक्ति को भयजनित रोगों से मुक्त करने में सहायक हैं।
Comments are closed.