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डॉ. अम्बेडकर का व्यक्तित्व अत्यंत विराट व बहु-आयामी : प्रो. मनोज अग्रवाल

-अवध विवि में वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक दर्शन की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान का आयोजन

-अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में शुक्रवार को डॉ. अम्बेडकर स्मृति व्याख्यान माला के तहत ‘‘वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक दर्शन की प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के बतौर मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 मनोज कुमार अग्रवाल रहे।

उन्होंने बताया कि डॉ. अम्बेडकर का व्यक्तित्व अत्यंत विराट एवं बहु-आयामी रहा है। उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को मात्र संविधान निर्माता एवं दलित उत्थान तक ही सीमित करके रख दिया गया है। जबकि अम्बेडकर के आर्थिक विचार आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि डॉ. अम्बेडकर के श्रम सुधार, कृषि सुधार, आर्थिक प्रजातंत्र एवं स्त्रियों के आर्थिक उत्थान की दिशा में किये गए कार्यों की अवहेलना नही की जा सकती। उनका व्यक्तित्व राष्ट्रीयता से ओतप्रोत और राष्ट्र प्रथम की भावना से था। डॉ. अम्बेडकर एक तर्कशील एवं वैज्ञानिक प्रवृत्ति के व्यक्तित्व रहे है। वे हर सामाजिक आर्थिक घटना का तर्क की कसौटी पर आंकलन करते थे।

डॉ. अम्बेडकर के आर्थिक दर्शन और उनकी वर्तमान परिदृश्य में प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभागाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा ने बताया कि डॉ. अम्बेडकर रूपए के आंतरिक एवं बाह्य मूल्य की स्थिरता राष्ट्र के आर्थिक विकास एवं स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक मानते थे। इसके लिए उन्होंने आवश्यकतानुसार विमुद्रीकरण का भी समर्थन किया। डॉ. अम्बेडकर के अनुसार रुपये के मूल्य में अस्थिरता एवं मुद्रास्फीति का सबसे अधिक दुष्प्रभाव निर्धन एवं वंचित वर्ग पर पड़ता है। अतः इसपर पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जाना अति आवश्यक है। इसी प्रकार डॉ. अम्बेडकर बेरोजगारी एवं कृषि क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रछन्न बेरोजगारी की समस्या को लेकर भी अत्यंत चिंतित रहे और इस समस्या के निवारण के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण विचार दिए जो कि आज भी प्रासंगिक है।

प्रो. आशुतोष ने बताया कि अम्बेडकर के आर्थिक विचारों का दायरा अत्यंत ही विस्तृत एवं गहन था। श्रमिकों की दशा में सुधार, सामाजिक एवं आर्थिक विषमता, आर्थिक नियोजन, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति, औद्योगीकरण, राष्ट्रीय एकीकरण एवं निर्धनता उन्मूलन के सन्दर्भ में डॉ अम्बेडकर के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने कि पहले थे। डॉ अम्बेडकर के आर्थिक विचार ठीक उस ‘‘लाइट हाउस‘‘ की तरह हैं जिसका सहारा लेकर हमारे नीति निर्माता सही दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और लोक कल्याण के परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में प्रो0 राजीव गौड़, प्रो0 विनोद श्रीवास्तव, डॉ0 प्रिया कुमारी, डॉ0 अल्का श्रीवास्तव, अनिल कुमार, राम रतन, रामलखन, कोमल पाल, निशी त्रिपाठी सहित शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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