राम का चरित्र विशाल एवं व्यक्तित्व बहुत ही निर्मल : प्रो. प्रतिभा गोयल

by Next Khabar Team
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-अवध विवि के श्रीराम शोध पीठ में राम, रामतत्व और अयोध्या विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन


अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्याल के श्रीराम शोध पीठ में राम, रामतत्व और अयोध्या में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने कहा कि राम का चरित्र विशाल एवं व्यक्तित्व बहुत ही निर्मल है। सांसारिक एवं आध्यात्मिक सफलता के लिए राम के जीवन व आदर्शों को समझे व अपनाएं।

कुलपति ने गिलहरी के योगदान को बताते हुए कहा कि हमारी छोटी छोटी उपलब्धियां बड़े कार्यों में सहयोग कर सकती है, इसलिए कभी अपने कार्य को छोटा नही समझना चाहिए। राम के इसी आदर्श से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि रामायण से ही हमें प्रबंधन एवं संचार सीखने को मिला। कुशल प्रबधंन से ही रामराज्य की कल्पना की जा सकती है।

रामतत्व धर्म, कर्म और भक्ति के उच्चतम स्तर का प्रतीक हैः डाॅ. कुमार संजीव सिंह

मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय, अयोध्या के निदेशक डॉ. संजीव कुमार सिंह ने कहा कि रामतत्व का अर्थ है राम का दिव्य स्वरूप या राम का परम सार। यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समस्त गुणों का योग है। उन्होंने कहा कि रामतत्व धर्म, कर्म और भक्ति के उच्चतम स्तर का प्रतीक है। यह व्यक्ति के जीवन में सत्य, अहिंसा, धर्मपालन और निष्ठा को स्थापित करने का मार्गदर्शन करता है।

रामतत्व का अनुभव करने से व्यक्ति अपने भीतर के दिव्य स्वभाव को पहचानता है और आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है। संगोष्ठी के स्वागत उद्बोधन में प्रो0 अजय प्रताप सिंह ने कहा कि राम एक व्यापक शब्द है। राम वे है जो घट घट में व्याप्त है। रामतत्व धर्म है, संस्कृति है, मर्यादा है। राम नाम स्मरण मात्र से मोक्ष प्राप्ति होती है। राम की अवधारणा विश्वव्यापी है।

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संगोष्ठी में तकनीकी सत्र की अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकायध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा ने की। तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए वक्ता डॉ. शांति स्वरूप सिन्हा ने कहा कि रामलीला से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता इसमें दर्शक के साथ पात्र भी जो किरदार निभाते है। उस समय वे अपने आपको राममय बना लेते है। डॉ. विनय कुमार ने पुरातत्व का वर्णन करते हुए कहा कि राम की प्रमाणिकता भी हमें विभिन्न अभिलेखों में मिलती है। राजवर्धन सिंह अयोध्या ने कहा कि अयोध्या सप्तऋषियों में एक प्रमुख हैं।

आज की अयोध्या आकर्षण का केंद्र हो गई है। ऋचा रानी ने कहा कि राम केवल भारत के ही नही विश्वव्यापी है कई देशों में रामलीला का मंचन होता है। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन श्रीराम शोध पीठ के समन्वयक प्रो. हिमांशु शेखर सिंह ने किया। संगोष्ठी का संचालन छात्रा सृजनिका मिश्रा ने किया।

इस अवसर पर प्रो. एस एस मिश्रा, प्रो. शैलेन्द्र वर्मा, प्रो. सुरेन्द्र मिश्रा, डॉ. अंशुमान पाठक, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. आशीष पटेल, डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डॉ. सरोज सिंह, डॉ. सादिक, डॉ. सुरेन्द्र प्रताप यादव, डॉ. शालिनी सिंह, दिव्यव्रत सिंह, सर्वशक्ति सिंह, हरिराम सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं प्रतिभागी मौजूद रहे।

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