विश्व स्तनपान सप्ताह पर डा. आलोक मनदर्शन की विशेष शोध रिपोर्ट
फैजाबाद। स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में बॉडी डिसमॉर्फिया या बॉडी डिसमॉर्फिक डिसऑर्डर नामक मनोविकार का होना पाया गया है। मध्यम वर्ग महिलाओं में जहां इसका प्रतिशत 25 है वहीं उच्च वर्ग में 50 फीसदी से भी अधिक है। स्तनपान कराने से परहेज का मुख्य कारण पूर्णतः मनोवैज्ञानिक है । स्तनपान न कराने के पीछे इनकी अपनी शारीरिक सुडौलता व आकर्षण कम होने का एक भ्रामक भय है जिसे बॉडी डिस मॉर्फिया कहा जाता है । विश्व स्तनपान सप्ताह पर जारी यह शोध रिपोर्ट जिला चिकित्सालय के किशोर मित्र क्लीनिक व मनदर्शन मिशन के संयुक्त तत्वाधान में पिछले तीन महीने तक चले रिसर्च में सामने आया। मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन के अनुसार इस मनोरोध के चलते दिनोदिन शिशु स्तनपान न कराने की प्रवृत्ति इस कदर बढ़ चुकी है अब पूरे विश्व को स्तनपान सप्ताह मनाने की आवश्यकता पड़ गयी है क्योंकि स्तनपान से वंचित शिशुओं में शारीरिक व मानसिक अक्षमताएं होने की प्रबल संभावना होती है, साथ ही स्तनपान न कराने वाली महिलाओं में भी आगे चल कर कई हार्मोनल व मनोजैविक दुष्परिणाम होने की भी प्रबल संभावना रहती है।
मनोगतिकीय विश्लेषण:
बॉडी डिसमॉर्फिया एक ऐसी रुग्ण मनोदशा है जिसकी शिकार वे महिलाएं ज्यादा होती हैं जिनमे पहले से ही बनावटी या आत्ममुग्धता व्यक्तित्त्व विकार पहले से ही मौजूद होता है। रही सही कसर ग्लैमर ग्लेयर व फैशन फिलिया पूरी कर देता है।