-जागरुकता का अभाव बनती है मनोरुग्णता, डिजिटल लत है नया मनोरोग : डा. आलोक मनदर्शन
अयोध्या।डिजिटल मीडिया की लत से मनोस्वास्थ्य को नया खतरा पैदा हो रहा है जिसकी वजह से अवसाद, बेचैनी,चिड़चिड़ापन, आक्रमकता,अनिद्रा बढ़ रहें है । विश्व मनोस्वास्थ्य जागरूकता पखवारा के तहत इनर व्हील क्लब मैत्री के संयोजन में पूर्व माध्यमिक विद्यालय गद्दोपुर में आयोजित जागरूकता संवाद में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने बताया कि डिजिटल मीडिया के अधिक स्क्रीन एक्सपोजर से ब्रेन में फील गुड मनोरसायन डोपामाइन का स्राव होने लगता है जिससे आनन्द व उत्तेजनामक तलब पैदा होती है तथा लगातार एक्सपोजर से बैचैनी व अशांत मनोभाव हावी हो सकता है। यह स्थिति अवसाद, उन्माद, एंग्जायटी डिसऑर्डर, ओ सी डी,पैनिक एंग्जायटी , मादक द्रव्य व्यसन, अमर्यादित व अनैतिक व्यहार,सेक्सटिंग व कंपल्सिव गैम्बलिंग जैसे मनोविकारो का उत्प्रेरक साबित हो रही है।
बचावः डिजिटल एडिक्शन एक प्रोसेस एडिक्शन है और किसी अन्य नशे की लत की तरह इसकी भी मात्रा बढ़ती जाती है जिसे एडिक्शन टॉलरेंस कहा जाता है तथा लत पूरी न हो पाने पर बेचैनी भी होती है जिसे डिजिटल विद्ड्राल लक्षण कहा जाता है। आनन्द की अनुभूति कराने वाले मनोरसायन डोपामिन की असामान्यता प्रमुख भुमिका निभाता है जिसके हाई रिस्क ग्रुप में बच्चे, किशोर व युवा हैं ।
डिजिटल फास्टिंग या डिजिटल डिटॉक्स ही इसका सम्यक उपचार व बचाव है। मनोरंजन के पारम्परिक तौर तरीकों व सामाजिक मेलजोल व रचनात्मक क्रिया कलापों को बढ़ावा देने के साथ आठ घण्टे की गहरी नींद अवश्य लेनी चाहिये और डिजिटल एडिक्शन जनित मनोदुष्प्रभावो से न निकल पाने की दशा में मनोपरामर्श अवश्य ले।
सत्र का संयोजन नजिस खलीक तथा अध्यक्षता प्रिंसिपल किरण तिवारी ने किया। क्लब की महासचिव डा शशी मिश्रा व अध्यक्ष डा रंजना सिंह ने डा आलोक मनदर्शन को सतत जन-मनोस्वास्थ्य जागरूकता हेतु क्लब प्रशस्ति-पत्र व स्मृति चिन्ह से अलंकृत किया।