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वसुधैव कुटुंबकम भारतीय जीवन का आदर्श : प्रो. प्रतिभा गोयल

-अवध विश्वविद्यालय में मनाया गया भारतीय संविधान दिवस

अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के संत कबीर सभागार में शनिवार को भारतीय संविधान दिवस के अवसर पर भारत लोकतंत्र की जननी विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने कहा कि आज ही के दिन 26 नवम्बर, 1949 को संविधान निर्मित होने के साथ 26 जनवरी, 1950 को अंगीकृत हुआ। कुलपति ने कहा कि भारत में लोकतंत्र प्राचीन काल से ही रहा है। वैदिक काल से ही भारत वसुधैव कुटुंबकम के आदर्शों पर स्थापित रहा। उन्होंने कहा कि समूचा विश्व एक परिवार है।

सभी भारतीय आदिकाल से समूचे विश्व को एक परिवार के रूप में समझते आए है। कुलपति प्रो0 गोयल ने कहा कि अयोध्या भारत के लोकतंत्र की जन्मभूमि है। यहीं से पूरे विश्व में लोकतंत्र फैला है। रामराज्य में दैहिक, दैविक और भौतिक ताप किसी को नहीं व्याप्त था सभी सुखी थे, किसी को कोई संताप नही था। न ही कोई भेद-भाव था इसी शासन व्यवस्था के रामराज्य ने श्रीराम को मर्यादा पुरूषोंत्तम राम बना दिया। कुलपति ने कहा कि राजा से रंक तक सभी मर्यादा का पालन करते थे। संत शिरोमणि रविदास ने गुरूवाणी में बेगमपुरा का संदर्भ देते हुए कहा कि यह एक सभ्यता है जिसमें कोई दुःख संताप किसी को नही था। कुलपति प्रो0 प्रतिभा ने कहा कि पं0 दीनदयाल उपाध्याय के जीवन आदर्शों में जब समाज में न्याय अंतिम व्यक्ति तक पहॅुचे तभी लोकतंत्र के सही मायने सिद्ध हो सकते है।

उन्होंने कहा कि सर्वोदय से अन्तोदय तक का लक्ष्य होना चाहिए। आज भारत लोकतंत्र के मामले में दुनियां को राह दिखा रहा है। इसके साथ ही संविधान अधिकार के साथ जिम्मेदारी भी देता है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो0 आर0के0 मिश्र ने कहा कि लोकतंत्र आलोक के संस्कारों से आलोकित हो उसे लोकतंत्र कहा गया है। राजतंत्र सर्वोत्तम और श्रेष्ठ शासन की प्रणाली है। भारत की डेमोक्रेसी वेस्ट मिनिस्टर माडल है। प्रो0 मिश्र ने कहा कि भारत में धर्म तत्व पर जोर दिया गया है। राजनीति, समाज सभी का छोटी से बड़ी क्रिया तक में धर्म निहित है। भारतीय संस्कृति में चरित्र सबसे बड़ी पूॅजी मानी गई है। चरित्र से समाज एवं संस्थाएं बनती है। भारतीय दृष्टि में आध्यात्मिक एवं नैतिक मूल्य सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि भारतीय दृष्टि आत्मोन्मुखी है। उदारता का अर्थ ह्दय की दुर्बलता नही है।

भारत में संविधान को आर्य विधान भी कहा है। एक व्यक्ति का शासन राजतंत्र नही होता। राजा युग निर्माता होता है। राजा प्रजा का सबसे बड़ा गुरू भी होता है। आचरण का जीवन में बड़ा महत्व होता है। उच्च पदों पर बैठने वाले लोगों का आचरण भी उच्च होना चाहिए। यदि अतःकरण दूषित हो गया उसका कुछ भी नही हो सकता। उन्होंने भारतीय दर्शन में प्रकृति के नियमों का अपने ऊपर नियंत्रण पाना शिक्षा माना गया है। जिस राष्ट्र में आत्म ज्ञान लुप्त हो जाए वह स्वराज्य नही है। जब भाषा मरती है तो राष्ट्र जीवित नही रहता। आज का लोकतंत्र संख्या बल पर आधारित है। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो0 नीलम पाठक द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह हम सभी को प्रेरणा देता है। कार्यक्रम विधि संकायाध्यक्ष प्रो0 अशोक कुमार राय ने कहा कि भारतीय सविधान लोकतंत्र की एक साक्षी विरासत है। इसमें राजनीतिक मापदंड तय किए गए है। उसी में सभी का हित निहित है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ कुलपति प्रो0 गोयल व मुख्य अतिथि प्रो0 मिश्र द्वारा मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। इसके उपरांत अतिथि का स्वागत पुष्प्गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेटकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन इंजीनियर शाम्भवी मुद्रा शुक्ला द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 मुकेश वर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रो0 एसएस मिश्र, प्रो0 हिमांशु शेखर सिंह, प्रो0 एमपी सिंह, प्रो0 जसवंत सिंह, प्रो0 शैलेन्द्र वर्मा, प्रो0 आरके सिंह, प्रो0 फारूख जमाल, प्रो0 शैलेन्द्र कुमार प्रो0 तुहिना वर्मा, डॉ0 आरएन पाण्डेय, डॉ0 चन्द्रशेखर सिंह, डॉ0 सुमनलाल, डॉ0 प्रत्याशा मिश्रा, डॉ0 स्वाति सिंह, डॉ0 स्नेहा सिंह, डॉ0 शैलेन वर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छा़-छात्राएं उपस्थित रहे।

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