डा. अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस की पुर्व संध्या पर हुआ व्याख्यान
अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के डॉ. अम्बेडकर चेयर एवं अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर एक व्याख्यान एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। व्याख्यान में मुख्य वक्ता प्रो. ए.पी. तिवारी, पूर्व कला संकायाध्यक्ष शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. एस.एन. शुक्ल ने की।
व्याख्यान को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रो. ए.पी. तिवारी ने कहा कि आज हमें धार्मिक ग्रन्थों की तरह भारतीय संविधान की पुस्तक भी रखना आवश्यक हो गया है। वर्तमान समय में अक्सर सामाजिक विद्धेष की स्थिति बन रही है इन स्थितियों में सवैधानिक प्राविधानों का ज्ञान होना ही देश की संम्प्रभुता एवं अखंडता को मजबूत करता है। प्रो. तिवारी ने कहा कि भारत के विकास में एकजुट होकर महापुरूषों ने अपना योगदान दिया पर सभी एक ही दिशा में चले यह आवश्यक नहीं है। डॉ. अम्बेडकर बजट में घाटे एवं ऋण के खिलाफ थे वे सामाजिक समानता के प्रबल समर्थक थे ताकि सभी का विकास हो सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. एस.एन. शुक्ल ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर हम सभी के प्रेरणादायक रहे हैं। पिछले कालखण्ड में भारत के पास ऐसे विचारक रहे है जिनके विचार आज विश्व के लिए लाभप्रद साबित हो रहा है। प्रो. शुक्ला ने गांधी जी व नरेन्द्र देव जी के बीच की कड़ी के रूप में डॉ. लोहिया व डॉ. अम्बेडकर रहे जिनका विचार प्रांसगिक रहा है। डॉ. अम्बेडकर की पहचान अर्थशास्त्री से अधिक सामाजिक विचारक के रूप में थी। उनके सपनों के भारत में ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हुआ। प्रो.शुक्ला ने बताया कि भारतीय समाज की सर्वागीण विकास के लिए वे सदैव प्रत्यनशील रहे। हमें उनके मूल विचारों का अध्ययन एवं मनन करने की आवश्यकता है। समाज के सभी वर्गों का उत्थान हो यही हमें महापुरूषों ने सिखाया है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर अतिथियों ने माल्यार्पण कर पुष्पाजंलि अर्पित किया। डॉ. अम्बेडकर चेयर की समन्वयक प्रो. मृदुला मिश्रा ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन चेयर के डॉ. रीतेश जायसवाल एवं दिवांशु विक्रम सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. राजीव गौड़, प्रो. विनोद श्रीवास्तव, डॉ. शैलेन्द्र कुमार, डॉ. प्रिया कुमारी, डॉ. राज किशोर सहित अन्य शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।