“श्रीराम के जीवन से धर्म एवं संस्कृति का सन्देश” विषय पर हुई गोष्ठी
अयोध्या। श्रीराम प्राकट्योत्सव के अवसर पर विवेक सृष्टि एवं विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी अयोध्या शाखा के तत्वावधान में “श्रीराम के जीवन से धर्म एवं संस्कृति का सन्देश” विषय पर एक चिंतन गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विवेक सृष्टि के अध्यक्ष योगाचार्य डॉ. चैतन्य ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी भारतवासियों का रक्तचरित्र श्रीराम की वन्शानुकृति ही है। न केवल भारतवर्ष अपितु सम्पूर्ण विश्व में भगवान श्रीराम का आदर्श चरित्र हम सभी के लिये अनुकरणीय है। श्रीराम ने अपने कर्तृत्व से हमारे समक्ष मानव जीवन का आदर्श रखा है। भगवान श्री राम ने मनुष्य के चारित्रिक- सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन हेतु सर्वोच्च आदर्श की स्थापना की। एक आदर्श राजा, आदर्श व्यक्तित्व एवं आदर्श समाज हेतु राम राज्य की संकल्पना ही भारतीय जनमानस एवं भारत की प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती है। हमें व्यक्तिगत स्वार्थ लिप्सा से ऊपर उठ कर राष्ट्र एवं समाज के प्रति समर्पित होना ही होगा। आज भारत की योग एवं आध्यात्मिक उप्लब्धियों की ओर सम्पूर्ण विश्व का ध्यान आकर्षित हो रहा है, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर जिस प्रकार दुनिया के 197 देशों ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में सहभागिता की है वह गौरवान्वित करने वाली है। अभी भारत में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है, हम अपने शत प्रतिशत मताधिकार का प्रयोग राष्ट्रहित एवं स्वस्थ- चरित्रवान सरकार बनाने हेतु अवश्य करें। संगोष्ठी में अवध वि0वि0 के आचार्य एवं विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी अयोध्या शाखा के संयोजक प्रो. सन्तशरण मिश्र ने कहा कि श्रीराम से हमारा अस्तित्व परिलक्षित है। राम के आदर्श, कर्तव्य परायणता विकल्पहीन है। श्री राम के विचार, आदर्श एवं उनका जीवन चिरकालीन आदर्श है। मनुष्य के रूप में वे पूर्ण अनुपालन ही है। लोभ और मोह आदर्श प्रतिमानों से भ्रमित कर देता है, लोक संस्कार एवं लोक शिक्षा आदर्शों की स्थापना के लिये आवश्यक है।
ई. रवि तिवारी ने कहा कि भारत के आध्यात्मिक ऊर्जा के वैश्विक प्रसार के साथ-साथ मानव सेवा को समर्पित स्वामी विवेकानंद ने भी भारत के आध्यात्म एवं पश्चिम के विज्ञान के मध्य एक सकारात्मक समन्वय की कल्पना की थी। विवेक सृष्टि में स्वामी विवेकानन्द की एक विशाल प्रतिमा के साथ-साथ वैश्विक स्तर के आधुनिक विज्ञान एवं आध्यात्म के समन्वित केन्द्र की संकल्पना का प्रकल्प प्रस्तावित हैद्य इस अभियान के अन्तर्गत कम से कम 1 लाख लोगों से व्यापक सम्पर्क के माध्यम से प्रकल्प हेतु धनसंग्रह की योजना बनी है। देश में आसन्न लोकसभा चुनावों के बाद शीघ्र ही स्वामी विवेकानन्द की मूर्ति एवं सधाना केंद्र के निर्माण हेतु जनसंपर्क अभियान का शुभारंभ किया जायेगा। हमारी स्पष्ट धारणा है कि करोडों हिन्दू जनमानस की भावना के अनुरूप शीघ्र ही अयोध्या का भव्य श्रीराम मन्दिर वैश्विक समन्वय के बड़े तीर्थ के रूप में विकसित होगाद्य भगवान श्रीराम के पावन जन्मस्थली श्रीअयोध्याधाम में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण विश्व कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मानक स्थापित करेगाद्य इन सभी विषयों के निमित्त एक बृहत् जनजागरण के अभियान में हम सभी सन्नद्ध हैं।
कार्यक्रम का प्रारम्भ भगवान श्रीराम के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप-प्रज्जवलन के साथ विवेक सृष्टि गीता अनुसन्धान प्रकल्प के संयोजक सुदीप तिवारी द्वारा श्रीरामचरितमानस के कुछ अंशों के वाचन से हुआ संगीत साधक श्री सुमधुर के चैती एवं भक्ति संगीत की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में अविष्मरणीय संस्कारमय वातावरण बनाया। उक्त संगोष्ठी में योगाचार्य वीरेन्द्र शास्त्री, विजय कुमार सिंह “बंटी” ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में विवेक सृष्टि के मन्त्री राजेश मंध्यान, कोषाध्यक्ष रामकुमार गुप्ता, प्रो. एस. के. गर्ग, सूर्य प्रकाश सिंह, पंकज गुप्ता, पवन कसौंधन, ज्ञानेन्द्र श्रीवास्तव, राघवेन्द्र तिवारी, गोविन्द चावला, राजेश श्रीवास्तव, विवेक शुक्ल, पवन पाण्डेय, प्रवीण सिंह, डॉ0 आर के सिंह, डॉ अनुपम पाण्डेय, ई. अंशुमान त्रिपाठी, डॉ अर्जुन सिंह, ईश्वर चन्द्र तिवारी, केदार नाथ सिंह, विजय बहादुर सिंह, सूर्य भान पाण्डेय, आशुतोष पाण्डेय, धर्मपाल पाण्डेय, शिवशंकर पाल, सहजराम यादव, शीलदास, डॉ सुरभि पाल, सीमा तिवारी, ममता श्रीवास्तवा, रीता मिश्रा, वंदना तिवारी, अरुणा गर्ग आदि अनेकों गणमान्यजन एवं साधकगण उपस्थित रहे।