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ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का लिया फैसला

आवारा पशुओं की संख्या अधिक हो जाने से फसलों की रखवाली कर पाना मुश्किल

रुदौली । आवारा पशुओं से किसानों के फसलों की सुरक्षा को लेकर सरकार चाहे जो दावे करे लेकिन रूदौली क्षेत्र के दर्जनों गांवो में इसकी हकीकत कुछ और ही है।लोकसभा चुनाव की आहट होते ही प्रशासन ने आवारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजना शुरू किया लेकिन वहां भी क्षमता कम होने से मामला ठन्डे बस्ते में चला गया लेकिन जो जानवर बच गए वो किसानों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए है।बार बार शिकायत के बावजूद समस्या का हल न होने पर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है।
रुदौली तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव उधरौरा,देवीगंज,संडरी,पसैया,जमदरा व् बरई आदि ग्रामीणों का कहना है कि आवारा पशुओं की संख्या अधिक हो जाने से फसलों की रखवाली कर पाना मुश्किल होता जा रहा है।कई किसानों की गेहूं की फसल इन आवारा पशुओं द्वारा साफ की जा चुकी है।ग्रामीणों का कहना है कि जब तक इन पशुओ को गौशाला में नहीं भेजा जाता तब तक धान की बुवाई भी नहीं की जायेगी।खाद पानी देकर किसी तरह फसलो की बुवाई की जाती है लेकिन छुट्टा जानवरो के कारण सब बेकार हो जाता है।उधरौरा निवासी अशोक कुमार ने बताया कि पिछले एक वर्ष से आवारा पशुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है जिसके कारण गेंहू व् धान की फसलों को काफी नुकसान होता है।समस्या के समाधान के लिए तहसील प्रसासन से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत की गई लेकिन प्रसासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। राम सिंह,सन्तोष कुमार,अनुज कुमार सिंह,शिव सहाय सिंह,अजय प्रताप सिंह,जगदीश आदि ग्रामीणों का कहना है आवारा पशुओं से हमारी फसलों को काफी नुकसान हो रहा है रात रात भर जागकर फसलों की रखवाली करनी पड़ती है।सरकार की तरफ से जल्द से जल्द कोई व्यस्था नहीं कराई गई तो हम सभी ग्रामीणों के साथ ही पूरा गांव लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेगा।
खंड विकास अधिकारी रुदौली नागेंद्र मोहन त्रिपाठी का कहना है कि आवारा पशुओं को लेकर प्रसासन गंभीर है जहाँ जानकारी मिलती है वहां जानवरो को पकड़वाकर गौशालाओं में भेजा जाता है साथ ही आवारा पशुओं की नसबंदी भी कराई जा रही है।

गौशालाओं पर बढ़ गया बोझ आखिर कहाँ जाए आवारा जानवर

ग्रामीणों की समस्या को लेकर तहसील प्रसासन द्वारा पिछले माह आवारा पशुओं को पकड़वाकर पारा पहाड़पुर व् सराय मुगल स्थित गौशालाओं में भेजा गया था लेकिन वहां भी क्षमता से अधिक जानवर हो जाने से सुबिधाओं के आभाव में जानवरों की स्थित दयनीय होती जा रही है।सूत्रों के माने तो गौशाला में जितने जानवर होने चाहिए उससे अधिक संख्या में जानवर हो गए है जिसे संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है।जब तक गौशालाओं की क्षमता नहीं बढ़ाई जाएगी तब तक समस्या बनी रहेगी।अभी हाल ही में पारा पहाड़पुर स्थित गौशाला में पांच गायों की मौत की खबर मीडिया में आने के बाद रुदौली विधायक रामचंद्र यादव ने गौशाला का निरीक्षण कर नाराजगी जताते हुए अपने पास से आर्थिक सहयोग देकर सुबिधाओं को बढ़ाने के निर्देश दिए थे।

खुद के छोड़े मवेशी ही बन रहे समस्या

आवारा पशुओं से हो रहे फसलों को नुकसान के जिम्मेदार स्वयं ग्रामीण ही है।पशुपालकों द्वारा छोड़े गए मवेशी ही अब किसानों के लिए समस्या बने हुए है।कई किसानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चारे की समस्या को देखते हुए नर मवेशियो को घर से दूर ले जाकर छोड़ दिया जाता है।खेती किसानी में मशीनों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है जिसके कारण बैलों का प्रयोग भी बंद हो गया है जिसके कारण छुट्टा जानवरो की संख्या बढ़ती जा रही है।कारण चाहे जो हो लेकिन किसानों की समस्याओं की अनदेखी का खामियाजा सत्तापक्ष को उठाना पड़ सकता है।

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