-कहा-वर्क प्लेस स्ट्रेस को डिस्ट्रेस न बनने दें, मनोप्रबंधन बनाता है वर्क प्लेस फ्रेंडली
अयोध्या। वर्क प्लेस स्ट्रेस का प्रबन्धन न कर पाने पर स्ट्रेस नकारात्मक रूप ले कर डिस्ट्रेस या अवसाद बन सकता है जिसमे उलझन, बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा आदि के साथ शारीरिक दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ते हैं।
तीव्र मेन्टल स्ट्रेस से कार्टिसाल व एड्रेननिल हॉर्मोन बढ़ जाता है, जिससे चिंता, घबराहट, आलस्य, अनमनापन, अनिद्रा, सरदर्द, पेट दर्द,तेज़ धड़कन, चिड़चिड़ापन,गुस्सा व नशे की स्थिति भी पैदा हो सकती है । स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसाल का लेवल लम्बे समय बढ़े रहने पर इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ कर डायबिटीज का कारण तथा एड्रेननिल बढे रहने के रक्तवाहिनियो में सिकुड़न के कारण हाई ब्लड प्रेशर की दशा बन सकती है। मन के प्रत्येक भाव पीड़ा, तनाव, सुख, आनन्द, भय, क्रोध, चिंता, द्वन्द व कुंठा आदि का सीधा प्रभाव शरीर पर पड़ता है ।
चिंता, घबराहट व अनिद्रा एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें ।सामजिक व मनोरंजक तथा रचनात्मक गतिविधियों व योग व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें । फल, सब्जी व तरल पदार्थो का सेवन करें।इस शैली से मस्तिष्क में मूड स्टेबलाइज़र हार्मोन सेरोटोनिन, रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन,साइकिक पेन रिलीवर हार्मोन एंडोर्फिन व लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन का संचार होता है, जिससे दिमाग व शरीर दोनों स्वस्थ व वर्क प्लेस फ्रेंडली बनेंगे।
यह बातें झुनझुनवाला पी जी कॉलेज में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर पर इस वर्ष की थीम वर्क- प्लेस स्ट्रेस मैनेजमेन्ट कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कही। कार्यशाला की अध्यक्षता डा सरिता तिवारी ने किया। कार्य स्थल तनाव प्रबंधन की सतत संस्थागत कार्यशालाओं के दृष्टिगत डा आलोक मनदर्शन स्ट्रेस बस्टर ऑफ अयोध्या सम्मान से अलंकृत किया गया।