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लोक कलाएं हर स्वरुप में हैं जीवन्त : डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल

नन्दलाल बोस के जन्म दिन पर लगी प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के दृश्यकला विभाग आवासीय परिसर, अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में सागर कला भवन स्वदेश संस्थान अयोध्या के सहयोग से मंगलवार को प्रथम पद्म विभूषण नन्दलाल बोस के जन्म दिन के अवसर पर “लोक कलाओं का सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन पर प्रभाव“ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय विचार संगोष्ठी, कला प्रदर्शनी एवं राष्ट्रीय कलाकार सम्मान प्रदर्शनी 2019 का अयोजन किया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि आज लोगो के जीवन मे लोक कलायें अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। व्यक्ति के जीवन मे कला हर रुप मे अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कोई भी कला व्यक्ति के अर्न्तमन से प्रस्फुटित होती है। उन्होने बताया की अण्डमान निकोबार द्वीप की प्राकृतिक छटा एवं मनोहारी ट्टश्य देश की लोक कला की समस्त विधाओ को परिपूर्णतः प्रदान करती है। वहाँ के आदिवासी जीवन को एक कलाकार ही कलात्मक रूप से विश्लेषित कर सकता है। कुलपति महोदय ने ट्टश्य कला विभाग की शिक्षकाओं को उनके द्वारा किये जा रहे कला के क्षेत्र मे सराहनीय प्रयासो के लिए बधाई दी और ट्टश्य कला विभाग मे (कला दीर्घा) आर्ट गैलरी की उपलब्धता के साथ अन्य सुविधाओं को शीघ्र ही उपलब्ध करने की बात कही।
मुख्य अतिथि के रूप मे डॉ0 श्याम बिहारी अग्रवाल, पूर्व विभागाध्यक्ष ट्टश्य कला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यायलय, प्रयागराज, ने अपने उद्बोधन में बताया की आज लोक कलाएं हर स्वरुप में जीवन्त है और नन्दलाल बोस जी ने कम संसाधन मे भी इस की जीवन्ता को बनाये रखा। दृश्य कला विभाग की सहायक आचार्य डॉ0 सरिता द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए नन्दलाल बोस के जीवन दर्शन और कला के क्षेत्र में उनके योगदान को बहुत ही समीचीन तरीके से प्रस्तुत करते हुए यह बताया की संविधान के 22 अध्यायों में नन्दलाल बोस जी ने चि़़त्रण का कार्य किया, साथ ही उन्हे “यम एवं सावित्री“ के विशेष चित्रण के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया। संविधान के प्रथम भाग मे श्री राम का चित्रण किया। इस अवसर पर पूरे देश से आये हुए कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ0 श्याम बिहारी अग्रवाल, शशि शुक्ला, सुबोध रंजन शर्मा, राकेश गोस्वामी, देवांगी कपिल, पल्लवी सोनी, डॉ0 सरिता द्विवेदी, रीमा सिंह, सरिता सिंह, डॉ0 जोधा सिंह चौधरी, राजेश्वर पण्डित, पुप्पला बापी राजू ,अंकुश प्रजापति आदि को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पुरस्कृत कर सम्मान दिया गया।
कार्यक्रम के संयोजक दृश्य कला विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर पूरे देश से लगभग 220 कलाकारों ने प्रतिभाग करतें हुये अपनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगायी। जिसमे प्रमुख कलाकृतियो को पुरस्कृत भी किया गया। इस कला संगम से अवध के कलाकारों का देश के अन्य कलाकारो के साथ कलात्मक विचारो का अदान प्रदान किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्जवलन एवं विश्वविद्यायल कुलगीत के साथ प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम की समाप्ति पर पल्लवी सोनी, सहायक आचार्य, ट्टश्य कला विभाग आवसीय परिसर ने उपस्थित जन समूह को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से रवीन्द्र कुशवाहा, डॉ0 रेखा रानी शर्मा, मा0 खलीक अहमद खॉ, एस0 बी0 सागर, प्रो0 मृदुला मिश्रा, डॉ0 प्रिया कुमारी , डॉ0 प्रदीप कुमार त्रिपाठी, डॉ0 अलका श्रीवास्तव, सदस्य कार्यपरिशद ओमप्रकाष सिंह के साथ विभिन्न स्थानों से आये कलाकार एवं भारी संख्या मे छात्र-छात्राऐं उपस्थित रहें।

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