Breaking News

बेहतर प्रशासन हेतु उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में किया जाना चाहिए विभाजित: संजय सिंह

विभाजन को लेकर आप करेगी आन्दोलन

लखनऊ। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सांसद संजय सिंह ने कहा कि लोगों के शीघ्र विकास व प्रदेश में बेहतर प्रशासन हेतु उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित किया जाना चाहिए। आप के प्रवक्ता संजय सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश एक विशाल राज्य है और आबादी के लिहाज से देखें तो इसे दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा राज्य माना जा सकता है। इतने बड़े सूबे का असल मायने में विकास कर पाना अब व्यावहारिक दृष्टि से दूभर है। चार हिस्सों में बांटने के लिए आप जल्द शुरू करेगी आंदोलन, उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी छोटे राज्यों की पक्षधर है। वह उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की हिमायत करती है और वह इस मांग को लेकर आंदोलन भी करेगी। पार्टी इस आंदोलन की रणनीति दो-चार दिन में तय कर लेगी। सिंह ने कहा कि बुंदेलखण्ड, पूर्वांचल, अवध और पश्चिमी क्षेत्र के लोग अपने लिये अलग राज्य की मांग अर्से से कर रहे हैं। यह जनभावना का सवाल है। पार्टियों को इस पर गम्भीरता से सोचना चाहिये उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि कानून-व्यवस्था और विकास की स्थिति को बेहतर बनाने के लिये छोटे राज्यों का गठन जरूरी है। अभी उत्तर प्रदेश की हालत देखिये, मैं पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीनी स्तर पर चीजों को देख रहा हूं। जर्जर कानून-व्यवस्था होने और विकास की अनदेखी के कारण स्कूल, सड़क और अस्पताल नहीं बन पा रहे हैं। सोनभद्र सबसे ज्यादा राजस्व देता है, मगर वहां के हालात देखिये। पूर्वांचल की हालत देख लीजिये। उत्तर प्रदेश चार राज्यों में बंट जाएगा तो अच्छा रहेगा। श्री सिंह ने कहा कि अजीत सिंह भी कर चुके हैं ‘हरित प्रदेश‘ की मांग वैसे, पहले भी उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन की मांगें होती रही हैं, मगर ज्यादातर दलों के लिये यह सियासी सहूलियत का मामला कभी नहीं रहा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री चैधरी अजीत सिंह कई बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को मिलाकर ‘हरित प्रदेश‘ बनाने की मांग कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग तो कई बार उठ चुकी है, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम बसपा अध्यक्ष मायावती की सरकार ने ही उठाया था। नवम्बर 2011 में तत्कालीन मायावती सरकार ने राज्य विधानसभा में उत्तर प्रदेश को चार राज्यों पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड, पश्चिम प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव पारित करा केन्द्र के पास भेजा था।

इसे भी पढ़े  तदर्थ शिक्षकों के अद्यतन विनियमितीकरण व अवशेष वेतन भुगतान की मांग

क्यों होने चाहिए 4 राज्य

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को नियंत्रित करने की प्रशासनिक चुनौती को कम नहीं आँका जा सकता है। 18 प्रशासनिक प्रभाग, 75 जिले और एक लाख से अधिक गांवों के साथ, उत्तर प्रदेश भारत में पांचवां सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा राज्य है।
यदि इसे एक स्वतंत्र देश बनाया गया, तो यह दुनिया का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश होगा। उत्तर प्रदेश में 2,40,928 वर्ग किलोमीटर में फैले 70 से अधिक जिलें हैं व 97,942 गांव हैं। 20 करोड़ से अधिक जनता यानी भारत की 16ः आबादी है, यह सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। इसमें गरीबी रेखा से नीचे की सबसे बड़ी संख्या है – 4.8 करोड़ से अधिक या सबसे गरीब 22ः से अधिक हैं। उत्तर प्रदेश युगांडा देश जितना बड़ा है, आबादी के दृष्टिकोण से ब्राजील के बराबर है व रवांडा और बेनिन के सामान प्रति व्यक्ति आय है।
बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक श्थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्सश् के माध्यम से यूपी को तीन राज्यों में विभाजित करने का विचार प्रस्तावित किया – उन्होंने मेरठ को पश्चिमी क्षेत्र की राजधानी, इलाहाबाद को पूर्वी क्षेत्र की राजधानी और कानपुर को केंद्रीय क्षेत्र की राजधानी के रूप में तीन राज्यों के निर्माण का सुझाव दिया था।
यूपी की विकास दर राष्ट्रीय औसत विकास दर से काफी कम है छोटे प्रदेश होने से विकास दर में शीघ्र वृद्धि होगी। जहां तक यूपी की वृद्धि का सवाल है, राज्य आर्थिक विकास के मामले में काफी पीछे है। राज्य के सामाजिक विकास संकेतक समान निराशाजनक हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एक अध्ययन से पता चला कि यूपी में 29.33ः आबादी गरीबी रेखा के नीचे है, गरीबी रेखा की सूची में उत्तर प्रदेश 20वे स्थान पर है, राज्य राष्ट्रीय औसत से 21.92: (एमआरपी खपत के आधार पर) के नीचे है।
2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी में केवल 27.3ः लोगों के पास नल का पानी है, जबकि 35.7ः लोगों को शौचालय की सुविधा हैं जो क्रमशरू 43.5: और 46.9ः के राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं।
बड़े राज्यों की तुलना में छोटे राज्यों का प्रबंधन करना आसान होता है। उत्तर प्रदेश में पांच साल तक के 50 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। इसके अलावा 1368734 बच्चे अति कुपोषित हैं, लिहाजा इन्हें रेड कैटेगरी में रखा गया है।
यूपी की योगी सरकार राज्य में महिला सुरक्षा के दावे कर रही है, लेकिन अपराध थमता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। श्द टाइम्स ऑफ इंडियाश् की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में रोज औसतन 8 महिलाओं का बलात्कार किया जाता है और 30 महिलाओं का अपहरण किया जाता है। इतना ही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की यूपी में रोज 100 ज्यादा थ्प्त् दर्ज की जाती है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2017 और 2016 के मुकाबले इस साल जनवरी से मार्च के बीच में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भारी इजाफा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 24ः अधिक दर्ज किए गए हैं। मार्च 2018 में विधायक नाहिद हसन ने विधानसभा में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सवाल उठाया था. जिसके जबाव में जो आंकड़े आए वो बेहद चैंकाने वाले थे. महिलाओं और बालिकाओं पर छेड़खानी की घटनाएं एक ही साल में दोगुनी हो गई हैं। वर्ष 2016-17 में जहां 495 घटनाएं हुईं थी तो अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 में 987 छेड़खानी की घटनाएं सामने आई हैं।
महिलाओं और बालिकाओं के अपहरण की बात करें तो ऊपर दिए गए समय में 9828 से बढ़कर 13226 घटनाएं हो गई हैं। बलात्कार के आंकड़ें भी कम चैंकाने वाले नहीं हैं। बलात्कार की घटनाएं 2943 से बढ़कर 3704 पर पहुंच गई हैं। बलात्कार की कोशिश की वारदात 8159 से बढ़कर 11404 के आंकड़े पर पहुंच गई हैं। इतना ही नहीं दहेज के लिए भी महिलाओं को खूब प्रताड़ित किया जा रहा है. ये आंकड़ा 2084 से बढ़कर 2223 पर पहुंच गया है। उत्पीड़न की बात करें तो ये आंकड़ा 10219 से बढ़कर 13392 पर पहुंच गई हैं। इन सभी समस्याओं से छोटे राज्यों में आसानी से निजात पाया जा सकता है। पत्रकार वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता सभाजीत सिंह जोन अध्यक्ष अध्यक्ष बृज कुमारी वैभव महेश्वरी महेंद्र प्रताप सिंह मौजूद थे ।

Leave your vote

About Next Khabar Team

Check Also

सीएम योगी ने श्रीरामलला व हनुमानगढ़ी का किया दर्शन-पूजन

-सुग्रीव किले के श्री राजगोपुरम द्वार का किया अनावरण, संत सम्मेलन में हुए शामिल अयोध्या। …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.