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फसलों की प्रजातियों को करें संरक्षित

खाद्यान उपलब्धता कृषि वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती : डॉ. कुलदीप सिंह

कुमारगंज। लगातार बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्यान की उपलब्धता कृषि वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती है। देश की आबादी वर्ष 2050 तक एक दशमलव साठ करोड होगी और इसके लिए वर्तमान खाद्यान उत्पादन का 70 प्रतिशत से भी ज्यादा खाद्यान की आवश्यकता होगी। उपरोक्त बात राष्ट्रीय पादप अनुवांशिकीय संसाधन ब्यूरो (एन बी पी जी आर नई दिल्ली)नई दिल्ली के निदेशक डॉ कुलदीप सिंह नरेंद्र देव कृषि एवम प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या में वैज्ञानिकों व शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कह रहे थे। डॉ कुलदीप सिंह ने कहा कि क्राप इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत एन बी पी जी आर नई दिल्ली में विभिन्न खाद्यान, औद्यानिक तथा सब्जी फसलों के जनन द्रव्य ( जर्म प्लाज्म)के संकलन से जनन द्रव्य प्राप्त कर बदलती भौगोलिक व जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप प्रजातियों के विकास में सहयोग प्राप्त कर सकते हैं। बढ़ते शहरीकरण के दृष्टिगत प्राकृतिक पौधों व फसलों की पौध को संरक्षित करने के दृष्टिकोण से एन बी पी जी आर देश के विभिन्न चयनित स्थलों पर संरक्षण केंद्र बनाने का कार्य किया जा रहा है। निदेशक डॉ सिंह ने कहा कि वर्तमान में नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेस नई दिल्ली के पास विभिन्न फसलों की 4 लाख 38 हजार से ज्यादा प्रजातियों के जर्म प्लाज्म जीन बैंक में उपलब्ध है।
उन्होंने विश्वविद्यालय का आह्वान किया कि विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध विभिन्न फसलों की प्रजातियों को संरक्षित करने का कार्य करें। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति व अंतरराष्ट्रीय स्तर के पादप प्रजननक प्रो जे एस संधू ने डॉ कुलदीप सिंह को विश्वविद्यालय का हर स्तर पर सहयोग करने का आश्वासन देने पर आभार प्रगट किया। कुलपति प्रो संधू ने डॉ कुलदीप सिंह को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। डॉ कुलदीप सिंह के लेक्चर प्रजेंटेशन के दौरान अधिष्ठाता कृषि डॉ पी के सिंह, डॉ विक्रमा प्रसाद पांडेय,डॉ सुमन प्रसाद मौर्य समेत सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता वैज्ञानिक व शिक्षक उपस्थित रहे।

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Written by Next Khabar Team

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