जालियांवाला बाग नरसंहार की याद में आयोजित होगा 12वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल ‘अवाम का सिनेमा’

by Next Khabar Team
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  • अवध विवि के संतकबीर सभागार में 9 से 11 अगस्त  को सरोकारी शख्सियतों का  होगा जमावड़ा 

  • तैयारियों को लेकर संरक्षक मंडल व आयोजन समिति की हुई घोषणा

फैजाबाद। जालियांवाला बाग नरसंहार  की याद में आयोजित 12वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल‘अवाम का सिनेमा’ को लेकर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। 9 से 11 अगस्त 2018 को आयोजित होने वाले प्रोग्राम की तैयारियों को लेकर संरक्षक मंडल और आयोजन समिति की घोषणा गई। काकोरी एक्शन डे पर शुरु होने वाले तीन दिवसीय आयोजन डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संतकबीर सभागार में सरोकारी शख्सियतों का जमावड़ा होगा। उद्घाटन समारोह से पहले मण्डल कारागार स्थित शहीद अशफाक प्रतिमा पर माल्यार्पण दिन के दो बजे होगा। उसके बाद मार्च करते हुए कारवां संत कबीर सभागार पहुंचेगा जहां सभागार के सामने वही तिरंगा फहराया जाएगा जिसकी लाज बचाने के लिए देशवासियो ने कुर्बानी दी। उसके बाद विधिवत उद्घाटन समारोह शुरु होगा। 12वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के संरक्षक मण्डल में आचार्य मनोज दीक्षित, कुलपति, अवध विवि. फैजाबाद,सूर्यकांत पांडेय, शहीद शोध संस्थान, ओम प्रकाश सिंह, सदस्य कार्य परिषद, अवध विवि, फैजाबाद, महंत गिरीश त्रिपाठी, तिवारी मंदिर अयोध्या, अतुल सिंह, एम डी अवध इंटरनेशनल स्कूल, गुलाम सिद्दीकी, वरिष्ठ समाजसेवी,अशोक श्रीवास्तव एडवोकेट, जलाल सिद्दीकी, वरिष्ठ रंगकर्मी, भारत भूषण सिंह, पानी संस्थान,रीता खत्री, पूर्व सदस्या फिल्म सेंसरवोर्ड, डा. वीएन अरोड़ा, पूर्व प्रधानाचार्य साकेत पीजी कालेज, डा. प्रदीप खरे, पूर्व प्रधानाचार्य, साकेत पीजी कालेज, अयोध्या और डा. मिर्जा शहाब शाह, विभागाध्यक्ष वाणिज्य संकाय, साकेत कालेज सम्मानित शख्सियत शामिल हैं। 12वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के आयोजन समिति में शोभा गुप्ता, अमित कुमार सिंह, शिवसामंत मौर्य, संगीता आहूजा, सौमित्र मिश्र, डा. सम्राट अशोक मौर्य, मो. तुफैल, जनार्दन पांडेय, देवेश ध्यानी, अभिषेक शर्मा आदि सहित 25 सदस्य शामिल हैं।

जालियांवाला बाग नरसंहार का शताब्दी वर्ष…

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के बर्बर ऐतिहासिक अध्याय ‘जालियांवाला बाग नरसंहार’ के शताब्दी वर्ष पर 12वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल ‘अवाम का सिनेमा’ 9 से 11अगस्त 2018 को डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में आयोजित किया जा रहा है। इंसाफ का नगाड़ा बजाने वाले फिरंगी हुकूमत के रुह कंपा देने वाले इस नरसंहार को कभी भुलाया नही जा सकता। दरअसल 13अप्रैल 1919 को छुट्टी का दिन था। डा. किचलू और डा. सत्यपाल के निर्वासन के विरोध में आम सभा थी, जिसमें अमृतसर और आसपास के गांवों के करीब बीस हजार का जनसैलाब उमड़ आया था। चारों तरफ से घिरे इस बाग में सिर्फ एक संकरा रास्ता था, जनसभा चल रही थी, डायर सेना लेकर पहुंचा और फाटक का रास्ता रोककर बगैर किसी चेतावनी के निहत्थे लोगो पर अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरु कर दिया। सारे बाग को लाशों से पाटने के बाद नरसंहार के हत्यारे डायर ने तत्काल कर्फ्यू लगाकर ऐलान करवा दिया कि जो भी सड़क पर दिखे उसे गोली मार दी जाएं। जांच कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि एक हजार से ज्यादा लोग मारे गये तो वही लगभग दो हजार लोग घायल हुए। कर्फ्यू के डर और गोली के जख्मों से कराहते बूढ़े और छोटे बच्चे ज्यादा देर तक जिन्दा न रह सके।

खिंची चली आती हैं दिग्गज और सरोकारी हस्तियां…

उद्घाटन समारोह में कई शख्सियते आने को लेकर उत्साहित हैं जिसमें बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर, प्रोडूसर और लेखक डॉ. इकबाल दुर्रानी भी हिस्सा लेने मुख्य रूप से मुंबई से अयोध्या पहुंच रहे हैं. डॉ. इकबाल दुर्रानी अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘कोहराम’, शहरुख खान की दिल आशना है,  अजय देवगन की‘फूल और कांटे’, गोविंदा की ‘खुद्दार’, ‘बेताज बादशाह’, अक्षय कुमार की सौगंध, नागार्जुन की शिवा के साथ ही अनिल कपूर, डिंपल कपाड़िया, हेमा मालिनी, जूही चावला, राजकुमार, विनोद खन्ना जैसे एक्टर्स की लगभग तीन दर्जन फ़िल्में लिख और डायरेक्ट कर चुके हैं. उन्होंने कई महत्वपूर्ण किताब भी लिखी है. जिसमें आजादी योद्धा ‘बिरसा मुंडा’ पर लिखी किताब बहुत मकबूल हुई है. इसके इलावा तीन गिनिज विश्व रिकार्ड अपने नाम दर्ज कर चुके दुनियां की 125 से अधिक भाषाओं में गाने वाले गजल गायक और तेलुगू फिल्म अभिनेता डा.गजल श्रीनिवास हिस्सेदारी करेंगे। पांच सौ से अधिक टाइटिल और सम्मानों से नवाजे गये और दुनियां भर में 6 हजार से अधिक कार्यक्रम पेश करने वाले डा. गजल अपने खर्चे से शहीद ए वतन अशफाक उल्ला खां की शहादत स्थल को नमन करने फैजाबाद आ रहें हैं। इन दिनों डा. गजल श्रीनिवास जालियांवाला बाग नरसंहार पर बन रहे तराने में शिद्दत से जुटे हुए हैं। अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में यह डीवीडी रिलीज के बाद अमृतसर के जालियांवाला बाग स्मारक पर भी रिलीज किया जाएगा। इसके साथ ही क्रांतिकारियों के परिजन व अन्य हस्तिययां भी हिस्सा ले रही हैं जालियांवाला नरसंहार को समेटे तीन दिवसीय आयोजन में सेमिनार, फोटो एवं पोस्टर प्रदर्शनी, पुस्तक विमोचन, अमर क्रांतिकारियों के वंशजों का सम्मान, नाटक, लोक गीत, झांकी, फीचर, लघु और दस्तावेजी फिल्मों की प्रदर्शनी, कविता पाठ, क्रांतिकारियों की जेल डायरी, तार और मुकदमें की फाइलों आदि के मार्फत संवाद किया जाएगा। आपसे तन, मन, धन से सहयोग और शिरकत की दरकार है।

सिलसिला जो चल पड़ा…

अवाम का सिनेमा के 13 साल कुछ कम नही होते, इसके सफरनामे की शुरुआत 28जनवरी 2006 को अयोध्या से हुई थी। तब डा. आर. बी. राम ने तीन सौ रुपये का आर्थिक सहयोग देकर कांतिवीरों की यादों को सहेजने की इस पहल का स्वागत किया था। अवाम का सिनेमा का आगे का रास्ता क्या हो? आजादी आंदोलन के योद्धा और कानपुर बम एक्शन के नायक अनंत श्रीवास्तव के सुझाव पर बना इसका संविधान। प्रसिद्ध और सरोकारी डिजाइनर अरमान अमरोही ने इसका लोगो बनाया। तेरह वर्षों में देश-दुनियां के बहुत सारी शख्सियतें इसकी गवाह बनी, फिर भी वह दौर आसान न था। बावजूद इसके अयोध्या से लेकर चाहे चंबल का बीहड़ हो, रास्थान का थार मरुस्थल या फिर सुदूर कारगिल। अवाम का सिनेमा पुरजोर तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राजनीति, समाज, आर्थिकी-सबकी सच्चाईयों को समाने लाने की कोशिश में लगातार लगा हुआ है।

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स्पांसरशिप से परहेज…

देश भर में अवाम का सिनेमा के 17 केन्द्र हैं जहां विविध आयोजन साल भर चलते रहते हैं। इसका आयोजन हमख्याल साथियों के श्रम सहयोग और जनसहयोग से होता रहा है और आगे भी हरहाल में यह कारवां अपने शुरुआती तेवर के साथ जारी रहेगा। इस मुश्किल सफर में जो भी साथी जुड़ना चाहें उनके लिए दरवाजा हमेशा खुला है।

लगातार आयोजनों की रही है हमेशा चर्चा…

13 वर्षों के इतिहास में देश भर में हुए सफल आयोजनों में देश सहित दुनियां के कई हिस्सों से सरोकारी हस्तियां अपने खर्चे से शामिल होकर हौसला बढ़ाती रही हैं। इसके इलावा क्रांतिकारियों से संबंधित दस्तावेज, फिल्म, डायरी, पत्र, तस्वीरें, तार, मुकदमें की फाइल आदि तमाम सामग्री गिफ्ट मिली हैं। गांव, कस्बों से लेकर, महाविद्यालयों, विश्विद्यालयों सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने जहां निशुल्क कार्यक्रम स्थल दिया हैं, रुकने और भोजन का प्रबंध कर गौरांवित किया है, विभिन्न संगठनों ने जमीनी स्तर पर जनसहभागिता बढ़ाकर हौसला बढ़ाया है, तो वही प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और वेब मीडियां ने अग्रिम सूचनाएं प्रसारित कर आयोजन को कामयाब बनाया है तो वही साथियों ने फेसबुक, ट्यूटर, पत्र, ईमेल, नुक्कड़ मीटिंग, चर्चा करके आयोजन की सूचना समाज से साझा करते रहे हैं तो वहीं कई ने क्रांतिकारियों पर लगातार लिखकर जागरुकता बढ़ाई है। साथ वीडियो, फोटो,दस्तावेजीकरण और प्रकाशन में आर्थिक और श्रम सहयोग देकर इस विरासत को आगे बढ़ाया है।

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