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पानी का हो सदुपयोग नहीं तो देश में होगा जलसंकट : डॉ. बिजेन्द्र सिंह

-“सहभागिता द्वारा जलभृत प्रबंधन एवं स्थानीय भूजल” विषय पर प्रशिक्षण का हुआ आयोजन


मिल्कीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में राजीव गांधी राष्ट्रीय भूमि जल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, रायपुर के तत्वाधान में भारत सरकार केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा “सहभागिता द्वारा जलभृत प्रबंधन एवं स्थानीय भूजल” विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सुल्तानपुर, अमेठी व रायबरेली सहित विभिन्न जिलों से पहुंचे 70 किसानों व छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षत किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्यअतिथि कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि पानी की सद्उपयोग नहीं किया गया तो आनेवाले समय में हमारे देश में पानी का बड़ा संकट खड़ा होगा। जलसंकट को बचाने के लिए सबकी सहभागिता जरूरी है और इसके लिए ब्लाक, गांव व पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

जल स्तर लगातार घटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने के लिए नई तकनीकों को अपनाना होगा और खेतों में ड्रिप सिस्टम लगाना होगा। फसलों को बचाने के लिए ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय पानी के प्रबंधन के लिए घर व छात्रावास के गंदे पानी को एकत्र कर मछली पालन करने का काम भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब देश स्वतंत्र हुआ था तब हमारे देश में 55 सौ लीटर प्रति व्यक्ति जल उपलब्ध था लेकिन आज के समय में 12 सौ लीटर प्रति व्यक्ति पानी ही उपलब्ध है। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि निदेशक प्रसार ए.पी राव ने कहा कि प्राकृतिक संपदा के दोहन से लगातार तापमान घटता जा रहा है और पूरा विश्व पानी की समस्या से जूझ रहा है।

वहीं यूरोपीय देशों में भीषण गर्मी पड़ रही है जो कि 500 सालों में भी ऐसी गर्मी नहीं पड़ी है, ग्लेशियर किस तरह पर पिघल रहा है, इससे समुंदर का जलस्तर जब बढ़ेगा तो बहुत ही भयवाह स्थिति होगी, प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त सन 2019 को जल शक्ति मिसन घर घर जल पहुचाने की जो घोषणा की थी वह आप बहुत तेजी से काम कर रहा है, और आने वाले दिनों में हम लोगों को बहुत जल्द ही स्वच्छ जल उपलब्ध होगा, जल संकट के मामले में222 देशों की सूची बनाई गई है, जिसमें जल संकट के मामले में भारत 120 वें स्थान पर है, पूरे विश्व के 20 ऐसे शहर हैं, जो कि पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसमें भारत के 4 शहर भी शामिल हैं, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद। पूरे विश्व में चार देश ऐसे भी हैं डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन, ब्रिटेन एकदम स्वच्छ पानी पाइप लाइन के जरिए उपलब्ध करा रहे हैं।

आइसलैंड एक ऐसा देश है जो नेचुरल शुद्ध पानी उपलब्ध करवा रहा है। हमारी जीडीपी की 1þ खर्च पानी से होने वाली बीमारियों पर हो रहा है। डा० राव ने बताया की एक किलो धान पैदा करने में तीन हजार से 35 सौ लीटर पानी खर्च होता है ,वहीं 1 किलो गेहूं पैदा करने में तेरा 13 सौ लीटर पानी खर्च होता।सरसों में हजार से 12 सौ ख़र्च होता है, सबसे ज्यादा पानी सब्जियों में खर्च होता है ,एक किलो काफी पैदा करने में दस हजार लीटर पानी खर्च होता है, हमें पानी प्रबंध के तरीकों को अपनाना होगा। ताकि सभी को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो पाएगा पानी का प्रबंध करना हम सभी की जिम्मेदारी है। वही डा० पीके सिंह साइंटिस्ट डी ने झंडा ऊंचा रहे हमारा, भूजल है स्वर्ग हमारा। का नारा दिया, इस मौके पर मौजूद क्षेत्रीय निदेशक एस.जी बरथरिया व अधिष्ठाता डा. नमिता जोशी ने भी लोगों से जल बचाने की अपील की।

कार्यक्रम से पूर्व सभी अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छात्राओं ने सरस्वती वंदना गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन रेनू मेहरा ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा.अमन यादव व डा. अनिल का मुख्य योगदान रहा। इस मौके पर केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के अधिकारी, विभिन्न जिलों से आए किसान व छात्र-छात्राएं मौके पर मौजूद रहे।

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