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जल विहीन हुए ग्रामीण इलाकों के ताल-तलइया

प्यास बुझाने के लिए भटक रहे पुश पक्षी

रूदौली । ग्रामीण इलाकों में ताल-तलइया सूख गए हैं। संकट इतना गहरा गया है कि पशु-पक्षियों को भी प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है। करोड़ों खर्च कर खोदे गए तालाब सूखे पड़े हैं। बावजूद मुख्यमंत्री हेल्प लाइन की शिकायत निस्तारण के लिए तालाबों को जलमग्न बताया जा रहा है।
यह हाल मवई ब्लाक के हरिहरपुर गांव का है यहाँ के निवासी राकेश कुमार ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई कि भीषण गर्मी का दौर प्रारंभ होते ही ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की समस्या गहरा गई है। तालाब और पोखरों में बूंद भर पानी नहीं है। इससे पशु-पक्षियों के साथ ही जंगली जान वरों को प्यास बुझाना भारी पड़ रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि मनरेगा के तहत प्रत्येक गांव में भारी भरकम तालाबों की खुदाई की गई है, मगर इन तालाबों में बूंद भर पानी नहीं है।जबकि शिकायत के निस्तारण में जांच अधि कारी द्वारा आख्या लगाई गई है कि तालाब पानी से भरा हुआ है।शिकायत कर्ता ने झूठी रिपोर्ट लगाने के मामले में उच्च अधिकारियों से शिकायत किया है और मौका मुआयना करने की विनती की है।

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ग्राम पंचायतों पर होती है संरक्षण की जिम्मेदारी :

गांव में स्थित तालाबों के संरक्षण की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी पर होती है। तालाब मनरेगा से खुदा हो या लघु सिंचाई विभाग ने खोदवाया हो, मगर तालाबों में पानी भराने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों की होती है। मगर ग्राम प्रधान बजट का रोना रोते रहते हैं।

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पानी भराने के लिए नहीं आता कोई बजट :

तालाबों में पानी भराने के लिए कोई बजट नहीं आता है। मगर प्रधान चाहे तो राजवित्त आयोग और चौदहवें वित्त आयोग से बजट से तालाबों में पानी भरवा सकते हैं। मगर प्रधान पानी भराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।और कागजो पर खाना पूर्ति की जा रही हैं। वीडीओ मवई एस कृष्णा से बात करने का प्रयास किया गया। मोबाइल बंद था। एसडीएम ज्योति सिंह ने कहा शिकायत मिलेगी तो जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।

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