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श्रेय लेने की जगह सफाई देने में उलझी सरकार
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विवादों से घिरी बेसिक शिक्षा विभाग की 68,500 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया
ब्यूरो। उ.प्र. के बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के 68, 500 पदों के लिए चल रही भर्ती के दौरान बदले नये नियमों के चलते कोर्ट से लेकर सड़क तक भाजपा की योगी सरकार की फजीहत हो रही है। यह भर्ती शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है। लिखित परीक्षा पास करने के बाद भी भर्ती से बेदखल लगभग 6000 से अधिक अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री के निर्देश पर इन्हें समाहित करने की प्रक्रिया शुरू हो तो गयी है परन्तु सवाल उठता है कि आखिर क्या हालात रहे कि बार-बार नियम बदले जा रहे हैं। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग से लेकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी तक को अभी गलत मूल्यांकन के आरोपों से लेकर काॅपी का बारकोड बदलने की पुष्टि होने तक के मुद्दों पर हाईकोर्ट में जवाब देना है। भर्ती का भविष्य पहले से कोर्ट के आदेश के अधीन है। खास बात यह है कि बेसिक शिक्षा परिषद की कार्यप्रणाली पर लगातार गंभीर सवाल हैं वहीं नियमों के बदलाव के कारण सरकार भर्ती का श्रेय लेने के बजाय सफाई देने में उलझी है।
उल्लेखनीय है कि परिषदीय स्कूलों की 68500 शिक्षक भर्ती शुरू से विवादों में रही है। पहली बार लिखित परीक्षा कराने का विरोध हुआ, फिर उत्तीर्ण प्रतिशत को लेकर शिक्षामित्रों ने विरोध किया। शासन ने नौ जनवरी को जारी आदेश में जो उत्तीर्ण प्रतिशत तय किया, उसे 21 मई को बदल दिया। अभ्यर्थियों ने परीक्षा के छह दिन पहले हुए बदलाव के आधार पर इम्तिहान दिया। अगस्त में रिजल्ट देने की बारी आई तो हाईकोर्ट ने 21 मई के आदेश को नहीं माना। परिणाम के पांच दिन पहले फिर नौ जनवरी को जारी उत्तीर्ण प्रतिशत बहाल हुआ। 13 अगस्त को जारी शिक्षक भर्ती के रिजल्ट में 41556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो सके। रिजल्ट विवाद अब भी चल रहा है।
यही नहीं शिक्षक भर्ती परीक्षा में उत्तर पुस्तिका बदलने का भी सनसनीखेज राजफाश हुआ है। महिला अभ्यर्थी की असली कॉपी अभी नहीं मिल सकी है लेकिन, उसे भर्ती की काउंसिलिंग में शामिल करने के निर्देश जरूर दिए गए हैं। प्रथम दृष्ट्या इसमें बार कोड की खामी सामने आ रही है। संबंधित एजेंसी मंगलवार से सभी उत्तर पुस्तिकाओं व बार कोड का मिलान करेगी। कुछ दिन पहले तक अभ्यर्थी मूल्यांकन पर सवाल उठाते रहे हैं, उनका आरोप है कि सही जवाब देने के बाद भी उन्हें कम अंक मिले हैं। इस मामले की जांच शुरू हो चुकी है और जिन अभ्यर्थियों ने स्कैन कॉपी मांगी है, वह भी डाक से एक माह में भेजी जाएगी। जिस सोनिका देवी की कॉपी बदलने का मामला सामने आया है, उसने भी कुछ दिन पहले ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से स्कैन कॉपी हासिल की थी और उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कहा जा रहा है कि उत्तर पुस्तिका गलत बार कोड डालने से बदल गई। परीक्षाओं की शुचिता में यह घटना बेहद गंभीर है। इसमें भले ही मानवीय भूल हुई है लेकिन, अन्य अभ्यर्थियों के मन में परिणाम को लेकर संशय हुआ है। अब तक सोनिका की असली कॉपी का पता नहीं चल सका है। यह भी तय है कि असली कॉपी सामने आने पर जिस अभ्यर्थी को उसका लाभ मिला होगा, वह भी प्रभावित होगा। बार कोड की संबंधित एजेंसी नए सिरे से जांच करने जा रही है इसमें यह तय होगा कि ऐसी गलती और किसी के साथ तो नहीं हुई है। साथ ही संबंधित एजेंसी पर अब कार्रवाई होना भी तय है। फिलहाल उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले में मंगलवार को जांच टीम का भी गठन किया जाएगा, इसमें परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के अलावा दूसरे संस्थानों के शिक्षा अधिकारी शामिल होंगे। यह टीम दोषियों को चिन्हित करेगी।