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डिजिटल जुआ से आत्मघाती हो रहे युवा : डा. आलोक मनदर्शन

-जुआखोरी है घातक मनोरोग

अयोध्या। जुआखोरी एक मनोरोग है जिसे कम्पल्सिव गैम्बलिंग  तथा इस लत से ग्रसित लोगो को कम्पल्सिव गैम्बलर कहा जाता है । क्रिकेट मैच, त्योहार विशेष या अन्य मुद्दों  विशेष पर यह लत ज्यादा हावी हो जाती है । जुआखोरों में  नशाखोरी ,अवसाद, उन्माद,  हिंसा, मारपीट    तथा  परघाती या आत्मघाती प्रवृत्ति भी होती है। ऑनलाइन गैंबलिंग या सट्टेबाजी किशोर व युवाओं को आत्मघात  की तरफ ले जा रही है। यह बातें भवदीय पब्लिक स्कूल   में मनोतनाव जागरूकता सप्ताहांत कार्यशाला में डॉ आलोक मनदर्शन द्वारा दी गयी।

 डा. मनदर्शन के अनुसार कम्पल्सिव गैम्बलिंग से ग्रसित व्यक्ति  के ब्रेन में डोपामिन नामक मनोरसायन की बाढ़ आ जाती है जिससे तीव्र मनोखिचाव पैदा होता है। इसलिये ऐसे लोगों को डोप हेड भी कहा जाता है। यह एक प्रोसेस अडिक्शन है और किसी अन्य नशे की लत की तरह इसकी भी मात्रा बढ़ती जाती है जिसे एडिक्शन टॉलरेंस कहा जाता है।

 उत्प्रेरक होते ऐप :

गेमिंग व बेटिंग एप्लीकेशन के तेज़ी से बढ़ते बाज़ार के उत्तेजक लुभावने सेलेब्रिटी  विज्ञापन युवा मन को इस तरह मनोअगवापन की तरफ ले जा रहें हैं कि लत लगने की वैधानिक चेतावनी भी उन्हे सतर्क करने मे विफल है ।

उपचार व बचाव:

कम्पल्सिव गैम्बलर को प्रायः यह पता नहीं होता कि वह एक मनोरोग का शिकार हो चुका है। जागरूकता के साथ  बेहैवियर ट्रेनिंग व दवाए काफी मददगार होती हैं। गैम्बलिंग ग्रुप से पर्याप्त दूरी व पारिवारिक सहयोग का भी अहम  होता है। अध्यक्षता प्रिंसिपल बरनाली गाँगुली तथा संयोजन नीता मिश्रा ने किया।

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