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साकेत महाविद्यालय प्रबंधतंत्र का वित्तीय अधिकार किया गया सीज

हाईकोर्ट के आदेश पर की गयी कार्यवाही

अयोध्या। का.सु. साकेत महाविद्यालय में में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रबंध कमेटी की मनमानी के कारण उच्च शिक्षा विभाग ने इस कॉलेज की प्रबंध कमेटी के वित्तीय अधिकार को सीज़ कर दिया है। इसे क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने अपने हाथों में ले लिया है। कोई बड़ी बात नहीं होगी यदि इस कमेटी को ही अगले कुछ दिनों में भंग भी कर दिया जाय। ये सबकुछ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ के आदेशों पर हुआ है।
मामला फीजिक्स के एक अस्सिटेंट प्रोफेसर से जुड़ा हुआ है, जिसने कॉलेज प्रबंधन पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए न्याय के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी. फीजिक्स के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश वर्मा साकेत डिग्री कॉलेज में साल 2004 से मानदेय पर पढ़ा रहे थे. शासन के आदेशों के बाद पिछले साल 7 मार्च को उन्हें रेगुलर कर दिया गया. लेकिन कॉलेज ने उन्हें अपने पद पर ज्वाइन नहीं करने दिया. इतना ही नहीं उनका गोंडा ट्रांसफर भी कर दिया गया. इससे क्षुब्ध डॉ. राजेश वर्मा ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. हाईकोर्ट ने उन्हें साकेत डिग्री कॉलेज में ही ज्वाइन करने के आदेश दिये। प्रोफ़ेसर को नहीं दी गई पूरी सैलरी वर्मा ने ज्वाइन भी किया लेकिन कॉलेज के प्रबंधन ने उन्हें फुल सैलरी देने से मना कर दिया. इसपर वर्मा ने फिर हाईकोर्ट में गुहार लगाई. इसपर उन्हें सैलरी देने के आदेश हुए लेकिन, कॉलेज फिर अपने रूख ने नहीं डिगा. वर्मा ने फिर इसे अदालत की अवमानना के रूप में याचिका दाखिल की. इसपर हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी की पर्सनल एपीयरेंस लगा दी. तब जाकर आनन फानन में डॉ. राजेश वर्मा को पूरी सैलरी दी गयी। पीड़ित को पूरी सैलरी देने के लिए ही साकेत डिग्री कॉलेज की प्रबंध समिति के वित्तीय अधिकार सीज किये गये हैं. उच्च शिक्षा विभाग में सहायक निदेशक संजय सिंह ने बताया है कि कॉलेज की प्रबंध समिति कोर्ट के आदेश को नहीं मान रही थी, लिहाजा उसके वित्तीय अधिकार सीज कर दिये गये और इसे क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को दे दिया गया हैं. इस मामले पर पीड़ित डॉ राजेश वर्मा ने बताया कि एक साल तक वे बिना सैलरी के काम करते रहे. उनका पूरा परिवार सड़क पर आ गया है। इस तरह का अन्याय किसी के साथ नहीं होना चाहिए। अयोध्या में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि उच्च शिक्षा विभाग और कोर्ट की नाराजगी को देखते हुए साकेत डिग्री कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी को ही भंग किया जा सकता है। हालांकि विभाग के अधिकारियों ने अभी ऐसी किसी भी जानकारी से इनकार किया है।

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