कनिष्ठ सहायक पद पर तीन कर्मचारियों की नियमविरूद्ध की गयी नियुक्ति

by Next Khabar Team
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स्टे को आधार बना शासन से शिकायत, जांच में हुई अनियमित्ता की पुष्टि

अयोध्या। मण्डलायुक्त कार्यालय में स्टे के बावजूद तीन कर्मचारियांे की कनिष्ठ सहायक पद पर की गयी नियुक्ति की शिकायत स्टे का हवाला देते हुए शासन से करने के बाद हुई जांच में शिकायत सत्य पायी गयी। शासन ने नियमविरूद्ध कार्यवाही पर सख्त रूख अपनाते हुए आयुक्त पर जबाब तलब किया है।
मण्डलायुक्त कार्यालय में एसएन सिंह, कनिष्ठ सहायक के साथ नियुक्त रामजतन वर्मा को 24 मार्च 1995 को विनियमित करके एसएन सिंह को को हटा दिया गया। श्री सिंह को विनियमित न करके कमलेश वर्मा, गया प्रसाद यादव व अम्बिका प्रसाद श्रीवास्तव को सहायक वासिल वाकी नवीस के पद पर नियुक्ति दिखाकर उच्च न्यायालय के स्थगनादेश के बावजूद तीनों की कनिष्ठ सहायक पद पर चयन समिति की संस्तुति के बिना अग्रिम आदेश तक नियुक्ति कर दी गयी। इसके अलावां मेवालाल को उनके प्रार्थना पत्र के आधार पर तहसील सदर में अस्थाई संग्रह अनुसेवक नियुक्ति दिखाकर आयुक्त कार्यालय में अनुसेवक के पद पर समायोजित किया गया। इसके बाद मेवालाल को कनिष्ठ सहायक के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गयी।
प्रकरण को लेकर शासन मंे शिकायत होने पर शासन द्वारा जांच राजस्व परिषद को दी गयी। जिसने प्रश्नगत प्रकरण की जांच उप भूमि व्यवस्था आयुक्त और विशेष कार्याधिकारी की संयुक्त जांच समिति बनाकर जांच आख्या शासन को भेजा गया जिसमें सभी शिकायत व आरोपों की पुष्टि कर दी गयी। शासन द्वारा जांच आख्या का परीक्षण किया गया और पाया गया कि श्री सिंह के विरूद्ध किया गया निलम्बन व अनुशासनिक जांच कार्यवाही विधि संगत नहीं है। बिना नियुक्ति आदेश के मेवालाल संग्रह अनुदेशक तथा कमलेश वर्मा को सहायक वासिक वाकी नवीस पर नियुक्ति दिखाकर उनकी नियुक्ति आयुक्त कार्यालय में अग्रिम आदेशों तक कनिष्ठ लिपिक पद पर किया जाना विधि संगत नहीं पाया गया। इसके अलावां श्री सिंह को 24 जुलाई 1991 से विनियमित किये जाने व सेवा सम्बंधी सभी लाभ दिये जाने का पात्र पाया गया उन्हें सेवा सम्बंधी लाभ न दिये जाने पर उनके द्वारा हाईकोर्ट में श्याम नारायण सिंह बनाम उ.प्र. सरकार वाद योजित किया गया जो लम्बित है। शासन ने नियम विरूद्ध कार्यवाही किये जाने के सम्बंध में विस्तृत आख्या व श्री सिंह का विनीयमितीकरण व अन्य सवा सम्बंधी लाभ दिये जाने के सम्बंध में 7 दिन के भीतर आख्या मांगी गयी है। इसके अतिरिक्त लम्बित रिट की अद्तन स्थिति व याचिका के निस्तारण के लिए की गयी प्रभावी कार्यवाही से भी अवगत कराने का निर्देश दिया गया है।

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