Breaking News

विवि के पास फसलों की जड़ से ज्यादा किस्में होनी चाहिए: प्राे. जे. एस. संधू

धान की क्राप कैफेटेरिया के मूल्यांकन व फील डे का हुआ आयोजन

कुमारगंज । विश्वविद्यालय के पास फसलों की जड़ से ज्यादा किस्में होनी चाहिए इससे शोध कार्यों में ज्यादा सहयोग मिलता है। हमें प्रयास करना चाहिए कि हम किसानों पर अपनी विकसित किस्में न थोपें वरन उनकी पसंद व उनकी परिस्थितियों में ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों की उपलब्धता उन्हें कराने का प्रयास करें। यह बातें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे एस संधू अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान फिलीपाइन्स के सहयोग से शोध निदेशालय के अंतर्गत मुख्य प्रयोग केंद्र पर धान की क्राप कैफेटेरिया के मूल्यांकन व फील डे के आयोजन अवसर पर कह रहे थे। कुलपति ने कहा कि जब हमारे वैज्ञानिक ईरी जैसी उच्च शोध करने वाली संस्थाओं के वैज्ञानिकों के सम्पर्क में रहेंगे तो निश्चितरूप से उनकी कार्यछमता में गुडवत्ता का समावेश होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान ईरी द्वारा वाराणसी में स्थापित किये जा रहे केंद्र के साथ वृहद परियोजना बना कर सम्पर्क स्थापित करेंगे जिससे किसानों के लिए और अधिक योगदान हम दे सकें। दूसरी संस्थाओं के साथ सहयोग तथा कृषि के विभिन्न विषयों पर फसलों के मूल्यांकन को कुलपति ने टीम भावना का परिणाम बताते हुए सभी को आपसी सामंजस्य से कृषि विकास में योगदान करने का आह्वान भी वैज्ञानिकों से किया। इससे पूर्व विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ एन बी सिंह ने ईरी के सहयोग से केंद्र पर चलाये गए पहले मूल्यांकन कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों पर विस्तार से मुख्य अतिथि व आगन्तुकों को अवगत कराया। कार्यक्रम को निदेशक प्रसार डॉ ए पी राव ने सम्बोधित करते हुए सम्बन्धित मूल्यांकन कार्यक्रम विश्वविद्यालय के अधीन संचालत 6 कृषि विज्ञान केंद्रों पर चालये जाने व उनकी प्रगति से अवगत कराया। विपरीत परिस्थितियों के प्रति सहिष्णु धान की किस्मों की कैफेटेरिया के मूल्यांकन कार्यक्रम में ईरी की ओर से समन्वयक डॉ सर्वेश शुक्ला ने कार्यक्रम में सहयोग के लिए विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त किया। मुख्य प्रयोग केंद्र के प्रभारी तथा विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक शोध डॉ रवींद्र सिंह ने अवगत कराया कि क्राप कैफेटेरिया में कुल 27 धान की किस्में लगाई गई थीं जिनकी विभिन्न स्तर पर मूल्यांकन प्रक्रिया की गई है। कुलपति ने प्रक्षेत्र पर लगाये गए फसलों के ट्रायल का भी सूक्ष्म अवलोकन किया।कार्यक्रम में कुलपति के समक्ष सस्य विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ गजेंद्र सिंह ने बतौर मूल्यांकन टीम समन्वयक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए अवगत कराया कि सबसे बेहतर प्रजाति स्वर्णा सब 1 तथा सांभा सब 1 व तीसरे नंम्बर पर बांग्लादेश की ऊसर के लिए उपयुक्त प्रजाति बीना 11 रही। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से संयुक्त निदेशक बीज ईं हरिश्चन्द्र सिंह, डॉ नीरज कुमार, डॉ शिव प्रताप सिंह,डॉ सुशील कुमार ,डॉ एस सी विमल,डॉ एस पी गिरी,डॉ उमेश चंद्र,डॉ ओपी वर्मा, डॉ सौरभ वर्मा समेत सहयोगी वैज्ञानिक, कर्मी व कृषक उपस्थित रहे।

इसे भी पढ़े  विजिलेंस टीम ने शिक्षा विभाग के सहायक लेखाकार को रिश्वत लेते दबोचा

Leave your vote

About Next Khabar Team

Check Also

पुलिस मुठभेड़ में किशोरी से दुष्कर्म करने का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

अभियुक्त के दाहिने पैर में लगी गोली, जिला अस्पताल में कराया गया भर्ती मिल्कीपुर। खण्डासा …

close

Log In

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy

Add to Collection

No Collections

Here you'll find all collections you've created before.