राज्यपाल के अनुसार उन्हें भी यह जानकर आश्चर्य हुआ कि भारतीय भाषाओं के प्रति प्रबल आग्रह रखनेवाले डॉ. राममनोहर लोहिया का नाम तो अवध विश्वविद्यालय को दे दिया गया, लेकिन उस विश्वविद्यालय में हिंदी और संस्कृत जैसी भारतीय भाषाएं ही नहीं पढ़ाई जातीं।
मुंबई: फैजाबाद स्थित डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में न सिर्फ हिंदी विभाग खुलेगा, बल्कि वहां डॉ. लोहिया एवं कवि जगन्नाथदास रत्नाकर शोधपीठ की स्थापना भी की जाएगी।
उत्तरप्रदेश के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राम नाईक ने आज यह घोषणा मुंबई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए की। नाईक ने कहा कि उन्हें जगन्नाथदास रत्नाकर शोधपीठ की ओर से एक निवेदन प्राप्त हुआ है, जिसमें उक्त विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग एवं जगन्नाथदास रत्नाकर शोध पीठ के अलावा गोस्वामी तुलसीदास अवधी अध्ययन केंद्र शुरू करने की मांग की गई है। राज्यपाल के अनुसार उन्हें भी यह जानकर आश्चर्य हुआ कि भारतीय भाषाओं के प्रति प्रबल आग्रह रखनेवाले डॉ. राममनोहर लोहिया का नाम तो अवध विश्वविद्यालय को दे दिया गया, लेकिन उस विश्वविद्यालय में हिंदी और संस्कृत जैसी भारतीय भाषाएं ही नहीं पढ़ाई जातीं।
नाईक ने कहा कि उन्होंने जगन्नाथदास रत्नाकर समिति का निवेदन विश्वविद्यालय को अग्रेषित करते हुए वहां हिंदी विभाग शुरू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कविवर जगन्नाथदास रत्नाकर के साथ-साथ डॉ. राममनोहर लोहिया के नाम पर भी एक शोधपीठ की स्थापना का सुझाव भी विश्वविद्यालय को दिया है। विश्वविद्यालय की कार्यसमिति जल्द ही इस संबंध में उचित निर्णय करेगी। दूसरी ओर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनोज दीक्षित ने कहा है कि उन्होंने राज्यपाल द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग शुरू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी सत्र से ही यहां हिंदी की पढ़ाई शुरू हो जाएगी।