राजकीय टीबी क्लीनिक में एमडीआर के 700 मरीजों का जीवन खतरे में

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मरीजों को नहीं मिल पा रही कोक्सेरिन दवा, डाट्स योजना की धज्जियां उड़ा रहा टीबी क्लीनिक

अयोध्या। सरकार जहां डाट्स की महत्वाकांक्षी योजना के तहत टीबी के मरीजों को निःशुल्क दवाओं को उपलब्ध कराने का दावा करती रहती है परन्तु हकीकत इसके विपरीत है। अयोध्या जनपद के 700 मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमआरडी) मरीजों को राजकीय टी.बी. क्लीनिक अत्यावध्यक को कोक्सेरिन कैप्सूल अथवा टेबलेट उपलब्ध नहीं करा पा रहा है जिससे मरीजों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है। मरीजों का कहना है कि मेडिकल कालेज लखनऊ के चिकित्सक कैप्सूल के अलावां कोक्सेरिल टेबलेट भी प्रतिदिन 500 एमजी खाने के लिए अनिवार्य रूप से निर्देश देते हैं। एमडीआर मरीजों को लगातार दो साल तक यह कैपसूल अथवा टैबलेट प्रतिदिन सेवन करना अनिवार्य है। इस सम्बंध में जब अयोध्या के राजकीय टीबी क्लीनिक के जिला क्षयरोग अधिकारी डा. अजय मोहन से फोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की गयी तो उनका नम्बर बंद मिला। इस सम्बन्ध में क्लीनिक के क्षय रोग चिकित्सक डा. शील कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वर्षों से इस दवा की आपूर्ति सरकार नहीं कर रही है यही नहीं एमडीआर की यह दवा पूरे प्रदेश के किसी भी राजकीय टीबी क्लीनिक में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि इस दवा के लिए जन पोर्टल आॅनलाइन शाॅपिंग पर दवा कम्पनियों को आपूर्ति के लिए सूचित किया जा रहा है। कम्पनियां टेंडर डालती हैं जिस कम्पनी का टेंडर कम होता है उससे आपूर्ति ले ली जाती है। उन्होंने बताया कि आॅनलाइन शापिंग के लिस जन पोर्टल पर दवा उपलब्ध कराने के लिए जानकारी डाली जा चुकी है परन्तु अभी तक किसी कम्पनी ने दवा उपलब्ध नहीं कराया है। उन्होंने बताया कि यह कैम्पसूल अथवा टेबलेट ट्यूबर क्लोसिस (टी.बी.) के मरीजों को अनिवार्य रूप से दिया जाता है। दवा उपलब्ध न होने पर दो स्थितियां बनती हैं एक तो औषधि का ड्यूरेशन बढ़ जाता है तथा बैक्टीनिया मरीजों के अन्दर काफी बढ़ सकता है जो एक समस्या बन सकता है।
राजकीय टीबी क्लीनिक में मात्र दो चिकित्सक की नियुक्ति है। जिला क्षयरोग अधिकारी डा. अजय मोहन को इतने प्रभार दे दिये गये हैं कि उनके दर्शन चिकित्साल में दुर्लभ ही बना रहता है। क्षयरोग अधिकारी डा. शील कुमार त्रिपाठी अकेले ऐसे चिकित्सक हैं जिन्हें टीबी और एमडीआर के मरीजों की जांच और चिकित्सा करनी पड़ रही है। इसके अलावां डा. त्रिपाठी बेहोशी के भी चिकित्सक हैं। इसलिए उन्हें सीएचसी सोहावल, जिला महिला चिकित्सालय व जिला पुरूष चिकित्सालय में भी आपरेशन के दौरान मरीज को बेहोश करने के लिए बुला लिया जाता है। कभी-कभी तो उस अवधि में इन्हें बुलाया जाता है जब यह टीबी क्लीनिक में मरीजों का उपचार कर रहे होते हैं हालात यह है। कि इनसब परिस्थितियों की ओर जिला स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष/जिलाधिकारी ने भी जानने की कोशिश नहीं की निदान तो दूर की बात है।

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